Published by :- Hririk Kumar
Updated on: Saturday, 25 Jan 2025
प्रयागराज: महाकुंभ 2025 में एक बड़ा आध्यात्मिक परिवर्तन देखने को मिला, जब बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने संन्यास धारण कर लिया। संन्यास की विधि पूरी होने के बाद अब उनका नया नाम श्रीयामाई ममतानंद गिरि हो गया है।
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संन्यास दीक्षा के बाद किन्नर अखाड़े में हुआ पट्टाभिषेक

ममता कुलकर्णी ने प्रयागराज में संगम तट पर संन्यास दीक्षा ली, जहां वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उन्होंने गृहस्थ जीवन को त्यागकर संत जीवन को अपनाया। इसके बाद किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की अगुवाई में उनका पट्टाभिषेक हुआ।
संगम तट पर पिंडदान और धार्मिक अनुष्ठान
संन्यास की प्रक्रिया पूरी करने के लिए श्रीयामाई ममतानंद गिरि ने संगम तट पर पिंडदान किया, जो उनके पुराने जीवन से विदाई का प्रतीक है। इसके साथ ही उन्हें धर्मध्वजा के नीचे महामंडलेश्वर का पद भी सौंपा गया।
किन्नर अखाड़े में नई पहचान
🔸 संन्यास के बाद उनका नया नाम “श्रीयामाई ममतानंद गिरि” रखा गया।
🔸 पट्टाभिषेक के बाद अब वह किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गई हैं।
🔸 इस मौके पर श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर गर्गाचार्य मुचकुंद, पीठाधीश्वर स्वामी महेंद्रानंद गिरि सहित कई संत मौजूद रहे।
ममता कुलकर्णी का आध्यात्मिक सफर
बॉलीवुड में अपने समय की चर्चित अभिनेत्री रहीं ममता कुलकर्णी अब पूरी तरह से सन्यास के मार्ग पर चल पड़ी हैं। वर्षों से बॉलीवुड से दूर रहीं ममता अब आध्यात्मिक जीवन जीने का संकल्प ले चुकी हैं।
महाकुंभ में ऐतिहासिक पल
महाकुंभ 2025 में फिल्म जगत से संन्यास की ओर बढ़ने का यह निर्णय ऐतिहासिक माना जा रहा है। किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर बनने के बाद श्रीयामाई ममतानंद गिरि अब आध्यात्मिकता और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में सक्रिय रहेंगी।
FAQs: ममता कुलकर्णी का संन्यास और किन्नर अखाड़े में प्रवेश
1. ममता कुलकर्णी ने संन्यास क्यों लिया?
ममता कुलकर्णी ने गृहस्थ जीवन छोड़कर आध्यात्मिक मार्ग अपनाने का फैसला किया और संन्यास दीक्षा लेकर संत जीवन शुरू किया।
2. संन्यास के बाद उनका नया नाम क्या है?
संन्यास लेने के बाद ममता कुलकर्णी का नाम बदलकर “श्रीयामाई ममतानंद गिरि” रख दिया गया।
3. संन्यास दीक्षा कहां और कैसे हुई?
संन्यास दीक्षा प्रयागराज के महाकुंभ 2025 में संगम तट पर हुई, जहां वैदिक मंत्रोच्चार के साथ धार्मिक अनुष्ठान किए गए।
4. किन्नर अखाड़े में ममता कुलकर्णी को क्या पद मिला?
संन्यास के बाद किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर पद पर उनका पट्टाभिषेक किया गया।
5. किन्नर अखाड़े में दीक्षा समारोह कौन-कौन से संतों की मौजूदगी में हुआ?
दीक्षा समारोह में किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के साथ-साथ श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर गर्गाचार्य मुचकुंद और पीठाधीश्वर स्वामी महेंद्रानंद गिरि सहित अन्य संत मौजूद थे।
6. पट्टाभिषेक क्या होता है?
पट्टाभिषेक एक धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें संन्यासी को अखाड़े में महत्वपूर्ण पद प्रदान किया जाता है। ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर के रूप में प्रतिष्ठित किया गया।
7. क्या ममता कुलकर्णी अब फिल्मों में वापसी करेंगी?
नहीं, संन्यास लेने के बाद उन्होंने सांसारिक जीवन को त्याग दिया है और अब वे पूरी तरह आध्यात्मिक मार्ग पर चलेंगी।
8. संन्यास लेने के बाद उनकी क्या भूमिका होगी?
महामंडलेश्वर बनने के बाद वे आध्यात्मिक शिक्षा और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहेंगी और किन्नर अखाड़े के माध्यम से धार्मिक प्रचार-प्रसार करेंगी।
9. ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े को ही क्यों चुना?
किन्नर अखाड़ा एक समाज के उपेक्षित वर्ग को सम्मान और आध्यात्मिक पहचान देने के लिए स्थापित किया गया है। ममता कुलकर्णी ने इस पवित्र मार्ग को अपनाने का निर्णय लिया।
10. महाकुंभ में संन्यास लेने का महत्व क्या है?
महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जहां संन्यास लेने को अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह आत्म-संयम और मोक्ष प्राप्ति की ओर पहला कदम होता है।
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