Published by :- Hritik Kumar
Updated on: Sunday, 23 Feb 2025
Success Story: टमाटर, जिसे हम आमतौर पर सलाद और सब्जी में इस्तेमाल करते हैं, अब फैशन इंडस्ट्री में क्रांति ला रहा है। भारत का एक स्टार्टअप ‘द बायो कंपनी’ (TBC) टमाटर के कचरे से बायो-लेदर (Bio-Leather) बना रहा है, जिसका इस्तेमाल जैकेट, बैग और जूतों में किया जा रहा है। इस इनोवेटिव और पर्यावरण-अनुकूल तकनीक से न केवल फैशन इंडस्ट्री में बदलाव आया है, बल्कि यह टिकाऊ फैशन के नए आयाम भी स्थापित कर रहा है।
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कैसे बनता है टमाटर से बायो-लेदर?
भारत में हर साल करीब 4.40 अरब टन टमाटर का उत्पादन होता है, जिसमें से 30-35% बर्बाद हो जाता है। इसी बर्बाद टमाटर के कचरे से ‘द बायो कंपनी’ बायो-लेदर तैयार करती है। इस प्रक्रिया में पॉलीयुरेथेन (PU) और पॉलीविनाइल क्लोराइड (PVC) का उपयोग नहीं किया जाता, जिससे यह पारंपरिक नकली चमड़े की तुलना में अधिक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल होता है।
टमाटर में मौजूद पेक्टिन और प्राकृतिक तत्व इसे मजबूत बनाते हैं, जिससे यह असली लेदर जैसा महसूस होता है। इस बायो-लेदर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पीयू/पीवीसी फ्री है, जो इसे बाजार में उपलब्ध अन्य सिंथेटिक लेदर से अलग बनाता है।
कौन हैं इस अनोखे स्टार्टअप के पीछे?
इस इनोवेटिव स्टार्टअप की शुरुआत 26 वर्षीय प्रीतेश मिस्त्री ने की थी। उन्होंने इसे ‘द बायो कंपनी’ (The Bio Company – TBC) के नाम से स्थापित किया, जो टमाटर के कचरे से टिकाऊ बायो-लेदर बना रही है।
2021 में, TBC को PETA वेगन फैशन अवॉर्ड्स में ‘बेस्ट इनोवेशन’ का पुरस्कार मिला था, जो इसकी सफलता का प्रमाण है।
बाजार में बढ़ती डिमांड और कमाई
बायो-लेदर की मांग सबसे ज्यादा फैशन, एक्सेसरीज़ और ऑटोमोटिव सेक्टर में हो रही है। कई इंटरनेशनल ब्रांड इस लेदर से जैकेट, बैग और जूते बना रहे हैं।
टोरंटो स्थित प्लांट-बेस्ड हैंडबैग ब्रांड ‘सतुहाटी’ की फाउंडर नताशा मंगवानी का कहना है, “बायो-लेदर पीयू/पीवीसी फ्री है और इसका प्लांट-बेस्ड ओरिजिन इसे खास बनाता है।”
हर महीने बन रहा 5,000 मीटर बायो-लेदर
फिलहाल, टीबीसी हर महीने करीब 5,000 मीटर बायो-लेदर का उत्पादन कर रही है। हालांकि, कंपनी की सालाना कमाई और टर्नओवर को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है, लेकिन जिस तरह से टिकाऊ फैशन का ट्रेंड बढ़ रहा है, आने वाले वर्षों में बायो-लेदर का मार्केट तेजी से आगे बढ़ेगा।
FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1: टमाटर से बायो-लेदर कैसे बनता है?
उत्तर: टमाटर के कचरे में मौजूद पेक्टिन और प्राकृतिक तत्वों का उपयोग करके बिना PU और PVC के बायो-लेदर बनाया जाता है, जो टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल होता है।
Q2: ‘द बायो कंपनी’ (TBC) की स्थापना किसने की?
उत्तर: ‘द बायो कंपनी’ की स्थापना 26 वर्षीय प्रीतेश मिस्त्री ने की थी।
Q3: बायो-लेदर का सबसे बड़ा फायदा क्या है?
उत्तर: बायो-लेदर पीयू/पीवीसी फ्री होने के कारण पर्यावरण के अनुकूल है और इसे बनाने में किसी भी जानवर को नुकसान नहीं पहुंचता।
Q4: ‘द बायो कंपनी’ हर महीने कितना बायो-लेदर बना रही है?
उत्तर: टीबीसी हर महीने 5,000 मीटर बायो-लेदर का उत्पादन कर रही है।
Q5: बायो-लेदर का इस्तेमाल किन-किन उत्पादों में किया जा रहा है?
उत्तर: बायो-लेदर का इस्तेमाल जैकेट, बैग, जूते और ऑटोमोटिव सेक्टर में किया जा रहा है।
निष्कर्ष:
टमाटर से बने बायो-लेदर ने फैशन इंडस्ट्री में क्रांति ला दी है। ‘द बायो कंपनी’ (TBC) का यह इनोवेशन पर्यावरण के प्रति जागरूकता और टिकाऊ फैशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रीतेश मिस्त्री की यह कहानी यह साबित करती है कि अगर नया सोचें और दृढ़ संकल्प हो, तो कुछ भी असंभव नहीं है। आने वाले समय में बायो-लेदर का ट्रेंड और भी बढ़ेगा, जिससे पर्यावरण के साथ-साथ फैशन की दुनिया भी एक नई दिशा में बढ़ेगी।
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