मिथिलांचल में पान की खेती: घनगिरह पान की खासियत और बढ़ती मांग

मिथिलांचल की पान संस्कृति: मिथिला क्षेत्र में पान खाना एक परंपरा है, विशेष रूप से भोज, पर्व, और त्योहारों के दौरान।

घनगिरह पान की खासियत: घनगिरह पान की किस्म में ज्यादा गिरह होती है, जिससे अधिक पत्ते निकलते हैं। यह खाने में बेहद स्वादिष्ट होता है।

सीट्ठी न बनने की विशेषता: किसान रमेश कुमार भगत बताते हैं कि इस पान को खाने पर सीट्ठी नहीं बनती, जो इसे और भी खास बनाता है।

बाजार में अधिक मांग: बंगला पत्ता के मुकाबले मिथिला क्षेत्र में घनगिरह पान की खपत अधिक है। इसकी कीमत ₹50-₹60 प्रति ढोली है।

किसानों के लिए आय का स्रोत: पान की खेती मिथिलांचल के किसानों के लिए आमदनी का प्रमुख साधन है।

सरकार की मदद और लोन: पहले सरकार पान की खेती के लिए किसानों को लोन देती थी, जिससे खेती और परिवार दोनों चलाए जा सकते थे।

लोन की कमी और किसानों की समस्या: वर्तमान में किसानों को पान की खेती के लिए लोन नहीं मिल रहा है, जिससे वे खेती में ज्यादा निवेश करने से बचते हैं।

अतिथि सत्कार में पान का महत्व: मिथिला की परंपरा में पान और सुपारी अतिथि सत्कार का प्रमुख हिस्सा रहे हैं।