Published by :- Roshan Kumar
Updated on: Thursday, 06 Feb 2025
Contents
अमेरिका से भारत लौटी अप्रवासी भारतीयों को बेड़ियों में भेजने पर हो रहे सवाल
हाल ही में, अमेरिका ने 104 भारतीय नागरिकों को अवैध अप्रवासी के तौर पर वापस भारत भेजने का फैसला किया। इस फैसले को लेकर विवाद गहरा गया है क्योंकि इन नागरिकों को हथकड़ी और जंजीरों में बांधकर एक सैन्य विमान से भारत भेजा गया। यह घटनाक्रम अमेरिका और भारत के रिश्तों के बीच नए सवाल खड़े कर रहा है, खासकर उन भारतीय नागरिकों के अधिकारों के बारे में जो अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे थे।
अमेरिका का यह कदम क्यों उठाया गया?
अमेरिका के अधिकारियों के अनुसार, ये सभी नागरिक अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे थे और उन्हें वापस भेजने का यह कदम अमेरिकी आंतरिक कानूनों के तहत लिया गया था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल में, अवैध अप्रवासियों को ‘एलियन’ और ‘आपराधिक’ करार दिया गया था। ट्रम्प प्रशासन के दौरान, ऐसे अप्रवासी नागरिकों के खिलाफ कठोर कदम उठाए गए थे और इस नीति को पूरी तरह से लागू किया गया था।
हालांकि, यह पहला मौका था जब अमेरिका ने अप्रवासी नागरिकों को सेना के विमान से वापस भेजने के लिए बेड़ियों में जकड़ कर भेजा। इससे पहले, ऐसे नागरिकों को सामान्य वाणिज्यिक विमानों के जरिए वापस भेजा जाता था, लेकिन अब यह तरीका बदल गया है।
भारत में इस फैसले पर प्रतिक्रियाएं
इस कदम पर भारत में कई प्रतिक्रियाएं सामने आईं हैं। पंजाब के प्रवासी मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने इस मामले पर निराशा जताई है। उन्होंने कहा कि ये नागरिक अमेरिका में काम कर रहे थे और उन्होंने वहां की अर्थव्यवस्था में योगदान दिया था। उन्हें स्थायी निवास देने की बजाय निर्वासन का यह कदम उठाना गलत था। कुलदीप सिंह ने कहा कि वह इस मुद्दे पर विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात करेंगे।
कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने इस फैसले को भारतीय नागरिकों का अपमान बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि भारतीय नागरिकों को इस तरह बेड़ियों में जकड़ कर भेजना दुखद है और यह न केवल मानवीय दृष्टिकोण से गलत है, बल्कि यह दोनों देशों के संबंधों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। पवन खेड़ा ने भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े की 2013 की घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि जब एक भारतीय अधिकारी को अमेरिकी अधिकारियों ने अपमानित किया था, तो देशवासियों को उस घटनाक्रम का भी दुख था।
क्या यह कदम न्यायपूर्ण था?
भारत के लिए यह कदम चौंकाने वाला था, क्योंकि यह सीधे तौर पर भारत के नागरिकों के अधिकारों पर सवाल उठा रहा था। अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाले भारतीय नागरिकों के प्रति यह कठोर रवैया केवल उनके कानूनी दर्जे को चुनौती नहीं दे रहा है, बल्कि यह दिखाता है कि अमेरिका के पास ऐसे अप्रवासियों के लिए कोई सहानुभूति नहीं है।
अमेरिका का यह कदम इस मुद्दे के साथ एक और सवाल उठाता है: क्या जिन देशों में भारतीय अप्रवासी काम कर रहे हैं, वे उन नागरिकों को पर्याप्त कानूनी संरक्षण प्रदान कर रहे हैं? भारत में यह सवाल इसलिए उठता है क्योंकि इन नागरिकों के पास कभी वर्क परमिट था, जो समाप्त हो जाने के बाद उन्हें अवैध अप्रवासी बना दिया। क्या अमेरिका सरकार इन नागरिकों को उचित समय देती, तो क्या वे अपनी स्थिति को सुधार सकते थे?
भारत सरकार का रुख
भारत सरकार ने अब तक इस कदम पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन कुलदीप सिंह धालीवाल जैसे नेताओं ने स्पष्ट रूप से इस फैसले की आलोचना की है। भारतीय मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की योजना यह दर्शाती है कि भारत इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और अवैध प्रवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाएगा।
इसमें कोई शक नहीं कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध महत्वपूर्ण हैं, लेकिन ऐसे मुद्दों पर दोनों देशों को संवेदनशीलता और आपसी समझ के साथ आगे बढ़ना चाहिए। भारत के नागरिकों को इस तरह अपमानित करना दोनों देशों के रिश्तों को प्रभावित कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद, अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस पर सवाल उठाने लगा है। कुछ अधिकार संगठनों ने अमेरिका के इस कदम को ‘मानवाधिकार का उल्लंघन’ करार दिया है। इन संगठनों का कहना है कि जिन नागरिकों को वापस भेजा गया, वे भी उस देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे थे, और उन्हें इस तरह अपमानित करना गलत है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs):
- अमेरिका ने भारतीय नागरिकों को हथकड़ी क्यों लगाई?
- अमेरिका ने इन्हें अवैध अप्रवासी मानते हुए सुरक्षा कारणों से हथकड़ी और जंजीरों में बांध कर वापस भेजा।
- क्या भारतीय नागरिकों को वापस भेजना गलत था?
- कई लोग इसे भारतीय नागरिकों का अपमान मानते हैं। उनका कहना है कि इन नागरिकों ने अमेरिका की अर्थव्यवस्था में योगदान दिया, इसलिए इन्हें स्थायी निवास दिया जाना चाहिए था।
- भारत सरकार इस मामले में क्या कदम उठा रही है?
- पंजाब के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की योजना बनाई है, ताकि इस मामले पर चर्चा की जा सके।
- कांग्रेस ने इस मामले पर क्या प्रतिक्रिया दी है?
- कांग्रेस ने इस कदम को भारतीय नागरिकों का अपमान और दुखद बताया। उन्होंने इसे दोनों देशों के रिश्तों के लिए नकारात्मक बताया है।
- क्या अमेरिका ने पहले भी ऐसे नागरिकों को अपमानित किया है?
- हां, 2013 में भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े को भी अमेरिका में अपमानित किया गया था, जब उन्हें हथकड़ी लगाई गई थी और स्ट्रिप सर्च किया गया था।
निष्कर्ष:
अमेरिका से भारत लौटे अप्रवासी भारतीयों के साथ जो हुआ, वह एक गंभीर मुद्दा बन गया है। यह न केवल भारतीय नागरिकों के अधिकारों को चुनौती देता है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच संवेदनशील मुद्दों को भी उजागर करता है। भारत को इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसे घटनाक्रमों से बचा जा सके।
यदि आपको हमारा कंटेंट अच्छा लगा हो, तो कृपया हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें और ऐसे और कंटेंट के लिए जुड़े रहें।
यह भी पढ़ें :-