By 247timesnews
Edited By: Roshan Soni
Updated: Tue, 22 Oct 2024 10 : 00 PM (IST)
HighLights |
ब्रिक्स करीब 3.5 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, जो विश्व की 45% आबादी है। |
इस समूह के सदस्यों अर्थव्यवस्थाएं 28.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हैं। |
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ब्रिक्स (BRICS) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो पांच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं का प्रतिनिधित्व करता है: ब्राजील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ्रीका। 2024 में इस समूह में चार नए सदस्य देश – ईरान, मिस्र, इथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात भी शामिल हो गए हैं, जिससे इस संगठन का वैश्विक प्रभाव और बढ़ गया है। BRICS का उद्देश्य अपने सदस्य देशों के बीच आर्थिक विकास, आपसी सहयोग और वैश्विक मंच पर सामूहिक आवाज उठाने के लिए एक मंच प्रदान करना है।
BRICS का इतिहास
BRICS की स्थापना तीन चरणों में हुई:
1. RIC (Russia, India, China): 1990 के दशक में रूस, भारत और चीन ने मिलकर एक संगठन बनाया जिसका उद्देश्य अमेरिका के दबदबे को चुनौती देना और आपसी संबंधों को मजबूत करना था। उस समय इस समूह की अध्यक्षता रूसी नेता येवगेनी प्रिमाकोव ने की थी।
2.BRIC: 2001 में इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैक्स ने ब्राजील, रूस, इंडिया और चीन को विश्व की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में बताया। इसके बाद 2009 में इन चारों देशों ने मिलकर BRIC नामक संगठन बनाया।
3. BRICS: 2010 में दक्षिण अफ्रीका को इस समूह में शामिल किया गया और इसका नाम BRICS हो गया। इसके बाद से यह संगठन वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
BRICS का उद्देश्य और कार्यप्रणाली
BRICS का मुख्य उद्देश्य अपने सदस्य देशों के बीच आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, आपसी सहयोग को मजबूत करना और वैश्विक मंच पर एक सामूहिक आवाज प्रदान करना है। BRICS सदस्य देशों की अर्थव्यवस्थाएं संयुक्त रूप से 28.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की हैं और यह समूह विश्व की 45% आबादी का प्रतिनिधित्व करता है।
BRICS की कार्यप्रणाली में नियमित शिखर सम्मेलन, मंत्रिस्तरीय बैठकें, और विभिन्न कार्य समूहों के माध्यम से आपसी सहयोग शामिल है। सदस्य देशों के नेता और मंत्री नियमित रूप से मिलते हैं और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हैं, जैसे आर्थिक मंदी, मुद्रास्फीति, व्यापार असंतुलन, और तकनीकी सहयोग।
भारत का BRICS में दबदबा
भारत की हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था ने इसे वैश्विक मंच पर एक प्रमुख खिलाड़ी बना दिया है। 2024 के अंत तक भारत की GDP दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी हो सकती है, जिससे इसका प्रभाव और बढ़ गया है। भारत ने वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान वैक्सीन सप्लाई, जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक एजेंडा और वैश्विक व्यापार नियमों पर अग्रणी भूमिका निभाई है, जिससे इसका BRICS में प्रभाव और भी बढ़ गया है।
भारत का कूटनीतिक संतुलन और नेतृत्व BRICS में चीन और रूस जैसी शक्तियों के साथ विशेष रूप से अहम है। भारत ने संगठन के नेताओं से बातचीत के दौरान इस बात पर जोर दिया कि BRICS में नई उभरती अर्थव्यवस्थाओं को शामिल किया जाए ताकि संगठन को वैश्विक स्तर पर और अधिक ताकत मिल सके।
BRICS में चीन-भारत खींचतान
BRICS के विस्तार को लेकर चीन और भारत के बीच असहमति भी रही है। चीन BRICS में अधिक से अधिक विकासशील देशों को शामिल कर अपने प्रभाव को और बढ़ाना चाहता था। जबकि भारत इस प्रक्रिया में ज्यादा सतर्क था और चाहता था कि नए सदस्य देशों को उनके आर्थिक योगदान और भू-राजनीतिक स्थिति के आधार पर ही नहीं, बल्कि उनकी लोकतांत्रिक संरचना और समावेशी विकास के सिद्धांतों के आधार पर भी चुना जाए।
BRICS शिखर सम्मेलन 2024 का एजेंडा
रूस के कजान शहर में 22 से 24 अक्टूबर के बीच BRICS का 16वां शिखर सम्मेलन आयोजित हो रहा है। इस बार सम्मेलन का एजेंडा आर्थिक मंदी, मुद्रास्फीति, व्यापार असंतुलन, संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक संगठनों में सुधार, तकनीकी सहयोग और डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
BRICS में अन्य अहम बदलाव
नई मुद्रा प्रणाली पर चर्चा: BRICS देश एक नई वैश्विक मुद्रा प्रणाली पर विचार कर रहे हैं ताकि वे अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम कर सकें और व्यापार को अधिक स्वतंत्र बना सकें।
वैश्विक विकास बैंक: BRICS देशों ने ‘New Development Bank’ की स्थापना की है, जिसका उद्देश्य विकासशील देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
BRICS में अब कितने सदस्य?
