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Published by: Roshan Soni
Updated on: Friday, 27 Dec 2024

बांग्लादेश को “कंट्री ऑफ द ईयर” घोषित करने का अर्थशास्त्री का फैसला आलोचनाओं का सामना कर रहा है।
पश्चिमी मीडिया द्वारा बांग्लादेश को “कंट्री ऑफ द ईयर” घोषित करने के निर्णय ने भारी विवाद को जन्म दिया है। इस फैसले को लेकर विभिन्न समूहों और विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं। प्रशंसा के पीछे “एक निरंकुश को गिराने” और “एक अधिक उदार सरकार की ओर कदम बढ़ाने” का तर्क दिया गया है, लेकिन देश में अराजकता, आर्थिक संकट और अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों के चलते इस निर्णय की व्यापक आलोचना हो रही है।
मुख्य अंश:
- बांग्लादेश को 2024 के ‘कंट्री ऑफ द ईयर’ अवार्ड के लिए चुना गया है, जबकि वहां की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है।
- बांग्लादेश में खाद्य सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है, जहां लोग भारत से चावल आयात कर रहे हैं।
- वेस्टर्न मीडिया ने बांग्लादेश को ‘कंट्री ऑफ द ईयर’ घोषित करने के पीछे एक गलत नैरेटिव पेश किया है।
- भारत के कई रिटायर्ड डिप्लोमैट्स ने इस निर्णय को गलत बताया है।
- बांग्लादेश में आर्थिक स्थिति में अचानक गिरावट आई है।
बांग्लादेश की स्थिति: एक निगाह
बांग्लादेश में हालिया घटनाओं ने देश की स्थिरता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। शेख हसीना के पतन के बाद से, बांग्लादेश में अराजकता, आर्थिक उथल-पुथल और अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं पर सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं।
अर्थशास्त्री का तर्क और आलोचनाएं
अर्थशास्त्री ने बांग्लादेश को पिछले 12 महीनों में सबसे अधिक सुधार करने वाले देश के रूप में मान्यता दी है। उनका तर्क है कि यह पुरस्कार “सबसे अमीर, सबसे खुशहाल या सबसे गुणी” जगह को नहीं, बल्कि उस देश को दिया जाता है जिसने पिछले साल में सबसे अधिक सुधार किया है। आलोचकों ने इस तर्क को अस्वीकार कर दिया है और इसे वास्तविकता से अलग बताया है।
सोशल मीडिया पर आलोचना
सोशल मीडिया पर भी इस फैसले की तीखी आलोचना हो रही है। हेग स्थित थिंक टैंक आईटीसीटी के उप निदेशक फरान जेफरी ने लिखा, “पश्चिम जानता है कि सबसे अच्छे चुटकुलों को कैसे क्रैक किया जाता है।”
अमेरिका स्थित लेखक संक्रांत शानू ने प्रकाशन के मेट्रिक्स पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा, “इस्लामवादियों की स्थापना में सुधार हुआ या अल्पसंख्यकों पर बढ़ते उत्पीड़न में? या ऐसा इसलिए है क्योंकि यूनुस एक अलोकतांत्रिक तख्तापलट में स्थापित एक गहरे राज्य की कठपुतली है? लेकिन तुम्हें वह पसंद है. और विशेष रूप से क्या ‘सुधार’ हुआ है?”
बांग्लादेश की वास्तविक स्थिति
बांग्लादेश में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। खाद्य सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बन गया है, जहां लोग भारत से चावल आयात कर रहे हैं। यह स्थिति देश के अंदर चल रहे आर्थिक संकट को दर्शाती है।
वेस्टर्न मीडिया का नजरिया
वेस्टर्न मीडिया ने बांग्लादेश को ‘कंट्री ऑफ द ईयर’ घोषित करने के पीछे एक गलत नैरेटिव पेश किया है। यह नैरेटिव बांग्लादेश के वास्तविक हालात को छिपा रहा है। भारत के कई रिटायर्ड डिप्लोमैट्स ने इस निर्णय को गलत बताया है और इसे बांग्लादेश की प्रगति को सही तरीके से नहीं देखने का आरोप लगाया है।
आलोचकों का मानना
भारत के रिटायर्ड एंबेसडर्स का मानना है कि पश्चिमी देशों की हिपोक्रिसी बांग्लादेश के मामलों में स्पष्ट दिखाई दे रही है। यूएस और यूके ने बांग्लादेश में बढ़ती रेडिकलाइजेशन पर ध्यान नहीं दिया है, जबकि यह भारत के लिए गंभीर समस्या बन सकता है।
निष्कर्ष
बांग्लादेश को “कंट्री ऑफ द ईयर” घोषित करने का निर्णय न केवल विवादित है, बल्कि यह बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति को देखते हुए गलत भी प्रतीत होता है। पश्चिमी मीडिया द्वारा प्रस्तुत किए गए नैरेटिव को ध्यान में रखते हुए, यह आवश्यक है कि बांग्लादेश की वास्तविक चुनौतियों और स्थितियों को समझा जाए।
बांग्लादेश को ‘कंट्री ऑफ द ईयर’ घोषित करने का फैसला विवादित है और बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति को देखते हुए कई सवाल उठाता है। पश्चिमी मीडिया को बांग्लादेश की वास्तविक चुनौतियों और स्थितियों को ध्यान में रखते हुए अपने निर्णयों पर पुनर्विचार करना चाहिए।
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