Sahitya Academi Award 2024: महेश्वर सोरेन और बैष्णव चरण सामल को मिलेगा प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार
Published by: Roshan Soni
Updated on: Thursday, 19 Dec 2024
साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 की घोषणा के साथ ही ओडिशा से दो प्रमुख साहित्यकारों को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। महेश्वर सोरेन और प्रोफेसर बैष्णव चरण सामल को उनके अद्वितीय योगदान के लिए यह पुरस्कार मिलेगा। महेश्वर सोरेन को संताली नाटक ‘सेचड सावंता रेन अंडा मनमी’ और प्रोफेसर बैष्णव चरण सामल को ओड़िया निबंध ‘भूति भक्ति बिभूति’ के लिए यह सम्मान दिया जाएगा। दोनों साहित्यकारों का यह सम्मान उनकी निरंतरता, समर्पण और भारतीय साहित्य के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
महेश्वर सोरेन: संताली साहित्य में एक नई दिशा
महेश्वर सोरेन, जो वर्तमान में कटक (ओडिशा) के जगन्नाथपुर स्वास्थ्य केंद्र में फॉर्मेसी ऑफिसर के रूप में कार्यरत हैं, संताली साहित्य के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर माने जाते हैं। महेश्वर ने न केवल संताली नाटक ‘सेचड सावंता रेन अंडा मनमी’ का लेखन किया, बल्कि संताली फिल्मों के निर्माता और निर्देशक के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। उनके द्वारा बनाई गई फिल्में जैसे ‘दुलाड़ माया’ (2010) और ‘धोरोम दोरबार’ (2012) काफी चर्चित रही हैं।
महेश्वर का साहित्य लेखन न केवल उनके व्यक्तिगत अनुभवों का परिणाम है, बल्कि समाज के बड़े-बुजुर्गों से प्राप्त प्रेरणा का भी नतीजा है। वह नौवीं कक्षा से ही साहित्य सृजन में रुचि रखते थे और धीरे-धीरे नाटक, कविता और कहानियों के जरिए समाज के बदलावों और आवश्यकताओं पर ध्यान केंद्रित करने लगे। महेश्वर का मानना है कि साहित्य केवल लेखन नहीं है, बल्कि यह समाज को समृद्ध और जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।
बैष्णव चरण सामल: ओड़िया साहित्य के विद्वान
दूसरी ओर, प्रोफेसर बैष्णव चरण सामल को उनकी निबंध ‘भूति भक्ति बिभूति’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा जाएगा। प्रोफेसर सामल ओडिशा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं, जिन्हें 2009 में ओडिया साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने उत्कल विश्वविद्यालय और शांति निकेतन केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया और ओड़िया साहित्य में कई महत्वपूर्ण ग्रंथों का योगदान दिया। उनकी पुस्तकें जैसे ‘ओड़िया गल्प: उन्मेष और उच्चारण’ और ‘बैष्णव चरण सामल की रम्य रचनाएँ’ ओड़िया साहित्य में एक मील का पत्थर मानी जाती हैं।
प्रोफेसर सामल का साहित्य न केवल ओड़िया भाषा के साहित्यिक इतिहास को समृद्ध करता है, बल्कि यह ओड़िया लघुकथा की विकास यात्रा को भी दर्शाता है। उनकी आत्मकथा ‘जणे बणा बाटोईर कहानी’ भी उनके जीवन की संघर्ष और साहित्यिक यात्रा को सजीव करती है।
साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024: महत्वपूर्ण बातें
साहित्य अकादमी पुरस्कार भारतीय साहित्य की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। यह पुरस्कार पिछले पांच वर्षों (1 जनवरी 2018 से 31 दिसंबर 2022) में प्रकाशित पुस्तकों के लिए दिया जाता है। अकादमी हर साल 24 भारतीय भाषाओं के रचनाकारों को इस सम्मान से नवाजती है। पुरस्कार विजेताओं को 8 मार्च 2025 को एक भव्य समारोह में सम्मानित किया जाएगा। इस दौरान उन्हें एक लाख रुपये, एक उत्कीर्ण ताम्रफलक और शॉल प्रदान किया जाएगा।
महेश्वर सोरेन और प्रोफेसर बैष्णव चरण सामल का यह पुरस्कार भारतीय साहित्य में उनके अभूतपूर्व योगदान को मान्यता देने का एक बड़ा कदम है। इन दोनों साहित्यकारों की उपलब्धियाँ और समर्पण साहित्य की विविधता और समृद्धि को दर्शाते हैं।
निष्कर्ष
साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 के विजेता महेश्वर सोरेन और प्रोफेसर बैष्णव चरण सामल भारतीय साहित्य के महान रचनाकार हैं, जिनके योगदान को ससम्मान स्वीकार किया गया है। उनकी लेखनी और कार्यों ने न केवल अपनी भाषाओं को बल्कि पूरे भारतीय साहित्य को समृद्ध किया है। यह पुरस्कार भारतीय साहित्य में उनके योगदान की क़द्र करने का एक महान तरीका है और यह अन्य रचनाकारों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
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