BRICS में पांच फाउंडर देश (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) और 1 जनवरी 2024 से चार नए सदस्य देश (ईरान, मिस्र, इथियोपिया, संयुक्त अरब अमीरात) शामिल होने के बाद अब कुल नौ देश समूह के सदस्य हैं।
मेरे स्वागत के लिए आभार व्यक्त करता हूँ – प्रधानमंत्री मोदी
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “मैं आपकी मित्रता, गर्मजोशी भरे स्वागत और आतिथ्य के लिए हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए कजान जैसे खूबसूरत शहर में आने का अवसर मिलना मेरे लिए बहुत खुशी की बात है। इस शहर के साथ भारत के गहरे और ऐतिहासिक संबंध हैं। कजान में भारत के नए वाणिज्य दूतावास के खुलने से ये संबंध और मजबूत होंगे।”
प्रधानमंत्री मोदी की इस अभिव्यक्ति से भारत और रूस के बीच के मजबूत और मैत्रीपूर्ण संबंधों का पता चलता है। कजान में भारत का नया वाणिज्य दूतावास खुलना इन संबंधों को और सुदृढ़ करेगा और दोनों देशों के बीच व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा।
हमारी परियोजनाएं निरंतर विकसित हो रही हैं – राष्ट्रपति पुतिन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा, “हमारी परियोजनाएं निरंतर विकसित हो रही हैं। अंतर-सरकारी आयोग की अगली बैठक 12 दिसंबर को नई दिल्ली में आयोजित होनी है। आपने कजान में भारतीय वाणिज्य दूतावास खोलने का फैसला किया है, और हम इस कदम का स्वागत करते हैं। हमारे सहयोग को भारत की नीतियों से लाभ मिलेगा। हम आपको और आपके प्रतिनिधिमंडल को रूस में देखकर बहुत खुशी महसूस कर रहे हैं।”
राष्ट्रपति पुतिन ने इस बैठक में भारत-रूस संबंधों के महत्व को रेखांकित किया और भविष्य की परियोजनाओं और सहयोग के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। कजान में भारतीय वाणिज्य दूतावास का खुलना दोनों देशों के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करेगा।
अंतर-सरकारी आयोग की आगामी बैठक में दोनों देश विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा करने पर चर्चा करेंगे। भारत और रूस के बीच की ये साझेदारी आने वाले समय में और भी मजबूत होगी, जिससे दोनों देशों के बीच मित्रता और सहयोग की नई ऊँचाइयों को छूने की उम्मीद है।
BRICS एक महत्वपूर्ण वैश्विक संगठन है जो अपने सदस्य देशों के बीच आर्थिक विकास, आपसी सहयोग और वैश्विक मंच पर सामूहिक आवाज उठाने का काम करता है। भारत का इसमें दबदबा बढ़ता जा रहा है, जिससे यह संगठन और भी प्रभावशाली हो गया है। BRICS का 16वां शिखर सम्मेलन कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने का एक मंच प्रदान कर रहा है, जो आने वाले वर्षों में वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
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