By Roshan Soni
Edited By : Roshan Soni
Updated : Fri , 23 May 2025 07 : 00 AM (IST)
लेख की झलकियाँ:
- टर्बुलेंस क्या होता है और यह क्यों होता है?
- कितने प्रकार के टर्बुलेंस होते हैं?
- क्या टर्बुलेंस जानलेवा हो सकता है?
- टर्बुलेंस के दौरान यात्रियों को क्या सावधानी रखनी चाहिए?
- एयरलाइन्स इससे कैसे निपट सकती हैं?
- मानसिक स्वास्थ्य पर इसका क्या असर हो सकता है?
हाल ही में क्या हुआ?
21 मई 2025 को दिल्ली से श्रीनगर जा रही इंडिगो फ्लाइट 6E2142 को हवा में भारी टर्बुलेंस का सामना करना पड़ा। ओलावृष्टि और तेज हवाओं के कारण विमान को झटके लगे, जिससे इसका अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। विमान में 220 से अधिक यात्री सवार थे, जिनमें टीएमसी की सांसद सगारिका घोष भी शामिल थीं। पायलट की सूझबूझ से फ्लाइट की सुरक्षित इमरजेंसी लैंडिंग हुई।
टर्बुलेंस क्या होता है?
टर्बुलेंस का मतलब है, हवा में उथल-पुथल। जब एक विमान हवा के अस्थिर क्षेत्रों से गुजरता है, तो वह झटके खाने लगता है। यह स्थिति उड़ान के दौरान असुविधा, डर और कभी-कभी चोट का कारण भी बन सकती है।
टर्बुलेंस कितने प्रकार के होते हैं?
1. विंड शीयर (Wind Shear)
जब हवा की दिशा या गति अचानक बदलती है, तो यह स्थिति पैदा होती है। इससे विमान की स्थिरता प्रभावित होती है।
2. फ्रंटल टर्बुलेंस
गर्म और नम हवा के टकराने से यह टर्बुलेंस होता है, जो विमान में कंपन पैदा करता है।
3. ऑरोग्राफिक टर्बुलेंस (पहाड़ी इलाकों में)
जब विमान पहाड़ों या बड़ी इमारतों के पास से गुजरता है तो हवा में रुकावट आती है जिससे टर्बुलेंस होता है।
4. क्लियर एयर टर्बुलेंस (CAT)
यह सबसे खतरनाक टर्बुलेंस है क्योंकि यह बिना किसी चेतावनी के होता है। आमतौर पर जेट स्ट्रीम के आस-पास होता है।
क्या टर्बुलेंस जानलेवा हो सकता है?
ज़्यादातर मामलों में टर्बुलेंस सामान्य होता है और पायलट इस पर काबू पा लेते हैं। लेकिन, तेज टर्बुलेंस के कारण विमान का संतुलन बिगड़ सकता है, यात्री घायल हो सकते हैं और विमान की बाहरी बनावट को नुकसान पहुंच सकता है।
जैसा कि दिल्ली-श्रीनगर फ्लाइट में हुआ – अगर पायलट सही निर्णय न लेते, तो स्थिति और खराब हो सकती थी।
टर्बुलेंस से कैसे बचा जा सकता है?
यात्रियों के लिए सुझाव:
- हमेशा सीट बेल्ट बांधकर रखें, खासकर जब संकेत जल रहा हो।
- ओवरहेड बिन में सामान ठीक से रखें।
- अपने डिवाइस को एयरप्लेन मोड में रखें और फ्लाइट क्रू के निर्देशों का पालन करें।
एयरलाइंस के लिए उपाय:
- मौसम की रीयल टाइम मॉनिटरिंग करें।
- पायलट और डिस्पैचर के बीच बेहतर संचार बनाए रखें।
- एयर ट्रैफिक कंट्रोल से लगातार अपडेट लेते रहें।
- विमान की अभियांत्रिकीय मजबूती को अपडेट करते रहें।
मानसिक स्वास्थ्य पर असर
टर्बुलेंस की घटनाओं से PTSD (पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) हो सकता है। जैसे इस फ्लाइट के कई यात्रियों ने इसे मौत के करीब का अनुभव बताया।
पीटीएसडी के लक्षण:
- फ्लैशबैक, बुरे सपने आना
- भीड़ से डर लगना
- फ्लाइट का नाम सुनते ही डर महसूस होना
इसका उपचार:
- मनोचिकित्सक से परामर्श लें
- कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) लें
- चिंता और अवसाद के लिए आवश्यक दवाएं
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q1. क्या हर टर्बुलेंस खतरनाक होता है?
👉 नहीं, लेकिन हर टर्बुलेंस को गंभीरता से लेना चाहिए।
Q2. क्या टर्बुलेंस के समय फ्लाइट क्रैश हो सकती है?
👉 बहुत ही कम संभावना होती है, क्योंकि पायलटों को ऐसे हालात से निपटने की ट्रेनिंग होती है।
Q3. टर्बुलेंस के दौरान सबसे सुरक्षित जगह कौन सी होती है?
👉 सीट बेल्ट बांधकर अपनी सीट पर बैठे रहना ही सबसे सुरक्षित होता है।
Q4. क्या मौसम विभाग टर्बुलेंस की भविष्यवाणी कर सकता है?
👉 हां, लेकिन क्लियर एयर टर्बुलेंस की पहचान मुश्किल होती है।
निष्कर्ष
टर्बुलेंस एक आम लेकिन गंभीर हवाई अनुभव है। इससे घबराना नहीं चाहिए लेकिन सतर्क रहना जरूरी है। अगर आप भी फ्लाइट में सफर करते हैं तो ऊपर बताए गए सुरक्षा उपायों को ज़रूर अपनाएं।
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