महाकुंभ में हुई मौतों पर धीरेंद्र शास्त्री के विवादित बयान पर नेहा सिंह राठौर का तीखा पलटवार

Published by :- Roshan Soni
Updated on: Saturday, 01 Feb 2025


महाकुंभ में हुई मौतों पर धीरेंद्र शास्त्री का बयान: क्या ये बयान विवादों को जन्म देगा?

2025 के महाकुंभ में मची भगदड़ में हुई मौतों के बाद, बागेश्वर धाम के बाबा के नाम से प्रसिद्ध पंडित धीरेंद्र शास्त्री का एक बयान सामने आया है। उनका कहना था कि गंगा के किनारे मरने वाले लोगों को मोक्ष प्राप्त होता है। उनके इस बयान ने न सिर्फ श्रद्धालुओं के बीच बल्कि सोशल मीडिया पर भी बहस छेड़ दी। हालांकि, इस विवादित बयान पर लोक गायिका नेहा सिंह राठौर ने तीखा पलटवार करते हुए सवाल किया कि अगर ऐसा ही है, तो पंडित शास्त्री खुद उस भगदड़ में क्यों नहीं कूद पड़े?

                                           Credit as TV9 Bharatvarsh

 

यह लेख धीरेंद्र शास्त्री के बयान और नेहा सिंह राठौर के जवाब पर आधारित है, साथ ही इस मामले में उठ रहे धार्मिक और सामाजिक सवालों पर चर्चा करेगा।


धीरेंद्र शास्त्री का बयान: गंगा किनारे मरने वाला पाता है मोक्ष

महाकुंभ में हुई इस दुखद घटना पर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपने बयान में कहा, “गंगा के किनारे मरने वाले को मोक्ष मिलता है।” उनका कहना था कि मृत्यु सभी को आनी है, लेकिन अगर कोई गंगा के किनारे असमय मरता है, तो उसे मोक्ष मिल जाता है। उन्होंने इसे धार्मिक दृष्टिकोण से देखा और इसे एक शुभ अवसर के रूप में पेश किया। उनके मुताबिक, “यह घटना निंदनीय है, लेकिन जो गंगा के किनारे मरे हैं, उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ है।”

धीरेंद्र शास्त्री ने यह भी कहा कि संतों ने अपने भक्तों के ऊपर आने वाली विपत्तियों को सही ढंग से संभालने का उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने प्रशासन की भी तारीफ की, जिन्होंने 15 मिनट में भगदड़ को नियंत्रित किया और सरकार का धन्यवाद किया।


नेहा सिंह राठौर का तीखा पलटवार

धीरेंद्र शास्त्री के बयान पर लोक गायिका नेहा सिंह राठौर ने तीखा पलटवार किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “यह बाबा कह रहे हैं कि गंगा के किनारे भगदड़ में कुचल कर मारे गये लोगों को मोक्ष मिलेगा। अगर मोक्ष पाने का यही तरीका है, तो सारे VIP और यह बाबा भगदड़ में क्यों नहीं कूद पड़े?” उनके इस बयान में तीखा sarcasm था, जिसमें उन्होंने पंडित शास्त्री के बयान पर सवाल उठाया और उन्हें चुनौती दी कि यदि ऐसा सच है तो खुद क्यों नहीं उस भगदड़ में कूद पड़े।

नेहा के इस बयान ने शास्त्री के बयान पर गंभीर सवाल उठाए और सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को और भी ज्वलंत बना दिया।


क्या कहा था धीरेंद्र शास्त्री ने?

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने इस घटना के बारे में और भी कई बातें कही। उन्होंने कहा कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्रपुरी महाराज ने पहले ही प्रशासन को चेतावनी दी थी और कहा था कि इस समय कुछ अप्रिय घटना हो सकती है। उनके अनुसार, यह भगदड़ एक अप्रत्याशित घटना थी, लेकिन इस पर नियंत्रण पाना प्रशासन के लिए आसान नहीं था। उन्होंने प्रशासन की भी सराहना की कि 15 मिनट में भगदड़ को कंट्रोल किया गया।

