यूक्रेन युद्ध पर अमेरिकी और रूसी वार्ता: क्या ज़ेलेंस्की के लिए यह धोखा है?

Published by :- Sourav Kumar
Updated on: Tuesday, 18 Feb 2025

यूक्रेन संकट में एक नया मोड़ आया है, जहां अमेरिकी और रूसी अधिकारियों के बीच गुप्त वार्ता हो रही है। दिलचस्प बात यह है कि इन चर्चाओं में यूक्रेन को शामिल नहीं किया गया है। यह वार्ता सऊदी अरब में हुई, जहां अमेरिकी विदेश मंत्री और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने एक साथ बैठकर युद्ध को समाप्त करने के संभावित तरीकों पर चर्चा की।

यूक्रेन युद्ध पर अमेरिकी और रूसी वार्ता: क्या ज़ेलेंस्की के लिए यह धोखा है?
Source image: Social media
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यूक्रेन को दरकिनार करने की रणनीति

अमेरिका और रूस के बीच चल रही इन वार्ताओं में यूक्रेन को कोई स्थान नहीं दिया गया, जिससे यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की नाराज और हताश नजर आ रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जेलेंस्की सऊदी अरब जाने की योजना बना रहे थे ताकि इस वार्ता में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकें, लेकिन अमेरिका के स्पष्ट संकेतों के बाद उन्होंने अपनी यात्रा स्थगित कर दी।

यूरोप की चिंता और अमेरिका की प्राथमिकता में बदलाव

इस बीच, यूरोपीय देशों में भी बेचैनी बढ़ रही है। हाल ही में फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक आपातकालीन बैठक हुई, जिसमें यूरोपीय नेताओं ने इस चिंता पर चर्चा की कि अमेरिका, विशेष रूप से डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद, यूक्रेन का समर्थन पूरी तरह से रोक सकता है।

जर्मनी सहित कई यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को समर्थन देने के कारण अपनी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया था, लेकिन अब वे भी अपनी स्थिति पर पुनर्विचार कर रहे हैं। पोलैंड जैसे देश पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वे किसी “यूरोपीय नेटो” में शामिल होने के इच्छुक नहीं हैं।

यूक्रेन के लिए बड़ा झटका: अमेरिका का नया प्रस्ताव

डोनाल्ड ट्रंप ने खुले तौर पर कहा है कि यूक्रेन को अपनी खनिज संपदा का 50% अमेरिका को सौंप देना चाहिए, क्योंकि अमेरिका ने उसकी युद्ध में मदद की थी। यह प्रस्ताव यूक्रेन के लिए एक और बड़ा झटका है, क्योंकि अब तक उन्हें विश्वास था कि अमेरिका नि:स्वार्थ उनकी मदद कर रहा है। लेकिन अमेरिका की यह मांग बताती है कि उसकी सहायता मुफ्त में नहीं थी।

यूक्रेन के लिए सबसे बुरा दौर?

  • यूक्रेन की जमीन पर रूसी कब्जा: युद्ध के चलते यूक्रेन ने अपनी एक बड़ी भू-भाग खो दी है। रूस ने डोनेट्स्क, लुहान्स्क और अन्य क्षेत्रों पर अपना कब्जा मजबूत कर लिया है।
  • अर्थव्यवस्था का पतन: युद्ध ने यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है।
  • नागरिकों का पलायन: लाखों यूक्रेनी नागरिक अपना देश छोड़ने को मजबूर हो चुके हैं।
  • अमेरिकी और यूरोपीय समर्थन में कमी: अमेरिका अब खुलकर कह रहा है कि उसकी प्राथमिकता अब इंडो-पैसिफिक क्षेत्र है। वहीं, यूरोप ने भी यूक्रेन को समर्थन देने को लेकर असमंजस जताया है।

रूस की जीत और अमेरिका का फायदा

रूस ने इस युद्ध में भारी कीमत चुकाई है, लेकिन उसने अपनी भू-राजनीतिक स्थिति मजबूत कर ली है। रूस ने अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया और दुनिया को दिखाया कि वह किसी भी परिस्थिति में झुकने को तैयार नहीं है। दूसरी ओर, अमेरिका ने अपनी डिफेंस इंडस्ट्री को बढ़ावा दिया और युद्ध के दौरान अपनी सैन्य तकनीक को प्रदर्शित किया।

क्या यूक्रेन के लिए आगे कोई रास्ता बचा है?

जेलेंस्की के लिए अब विकल्प सीमित हैं। एक ओर अमेरिका और यूरोप उनके समर्थन से पीछे हट रहे हैं, वहीं दूसरी ओर रूस अपनी स्थिति मजबूत कर चुका है। इस स्थिति में यूक्रेन को अपने कूटनीतिक फैसलों पर पुनर्विचार करना होगा और जल्द से जल्द शांति वार्ता के लिए पहल करनी होगी, वरना आने वाले समय में यूक्रेन की संप्रभुता और अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा हो सकता है।

निष्कर्ष: यूक्रेन संकट अब एक निर्णायक मोड़ पर है, जहां रूस और अमेरिका अपनी रणनीतियों के जरिए इसे खत्म करने की ओर बढ़ रहे हैं। जेलेंस्की की नीतियों ने यूक्रेन को इस स्थिति तक पहुंचाया, और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यूक्रेन इस भू-राजनीतिक खेल में अपनी स्थिति बचा पाता है या फिर इसे एक और बड़ी हार का सामना करना पड़ता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. अमेरिका और रूस के बीच यह गुप्त वार्ता कब और कहां हुई? यह वार्ता सऊदी अरब की राजधानी में हुई, जहां अमेरिका और रूस के विदेश मंत्रियों ने युद्ध समाप्त करने को लेकर चर्चा की।

2. क्या यूक्रेन को इस वार्ता में शामिल किया गया था? नहीं, यूक्रेन को इस वार्ता से पूरी तरह बाहर रखा गया था, जिससे ज़ेलेंस्की असहाय महसूस कर रहे हैं।

3. अमेरिका का असली मकसद क्या है? अमेरिका अब यूक्रेन से अपने सैन्य समर्थन के बदले में आर्थिक और प्राकृतिक संसाधनों की मांग कर सकता है।

4. क्या रूस इस वार्ता से लाभान्वित होगा? अगर वार्ता सफल होती है, तो रूस द्वारा कब्जा की गई जमीन उसके नियंत्रण में रह सकती है, जिससे रूस रणनीतिक रूप से मजबूत होगा।

5. इस युद्ध से सबसे ज्यादा नुकसान किसे हुआ है? इस युद्ध में सबसे अधिक नुकसान यूक्रेन को हुआ है, जहां लाखों लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े और सैनिकों की बड़ी संख्या मारी गई।

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