Contents
Published by: Roshan Soni
Updated on: Friday, 27 Dec 2024
चीन ने भारत की सीमा के करीब दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की योजना बनाई है, जिससे कई सुरक्षा और पर्यावरणीय चिंताएँ उठी हैं। ब्रह्मपुत्र नदी पर प्रस्तावित यह बांध भारत और बांग्लादेश के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है। इस ब्लॉग में, हम इस परियोजना के संभावित प्रभावों और भारत की प्रतिक्रियाओं पर चर्चा करेंगे।.

1 | ब्रह्मपुत्र नदी और उसका महत्व |
2 | भारत की प्रतिक्रिया और योजनाएँ |
3 | संभावित चुनौतियाँ |
4 | निष्कर्ष |
ब्रह्मपुत्र नदी और उसका महत्व
ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत से शुरू होकर चीन से होते हुए भारत के अरुणाचल प्रदेश और नॉर्थ ईस्ट रीजन से गुजरती है और फिर बांग्लादेश में प्रवेश करती है। यह नदी इन सभी क्षेत्रों के लिए जल संसाधन का प्रमुख स्रोत है। चीन का बांध परियोजना ब्रह्मपुत्र नदी के पानी को नियंत्रित कर सकता है, जिससे निम्नलिखित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं:
- जल संचयन और नियंत्रण:
- चीन ब्रह्मपुत्र का पानी स्टोर कर सकता है और इसे अपने मुख्य भूमि क्षेत्रों में भेज सकता है। इससे भारत और बांग्लादेश में जल की कमी हो सकती है।
- बाढ़ का खतरा:
- अगर चीन बिना किसी पूर्व सूचना के बांध से पानी रिलीज करता है, तो भारत के नॉर्थ ईस्टर्न राज्यों में बाढ़ जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे वहां के निवासियों की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
- पर्यावरणीय प्रभाव:
- बांध के निर्माण से पर्यावरणीय असंतुलन हो सकता है, जिससे क्षेत्रीय जैव विविधता और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है
भारत की प्रतिक्रिया और योजनाएँ
चीन की इस परियोजना के जवाब में, भारत भी अपनी सीमा के पास एक बड़ा बांध बनाने की योजना बना रहा है। यह बांध भारत का दूसरा सबसे बड़ा बांध होगा और इसका उद्देश्य चीन के संभावित जल बॉम्ब के खतरे से निपटना है। यह बांध अरुणाचल प्रदेश में बनाया जाएगा और इसकी लागत 50 बिलियन यूएस डॉलर होगी।

- सुरक्षा उपाय:
- भारत का यह बांध न केवल जल आपूर्ति सुनिश्चित करेगा बल्कि बाढ़ नियंत्रण में भी मदद करेगा। यह बांध भारत की अंतिम रक्षा पंक्ति के रूप में कार्य करेगा।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग और समझौते:
- भारत को चीन के साथ जल संसाधनों के संबंध में एक अंतरराष्ट्रीय समझौता करना होगा। वर्तमान में, चीन और भारत के बीच इस मुद्दे पर कोई उचित संधि नहीं है।
- भविष्य की योजनाएँ:
- भारत को अपने नॉर्थ ईस्टर्न राज्यों को सुरक्षित रखने के लिए अतिरिक्त बजट और संसाधनों की आवश्यकता होगी। इसके साथ ही, पर्यावरणीय संरक्षण के उपायों पर भी ध्यान देना होगा।
संभावित चुनौतियाँ
- प्राकृतिक आपदाओं का खतरा:
- यह क्षेत्र भूकंप संभावित क्षेत्र है। भूकंप के कारण बांधों में दरारें आ सकती हैं, जिससे बड़े पैमाने पर विनाश हो सकता है।
- मांद नेचर की चुनौती:
- प्राकृतिक आपदाओं के कारण बांधों को नुकसान होने की संभावना बनी रहती है। चीन द्वारा बांध निर्माण और जल संचयन से न केवल भारत बल्कि चीन और बांग्लादेश भी प्रभावित हो सकते हैं।
निष्कर्ष
चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की योजना ने भारत और बांग्लादेश के लिए कई चिंताएं उत्पन्न कर दी हैं। भारत ने इस खतरे से निपटने के लिए अपनी सुरक्षा तैयारियों को मजबूत किया है और अरुणाचल प्रदेश में एक बड़ा बांध बनाने की योजना बनाई है। हालांकि, इन परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण होगा।
यह भी पढ़ें :- बांग्लादेश को “कंट्री ऑफ द ईयर” घोषित करने का अर्थशास्त्री का फैसला आलोचनाओं का सामना कर रहा है।
1 thought on “चीन भारत सीमा के पास बनाएगा दुनिया का सबसे बड़ा बांध: कैसे देगा भारत जवाब?”