By Roshan Soni
Edited By : Roshan Soni
Updated : Sat , 24 May 2025 6 : 00 AM (IST)
Contents
- 1 क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
- 2 निष्कर्ष
परिचय
भारत की सुरक्षा एजेंसियां एक बार फिर चर्चा में हैं, और इस बार वजह है – ऑपरेशन सिंदूर। इस ऑपरेशन ने न केवल पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों के अड्डों को तबाह किया, बल्कि दुनिया को ये दिखा दिया कि भारत अब आतंकवाद को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा।
22वें बीएसएफ अलंकरण समारोह में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस ऑपरेशन की जानकारी दी और सीधे-सीधे पाकिस्तान और बांग्लादेश को स्पष्ट संदेश भी दिया। आइए जानते हैं विस्तार से कि क्या है ऑपरेशन सिंदूर, बीएसएफ ने कैसे निभाई मुख्य भूमिका और क्यों यह भारत के सैन्य इतिहास का एक निर्णायक मोड़ बन चुका है।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
ऑपरेशन सिंदूर भारत की जवाबी कार्रवाई थी, जो 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू की गई। इस हमले में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 निर्दोष भारतीय पर्यटकों को बेरहमी से मार डाला। इसके बाद भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकियों के नौ ठिकानों को महज कुछ मिनटों में तबाह कर दिया।
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गृहमंत्री अमित शाह ने बीएसएफ जवानों की तारीफ करते हुए कहा,
“1971 में बांग्लादेश का निर्माण भारतीय सेना और बीएसएफ की बहादुरी का नतीजा है। आज भी BSF उसी साहस के साथ देश की सीमाओं की रक्षा कर रही है।”
यह बयान सीधे-सीधे बांग्लादेश और पाकिस्तान दोनों के लिए चेतावनी था कि भारत अपने इतिहास और बलिदानों को कभी नहीं भूलता।
ऑपरेशन सिंदूर में महिला जवानों की बहादुरी
शक्ति का अवतार बनीं महिला योद्धाएं
जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में तैनात बीएसएफ की महिला जवानों ने इस ऑपरेशन में असाधारण साहस दिखाया। उन्हें बटालियन मुख्यालय में स्थानांतरित होने का विकल्प दिया गया था, लेकिन उन्होंने लड़ाई के मैदान में डटे रहने का फैसला किया।
DIG वीरेंद्र दत्ता ने कहा,
“हमारी महिला जवान शक्ति का अवतार हैं। उन्होंने दुश्मन की 8 चौकियों और एक पाकिस्तानी पोस्ट को पूरी तरह नेस्तनाबूद कर दिया।”
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ऑपरेशन सिंदूर की सटीकता और घातकता का असर ये था कि पाकिस्तान की 75वीं इन्फैंट्री ब्रिगेड का कमांडर अपनी पोस्ट छोड़ मस्जिद में छिप गया। इंटरसेप्टेड कम्युनिकेशन में उसके जूनियर अधिकारी ने कहा,
“कमांडर साहब मस्जिद में नमाज पढ़ रहे हैं और तभी लौटेंगे जब माहौल शांत हो जाएगा।”
क्यों जरूरी था ऑपरेशन सिंदूर?
- पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को सख्त संदेश देना।
- पीओके में मौजूद आतंकी ठिकानों को नष्ट करना।
- भारत की आंतरिक सुरक्षा और वैश्विक छवि को मज़बूत करना।
- सीमा सुरक्षा बल और अन्य एजेंसियों की संयुक्त कार्रवाई क्षमता को दर्शाना।
अमित शाह का बयान: सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया
गृहमंत्री ने साफ कहा कि भारत ने केवल आतंकी ठिकानों पर हमला किया, नागरिक प्रतिष्ठानों पर एक भी गोली नहीं चलाई। ये भारत की सैन्य नैतिकता और रणनीतिक सटीकता का प्रमाण है।
बीएसएफ: सीमाओं की असली रक्षा पंक्ति
- स्थापना: 1965
- बल संख्या: 2.75 लाख+
- सीमा क्षेत्र: 6000+ किलोमीटर (पाकिस्तान और बांग्लादेश से सटी सीमाएं)
- संस्थापक: के.एफ. रुस्तमजी
बीएसएफ ने 1971 के युद्ध से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक हर मोर्चे पर अपना दमखम दिखाया है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q1. ऑपरेशन सिंदूर कब हुआ था?
Ans: 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के बाद यह ऑपरेशन शुरू किया गया था।
Q2. ऑपरेशन सिंदूर के तहत क्या किया गया?
Ans: भारत ने पीओके में 9 आतंकी ठिकानों को सटीक हमलों से तबाह कर दिया।
Q3. क्या इसमें बीएसएफ की भूमिका थी?
Ans: हां, BSF ने अग्रिम मोर्चे पर रहते हुए दुश्मन की चौकियों को नष्ट किया।
Q4. महिला जवानों की क्या भूमिका रही?
Ans: महिला जवानों ने मुख्य रूप से अग्रिम चौकियों पर डटी रहीं और उन्होंने मोर्चा संभाला।
Q5. क्या यह ऑपरेशन पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध था?
Ans: यह एक काउंटर-टेररिज्म मिशन था, जो केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर किया गया।
निष्कर्ष
ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की बदली हुई रणनीति का स्पष्ट संकेत है। अब भारत न केवल आतंकवादियों को मारता है, बल्कि उनके संरक्षकों को भी बेनकाब करता है। BSF, महिला जवानों और सभी सुरक्षाबलों का साहस सलाम के काबिल है।