Published by: Roshan Soni
Updated on: Monday, 16 Dec 2024
16 दिसंबर: भारतीय इतिहास का गौरवशाली दिन

16 दिसंबर 1971, यह वह तारीख है जब भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान पर विजय प्राप्त की थी और बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाई। इस जीत की याद में हर साल भारत में विजय दिवस मनाया जाता है। इस दिन को न केवल भारत के सैन्य कौशल की जीत के तौर पर देखा जाता है, बल्कि यह दिन बांग्लादेश के उदय और उसके संघर्षशील मुक्ति योद्धाओं के सम्मान का भी प्रतीक है।
इस वर्ष के विजय दिवस की खासियत
इस बार का विजय दिवस समारोह कोलकाता में बेहद भव्य रूप से मनाया जा रहा है। इसमें न केवल भारतीय सेना बल्कि बांग्लादेश के मुक्ति योद्धाओं का भी प्रतिनिधिमंडल भाग ले रहा है। भारतीय सेना की पूर्वी कमान द्वारा आयोजित इस समारोह में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। इनमें सैन्य प्रदर्शन, पुष्पांजलि समारोह, और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं।
मुख्य अतिथि और गणमान्य लोग
- पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस इस समारोह में शामिल होंगे।
- बांग्लादेश के मुक्ति योद्धाओं और सशस्त्र बलों के प्रतिनिधि भी इस आयोजन का हिस्सा होंगे।
- 1971 के युद्ध में भाग लेने वाले भारतीय सशस्त्र बलों के पूर्व सैनिक भी इस कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे।
समारोह की प्रमुख गतिविधियाँ
- फोर्ट विलियम में पुष्पांजलि समारोह
सुबह के समय फोर्ट विलियम में विजय दिवस के नायकों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस इस कार्यक्रम की अगुवाई करेंगे। - रेस कोर्स मैदान में सैन्य प्रदर्शन
रेस कोर्स मैदान में दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक सैन्य प्रदर्शन का आयोजन किया जाएगा। यह प्रदर्शन आम जनता के लिए खुला है और इसमें कोई प्रवेश शुल्क नहीं रखा गया है। मुख्य आकर्षण इस प्रकार होंगे:
- सेना के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों का फ्लाई पास्ट।
- घुड़सवारी और अन्य सैन्य करतब।
- सेना के बैंड द्वारा मार्शल संगीत का प्रदर्शन।
- नवीनतम सैन्य तकनीकों और हथियारों की प्रदर्शनी।
- 1971 के युद्ध के नायकों का सम्मान
इस अवसर पर उन वीर सैनिकों को सम्मानित किया जाएगा जिन्होंने 1971 के युद्ध में अपनी वीरता का प्रदर्शन किया था। साथ ही, उन मुक्ति योद्धाओं को भी सम्मानित किया जाएगा जिन्होंने पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी शासन के खिलाफ संघर्ष किया।
बांग्लादेश के मुक्ति योद्धाओं की उपस्थिति
हर साल की तरह, इस बार भी बांग्लादेश के मुक्ति योद्धाओं का एक छोटा प्रतिनिधिमंडल कोलकाता पहुंचा है। ये योद्धा 1971 के संघर्ष का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। उन्होंने भारतीय सेना के साथ मिलकर पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना के खिलाफ युद्ध लड़ा। विजय दिवस के इस समारोह में उनकी उपस्थिति दोनों देशों के गहरे और ऐतिहासिक संबंधों का प्रतीक है।
विजय दिवस का महत्व
1971 का युद्ध सिर्फ एक सैन्य संघर्ष नहीं था, यह मानवाधिकारों, स्वतंत्रता और न्याय के लिए एक निर्णायक कदम था। भारत ने न केवल पाकिस्तान की सेना को हराया, बल्कि दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश नामक एक नए राष्ट्र का उदय सुनिश्चित किया।
- युद्ध की पृष्ठभूमि: यह युद्ध पूर्वी पाकिस्तान में रह रहे बंगालियों पर हो रहे अत्याचारों और उनके स्वतंत्रता संघर्ष का परिणाम था। पाकिस्तान की सेना ने लाखों बंगालियों का नरसंहार किया, जिसके चलते लाखों शरणार्थी भारत आए।
- भारत की भूमिका: भारत ने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम का समर्थन किया और पाकिस्तानी सेना के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की।
- परिणाम: इस युद्ध के परिणामस्वरूप पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा और 93,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया। यह आत्मसमर्पण दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण माना जाता है।
सैन्य प्रदर्शन: युद्ध कौशल का प्रदर्शन
रेस कोर्स मैदान में आयोजित होने वाले सैन्य प्रदर्शन में भारतीय सेना की शक्ति और कौशल का प्रदर्शन किया जाएगा। इसमें सैनिकों द्वारा घुड़सवारी के अद्भुत करतब, लड़ाकू हेलीकॉप्टरों का फ्लाई पास्ट, और सेना के बैंड द्वारा मार्शल संगीत का प्रदर्शन शामिल होगा। साथ ही, आधुनिक हथियारों और उपकरणों की प्रदर्शनी भी दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगी।
आम जनता के लिए प्रवेश खुला
इस साल विजय दिवस समारोह को और अधिक समावेशी बनाने के लिए आयोजन स्थल पर आम जनता के लिए प्रवेश निशुल्क रखा गया है। यह आयोजन भारतीय सेना के प्रति नागरिकों के सम्मान और समर्थन को और प्रबल करेगा।
1971 के युद्ध नायकों को सम्मान
इस वर्ष के विजय दिवस पर 1971 के युद्ध के नायकों को विशेष रूप से सम्मानित किया जाएगा। उनके बलिदान और साहस ने न केवल भारत को गर्व महसूस कराया बल्कि पूरे दक्षिण एशिया को एक नई दिशा दी।
निष्कर्ष: गौरव का दिन
विजय दिवस न केवल भारत और बांग्लादेश के लिए ऐतिहासिक है, बल्कि यह दुनिया भर में स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के लिए संघर्ष का प्रतीक है। यह दिन हमें उन सभी नायकों की याद दिलाता है जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर न्याय और स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया। 16 दिसंबर का दिन हर भारतीय के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत है।
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