Published by :- Roshan Soni
Updated on: Saturday, 01 Feb 2025
Contents
- 1 महाकुंभ मेले में कैसे मच गई भगदड़? – न्यायिक आयोग का घटनास्थल पर दौरा और घायलों से पूछताछ
- 2 भगदड़ के पीछे का कारण क्या था?
- 3 न्यायिक आयोग की जांच और घटनास्थल का दौरा
- 4 आयोग का कहना: जांच जल्द पूरी की जाएगी
- 5 घायलों और मृतकों का आंकड़ा
- 6 प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
- 7 निष्कर्ष: महाकुंभ में भगदड़ की घटना पर आयोग की जांच
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महाकुंभ मेले में कैसे मच गई भगदड़? – न्यायिक आयोग का घटनास्थल पर दौरा और घायलों से पूछताछ
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेला 2025 में हुई भगदड़ ने न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर में भारी चिंता पैदा कर दी। महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजन में लाखों लोग इकट्ठा होते हैं, और ऐसे में किसी भी दुर्घटना का होना एक बड़ा खतरा बन सकता है। मंगलवार रात को हुई इस भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई और 60 लोग घायल हुए थे, जिनमें से कई गंभीर रूप से घायल हैं। इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग गठित किया है।

आयोग ने आज घटनास्थल का दौरा किया और घायलों से पूछताछ की। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति हर्ष कुमार की अध्यक्षता में गठित इस आयोग ने न केवल घायलों से बातचीत की, बल्कि घटनास्थल पर जाकर स्थिति का भी जायजा लिया। आयोग का कहना है कि वह मामले की पूरी जांच एक महीने के अंदर पूरी करेगा, लेकिन इसकी गति तेज की जाएगी। इस लेख में हम इस घटना के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे, साथ ही इस भगदड़ के पीछे के कारणों और न्यायिक आयोग द्वारा की जा रही जांच पर भी चर्चा करेंगे।
भगदड़ के पीछे का कारण क्या था?
महाकुंभ मेले के दौरान प्रयागराज के संगम नोज क्षेत्र में मंगलवार रात को भगदड़ मच गई थी, जिसमें 30 लोगों की मौत और 60 लोग घायल हो गए थे। पुलिस के मुताबिक, यह घटना उस वक्त हुई जब एक बड़ी भीड़ बैरिकेड को तोड़ते हुए दूसरे घाट की ओर बढ़ी। भीड़ का दबाव इतना ज्यादा था कि लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरने लगे, जिससे भगदड़ मच गई। यह घटना बेहद दर्दनाक थी, और इसके कारण भारी नुकसान हुआ।
पुलिस और प्रशासन का कहना है कि यह भगदड़ अत्यधिक भीड़ और बिना उचित प्रबंध के कारण मची। ऐसे बड़े धार्मिक आयोजनों में लोग कई किलोमीटर दूर से आकर एक ही जगह इकट्ठा होते हैं, और बिना किसी उचित व्यवस्था के अचानक भगदड़ जैसी घटनाएं हो जाती हैं। हालांकि, न्यायिक आयोग इस बात की जांच कर रहा है कि क्या प्रशासन की तरफ से पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई थी या नहीं।
न्यायिक आयोग की जांच और घटनास्थल का दौरा
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस घटना की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित किया था। इस आयोग की अध्यक्षता न्यायमूर्ति हर्ष कुमार कर रहे हैं, जो इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं। इसके अलावा, आयोग में पूर्व पुलिस महानिदेशक वी के गुप्ता और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी डी के सिंह शामिल हैं।
आयोग के सदस्य शुक्रवार को संगम नोज पहुंचे जहां भगदड़ मची थी। वहां उन्होंने घटनास्थल का दौरा किया और प्रशासन के अधिकारियों से जानकारी ली। इसके बाद आयोग के सदस्य एसआरएन अस्पताल पहुंचे जहां घायल लोग भर्ती थे। वहां उन्होंने घायलों और उनके तीमारदारों से बात की और घटना की पूरी जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की।
आयोग का कार्य जांच के दौरान यह जानना है कि क्या भगदड़ के कारणों को पहले से ही पहचाना जा सकता था, क्या प्रशासन ने पर्याप्त कदम उठाए थे और क्या मेला क्षेत्र में किसी प्रकार की लापरवाही हुई थी। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति हर्ष कुमार का कहना है कि उन्हें जांच के लिए एक महीने का समय दिया गया है, लेकिन वे पूरी कोशिश करेंगे कि यह जांच जल्द से जल्द पूरी हो।
