Published by :- Roshan Soni
Updated on: Wednesday, 19 Feb 2025
यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया (Ranveer Allahbadia) एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार कारण विवादास्पद है। समय रैना के शो ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ (India’s Got Latent) में की गई अभद्र और आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने समाज के मूल्यों और मानदंडों पर सवाल उठाते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाओं को लेकर भी महत्वपूर्ण बातें कही हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने रणवीर अल्लाहबादिया की टिप्पणी पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा:
- “अल्लाहबादिया के दिमाग में यकीनन कुछ गंदगी थी, जो उन्होंने यूट्यूब शो पर उगल दी।”
- “उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्द बहन-बेटियों, माता-पिता और समाज को शर्मिंदगी महसूस कराएंगे।”
- “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर किसी को भी समाज के मानदंडों के खिलाफ कुछ भी बोलने की छूट नहीं है।”
कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्देश:
- पासपोर्ट जमा करना: रणवीर को अपना पासपोर्ट थाने में जमा करना होगा, और वे बिना अनुमति के भारत से बाहर नहीं जा सकेंगे।
- जांच में सहयोग: उन्हें पुलिस और जांच एजेंसियों का पूर्ण सहयोग करना होगा।
- शो पर रोक: जब तक मामला समाप्त नहीं होता, ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ का कोई भी एपिसोड ऑन-एयर नहीं होगा।
रणवीर को मिली राहत:
- मुंबई और गुवाहाटी में दर्ज एफआईआर में किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से उन्हें संरक्षण मिला है।
- इस मामले में अब उनके खिलाफ कोई नई एफआईआर नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वह यूट्यूब पर अश्लील कंटेंट को लेकर कोई कार्रवाई करना चाहती है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस संवेदनशील मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ):
- रणवीर अल्लाहबादिया ने क्या टिप्पणी की थी?
- रणवीर ने ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ शो में परिवार और माता-पिता को लेकर आपत्तिजनक बातें कही थीं, जिससे समाज में आक्रोश फैल गया।
- सुप्रीम कोर्ट का रुख इतना सख्त क्यों है?
- कोर्ट ने टिप्पणी को समाज के मूल्यों और मानदंडों के खिलाफ माना, जिससे बहन-बेटियों और माता-पिता को शर्मिंदगी महसूस हो सकती है।
- क्या रणवीर के शो पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है?
- हां, जब तक मामला समाप्त नहीं होता, तब तक कोई भी एपिसोड ऑन-एयर नहीं होगा।
निष्कर्ष:
इस मामले ने यूट्यूब और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स के लिए एक चेतावनी के रूप में काम किया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की भी सीमाएँ होती हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस केस का अंतिम परिणाम क्या होता है और सोशल मीडिया पर कंटेंट मॉडरेशन को लेकर क्या नए दिशा-निर्देश बनते हैं।
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