शास्त्री ने आगे कहा, “हमें अपनी श्रद्धा को डिगने नहीं देना है। बहुत से हिन्दुओं के अंदर खोट है, लेकिन इस घटना को निंदनीय मानते हुए हम इसे ईश्वर की इच्छा मानते हैं।”


कुम्भ मेला और भगदड़ का मामला

महाकुंभ हर 12 साल में आयोजित होता है और लाखों श्रद्धालु इस अवसर पर प्रयागराज में गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए आते हैं। इस बार भी भगदड़ की घटना ने कई जानें ले लीं, जो हर किसी के लिए दुखद थी। हालांकि, इस घटना को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, जैसे:

  1. क्या प्रशासन ने सही तैयारी की थी? इस पर लगातार बहस हो रही है। कई लोगों का मानना है कि प्रशासन को इससे पहले सतर्क हो जाना चाहिए था, जबकि कुछ का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के बीच इस तरह की घटना को रोकना मुश्किल था।
  2. क्या धार्मिक नेताओं का बयान उचित था? पंडित धीरेंद्र शास्त्री का बयान इस घटना के बाद आया, जो कुछ लोगों के लिए ताज्जुब और विवाद का कारण बना। उनके बयान को कई लोग आलोचना कर रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसे धार्मिक दृष्टिकोण से सही मानते हैं।
  3. नेहा सिंह राठौर की प्रतिक्रिया: नेहा सिंह राठौर का सवाल यह उठाता है कि जब बात मोक्ष की है, तो यह पंडित शास्त्री और अन्य VIP व्यक्तियों को क्यों नहीं प्रभावित करता। यह सवाल सोशल मीडिया पर और भी बढ़ गया है।

धीरेंद्र शास्त्री के बयान के धार्मिक पहलू पर चर्चा

धीरेंद्र शास्त्री का बयान धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। भारत में गंगा को एक पवित्र नदी माना जाता है, और गंगा में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति की जाती है। ऐसे में उनके बयान को कुछ लोग धार्मिक दृष्टिकोण से सही मान सकते हैं, जबकि अन्य इसे भावनाओं से खेलने के रूप में देख सकते हैं।

गंगा किनारे मृत्यु को मोक्ष मिलने का विचार हिंदू धर्म के एक विशेष पहलू से जुड़ा है, जहां गंगा के पानी में अंतिम संस्कार करने से व्यक्ति के पाप समाप्त हो जाते हैं। हालांकि, इस घटना में हुई मौतों को महज एक धार्मिक कृत्य के रूप में देखना बहुत लोगों के लिए असहज हो सकता है, क्योंकि यह एक आकस्मिक घटना थी, और इसमें अनगिनत परिवारों की दुनिया उजड़ गई है।


समाज और मीडिया पर असर

इस विवादित बयान का प्रभाव मीडिया और समाज पर भी पड़ा है। नेहा सिंह राठौर का सवाल और उनके सोशल मीडिया पोस्ट ने बहुत ध्यान आकर्षित किया है। उनका यह सवाल भारतीय समाज में बहुत बड़ी बहस का कारण बन सकता है कि क्या धार्मिक व्यक्तित्व को समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का अहसास है या नहीं। विशेष रूप से जब ऐसी घटनाओं में लोगों की जान जाती है, तो नेताओं का बयान कितना संवेदनशील होना चाहिए, यह सवाल अब उठने लगा है।


निष्कर्ष

महाकुंभ में हुई भगदड़ में हुई मौतों के बाद पंडित धीरेंद्र शास्त्री का बयान और नेहा सिंह राठौर का पलटवार भारतीय समाज में महत्वपूर्ण सवालों को जन्म दे रहे हैं। एक ओर जहां शास्त्री इसे धार्मिक दृष्टिकोण से सही मानते हैं, वहीं राठौर ने इसे एक चुनौती के रूप में देखा और सवाल उठाया कि अगर मोक्ष पाने का यही तरीका है, तो क्यों न सभी इसके लिए तैयार हों?

इस पूरे घटनाक्रम ने धर्म, राजनीति और समाज के बीच जटिल संबंधों को उजागर किया है, और आने वाले दिनों में यह मुद्दा और भी चर्चा का विषय बनेगा।


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