आयोग का कहना: जांच जल्द पूरी की जाएगी
आयोग के एक सदस्य ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हमने घटनास्थल का दौरा किया है और घायलों से बातचीत की है। हम मामले की पूरी गंभीरता से जांच कर रहे हैं। हम इस घटना के हर पहलू की जांच करेंगे और एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देंगे।”
आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति हर्ष कुमार ने कहा कि यह घटना बहुत दुखद है, लेकिन यह साफ है कि इस प्रकार के आयोजनों में होने वाली दुर्घटनाओं के लिए कई कारक जिम्मेदार होते हैं। इस घटना की जांच में आयोग यह भी देखेगा कि क्या प्रशासन ने पहले से कोई कार्रवाई की थी या क्या कुछ सुधार की आवश्यकता थी।
घायलों और मृतकों का आंकड़ा
प्रारंभिक सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई और 60 लोग घायल हुए। मृतकों में ज्यादातर महिलाएं और वृद्ध लोग शामिल थे। घटनास्थल पर कई घायल लोगों को तुरंत चिकित्सा सहायता दी गई, और उन्हें नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया। एसआरएन अस्पताल में भर्ती घायल लोग इस घटना के बारे में अपनी आपबीती सुनाते हैं, और उनमें से कुछ का कहना है कि भगदड़ मचने के बाद उन्हें किसी प्रकार की मदद नहीं मिल पाई।
वहीं, प्रशासन ने यह भी दावा किया है कि इस घटना के बाद घटनास्थल पर स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया था और जल्द ही सुरक्षा व्यवस्था की जाती रही। हालांकि, ये बातें सवालों के घेरे में हैं, क्योंकि अगर स्थिति पहले से ही संभालने की कोशिश की जाती तो शायद इतनी बड़ी भगदड़ मचने से बचा जा सकता था।
प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा व्यवस्था सबसे अहम होती है। लाखों की संख्या में लोग एक साथ इकट्ठा होते हैं और अगर सुरक्षा व्यवस्था को उचित तरीके से नहीं संभाला जाए तो ऐसी घटनाएं हो सकती हैं। हालांकि, प्रशासन ने अब तक इस बात की कोई ठोस जानकारी नहीं दी है कि भगदड़ के समय क्या सुरक्षा व्यवस्था थी और क्या कोई पूर्व चेतावनी मिली थी।
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि ऐसे बड़े आयोजनों में बहुत ही सावधानी बरतने की आवश्यकता है। भारी भीड़ के बीच छोटे से लापरवाही की वजह से इस तरह की भगदड़ मच सकती है। यह जांच की जाएगी कि क्या प्रशासन ने इस आयोजन में पहले से सुरक्षा प्रबंध सही तरीके से किए थे।
निष्कर्ष: महाकुंभ में भगदड़ की घटना पर आयोग की जांच
महाकुंभ मेला में हुई भगदड़ एक गंभीर और दर्दनाक घटना थी। इस मामले की जांच के लिए गठित किया गया न्यायिक आयोग अब स्थिति का मूल्यांकन कर रहा है और एक महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट पेश करेगा। आयोग यह जांच करेगा कि भगदड़ मचने के क्या कारण थे, प्रशासन ने कितनी तैयारी की थी, और क्या भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए उपाय किए जा सकते हैं।
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FAQs (Frequently Asked Questions)
- महाकुंभ मेले में भगदड़ क्यों मची?
- भगदड़ तब मची जब बड़ी संख्या में लोग बैरिकेड तोड़कर दूसरी तरफ बढ़ने लगे, जिससे लोग एक-दूसरे के ऊपर गिर गए और भगदड़ मच गई।
- न्यायिक आयोग क्या कर रहा है?
- न्यायिक आयोग घटना की जांच कर रहा है और यह निर्धारित करेगा कि इस घटना के लिए कौन जिम्मेदार है और क्या प्रशासन ने सही तरीके से सुरक्षा व्यवस्था की थी।
- भगदड़ में कितने लोग मारे गए?
- इस भगदड़ में 30 लोग मारे गए और 60 लोग घायल हुए।
- क्या सरकार ने इस घटना के बाद कदम उठाए हैं?
- सरकार ने घटना के बाद जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित किया है और प्रशासन ने तुरंत घटनास्थल पर स्थिति को नियंत्रण में लिया।
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