Published by :- Roshan Soni
Updated on: Wednesday, 19 Feb 2025
भारत के नए मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार और चुनाव आयुक्त (EC) विवेक जोशी ने कार्यभार संभाल लिया है। इसी बीच, सुप्रीम कोर्ट उन याचिकाओं की सुनवाई करने जा रहा है, जो CEC और EC की नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देती हैं। इस ब्लॉग में हम इस पूरे मामले को विस्तार से समझेंगे और जानेंगे कि सुप्रीम कोर्ट का अगला कदम क्या हो सकता है।
Contents
मामला क्या है?
सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 2 मार्च, 2023 को अनूप बरनवाल मामले में फैसला सुनाया था, जिसमें CEC और EC की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर संसदीय कानून में एक खालीपन की ओर इशारा किया गया था। कोर्ट ने कहा था कि जब तक संसद इस पर कानून नहीं बनाती, तब तक प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की समिति राष्ट्रपति को सलाह देगी। हालांकि, अदालत ने यह बाध्यकारी नहीं बनाया था कि समिति में मुख्य न्यायाधीश होंगे ही होंगे।
नया कानून और विवाद
संसद ने दिसंबर 2023 में “मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, अधिकारी की शर्तें और कार्यकाल) विधेयक” पारित किया, जिसे राष्ट्रपति की सहमति मिलने पर कानून बना दिया गया। इस कानून में चयन समिति से भारत के मुख्य न्यायाधीश को हटाकर उनकी जगह प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री को शामिल किया गया। इस बदलाव के बाद सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएँ दायर की गईं, जिनमें इस कानून को अदालत के पूर्व आदेश की भावना के विरुद्ध बताया गया।
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
12 जनवरी, 2024 को न्यायमूर्ति संजीव खन्ना (अब मुख्य न्यायाधीश) और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने इस कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। अब सुप्रीम कोर्ट में इन याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई की जाएगी। दिलचस्प बात यह है कि मुख्य न्यायाधीश खुद इन याचिकाओं की सुनवाई से अलग हो गए हैं क्योंकि इनमें चयन समिति में उनके शामिल होने की मांग की गई है।
अब क्या हो सकता है?
- सुप्रीम कोर्ट कानून को संवैधानिक करार दे सकता है – यदि अदालत इस कानून को संविधान के अनुरूप मानती है, तो नियुक्ति प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं होगा।
- कानून में संशोधन का निर्देश – अदालत सरकार को समिति की संरचना में बदलाव का निर्देश दे सकती है।
- फिर से पुरानी प्रक्रिया बहाल हो सकती है – यदि अदालत को लगता है कि नया कानून निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता को प्रभावित कर रहा है, तो यह पिछले नियमों को बहाल कर सकती है।
महत्वपूर्ण सवाल जो आम लोग पूछ सकते हैं
- क्या चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया बदल गई है?
हां, नए कानून के तहत समिति से मुख्य न्यायाधीश को हटाकर उनकी जगह केंद्रीय मंत्री को शामिल किया गया है। - सुप्रीम कोर्ट इस कानून को रद्द कर सकता है?
हां, यदि अदालत को लगे कि यह संविधान के खिलाफ है, तो इसे रद्द किया जा सकता है। - इस कानून से चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर क्या असर पड़ेगा?
कुछ लोग मानते हैं कि सरकार के प्रभाव की संभावना बढ़ सकती है, जबकि सरकार इसे पारदर्शिता बढ़ाने वाला कदम बता रही है। - सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कब फैसला सुनाएगा?
अदालत जल्द ही इस पर अंतिम सुनवाई करेगी, जिसके बाद फैसला आने की उम्मीद है।
निष्कर्ष
चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता लोकतंत्र की आधारशिला है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस पूरे मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। देखते हैं कि आगे क्या होता है।
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