उप राष्ट्रपति का बड़ा बयान उप राष्ट्रपति धनखड़ ने कहा: "अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं। अनुच्छेद 142 एक परमाणु मिसाइल की तरह न्यायपालिका के पास है।"  बयान पर शुरू हुई सियासी बहस।

सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राज्यपाल और राष्ट्रपति को विधेयकों पर समयसीमा में फैसला लेने की सलाह दी थी।  धनखड़ ने इसी पर प्रतिक्रिया दी।

संविधान का अनुच्छेद 142 क्या है? अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार है कि वह किसी भी मामले में पूर्ण न्याय के लिए आदेश दे सकता है। 📜 यह पूरे भारत में लागू होता है।

विपक्ष का पलटवार कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत: "धनखड़ राज्यपालों के असंवैधानिक रवैये पर क्यों चुप हैं?"  DMK और CPI ने भी बयान को "अनैतिक" करार दिया।

कानून विशेषज्ञों की राय कपिल सिब्बल बोले: "राष्ट्रपति प्रतीकात्मक पद हैं, वो कैबिनेट की सलाह पर काम करते हैं।" ⚖️ अमन लेखी ने कहा: “धनखड़ की टिप्पणी एकतरफा और बढ़ाचढ़ाकर की गई है।”

मामला कहां से शुरू हुआ? तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल आरएन रवि के बीच बिलों को लेकर टकराव के बाद ⚖️ सुप्रीम कोर्ट ने कहा: "राज्यपाल अनिश्चितकाल तक बिल रोक नहीं सकते।" 💥 यहीं से उपराष्ट्रपति की नाराजगी शुरू हुई।