Published by :- SOURAV KUMAR
Updated on: Thursad, 21 Jan 2025
Contents
- 1 बांग्लादेश में बदलता राजनीतिक संतुलन
- 2 आईएसआई प्रमुख का बांग्लादेश दौरा और रक्षा संबंधों की मजबूती
- 3 पाकिस्तानियों के लिए वीजा प्रक्रिया में सरलता
- 4 1971 के मुद्दों का निपटारा
- 5 भारत के लिए क्यों चिंता की बात?
- 6 पाकिस्तान को क्या फायदा?
- 7 भारत की क्या रणनीति होनी चाहिए?
- 8 निष्कर्ष
- 9 FAQs: पाकिस्तान-बांग्लादेश की बढ़ती दोस्ती और भारत पर प्रभाव
बांग्लादेश में बदलता राजनीतिक संतुलन
बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के जाने के बाद से देश में राजनीतिक और रणनीतिक बदलाव देखने को मिल रहे हैं। इस बदलाव ने दक्षिण एशिया में भारत के लिए नई चुनौतियां पैदा कर दी हैं। बांग्लादेश अब पाकिस्तान के साथ नजदीकियां बढ़ा रहा है। इन दोनों देशों की दोस्ती से क्षेत्रीय समीकरण बदलते दिख रहे हैं। हसीना सरकार के बाहर होने के बाद बांग्लादेश भारत के प्रभाव से खुद को दूर करने की कोशिश कर रहा है और पाकिस्तान के साथ राजनीतिक, सैन्य और आर्थिक संबंधों को मजबूत कर रहा है।
आईएसआई प्रमुख का बांग्लादेश दौरा और रक्षा संबंधों की मजबूती
हाल ही में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आसिफ मलिक ने बांग्लादेश का दौरा किया। इस दौरे को दोनों देशों के बीच बढ़ती नजदीकियों का प्रतीक माना जा रहा है। इससे पहले बांग्लादेश के उच्च रैंकिंग सैन्य अधिकारी जनरल एसएम कमरुल हसन ने पाकिस्तान जाकर वहां के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से मुलाकात की थी। यह संकेत देता है कि दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को नई ऊंचाई पर ले जाने की कोशिश हो रही है।
सूत्रों के अनुसार, बांग्लादेश पाकिस्तान से जेएफ-17 फाइटर जेट खरीदने पर विचार कर रहा है। इससे पहले चीन से फाइटर जेट खरीदने की चर्चा हो रही थी। इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और चीन के साथ अपने संबंधों को प्रगाढ़ करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
पाकिस्तानियों के लिए वीजा प्रक्रिया में सरलता
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पाकिस्तान के साथ व्यापारिक और आर्थिक संबंधों को बढ़ाने के लिए वीजा प्रक्रिया को सरल बना दिया है। मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार इस्लामाबाद के साथ संबंधों को बेहतर बनाने के लिए तत्पर है। दोनों देशों ने व्यापार और निवेश को प्राथमिकता दी है। पिछले दशक में इनके संबंध संतोषजनक नहीं रहे, लेकिन अब दोनों देश अपने मतभेदों को भुलाकर नई शुरुआत कर रहे हैं।
1971 के मुद्दों का निपटारा
बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध से जुड़े मुद्दों को हमेशा के लिए सुलझाने की बातचीत चल रही है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने पाकिस्तान से आग्रह किया है कि इन मुद्दों को सुलझाकर आगे बढ़ा जाए। यह प्रयास दोनों देशों के बीच बेहतर कूटनीतिक संबंध स्थापित करने के लिए किया जा रहा है।
भारत के लिए क्यों चिंता की बात?
बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकियां भारत के लिए कई चुनौतियां पेश कर सकती हैं।
- भारत विरोधी गतिविधियों में इजाफा:
- विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान बांग्लादेश की जमीन का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए कर सकता है।
- हिज्बुल, लश्कर-ए-तैयबा, और जमात-उल-मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों की गतिविधियों में बढ़ोतरी की संभावना है।
- नॉर्थ-ईस्ट में अशांति:
- पाकिस्तान और चीन की यह रणनीति हो सकती है कि पूर्वोत्तर भारत में अशांति फैलाकर अस्थिरता पैदा की जाए।
- आर्थिक और व्यापारिक प्रभाव:
- बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था काफी हद तक भारत पर निर्भर है। इसका टेक्सटाइल उद्योग भारतीय कच्चे माल पर आधारित है। अगर बांग्लादेश पाकिस्तान और चीन की तरफ झुकता है, तो इसका असर व्यापारिक संबंधों पर पड़ेगा।
- अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले:
- बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जाना भारत के लिए चिंता का विषय है।
पाकिस्तान को क्या फायदा?
पाकिस्तान के लिए बांग्लादेश के साथ संबंध मजबूत करना रणनीतिक रूप से फायदेमंद हो सकता है।
- आर्थिक लाभ: बांग्लादेश पाकिस्तान के लिए एक बड़ा बाजार बन सकता है। दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार 71.8 करोड़ डॉलर तक पहुंच चुका है।
- भारत को घेरने की रणनीति: पाकिस्तान, बांग्लादेश के साथ संबंध मजबूत करके भारत को कूटनीतिक और रणनीतिक रूप से कमजोर करने की कोशिश कर रहा है।
भारत की क्या रणनीति होनी चाहिए?
- संबंधों को मजबूत करना: भारत को बांग्लादेश के साथ अपने रिश्तों को मजबूत बनाए रखने के लिए कूटनीतिक प्रयास करने चाहिए।
- आर्थिक सहयोग बढ़ाना: भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि बांग्लादेश को उसकी आर्थिक जरूरतें पूरी करने में कोई दिक्कत न हो।
- सुरक्षा उपाय: भारत को अपनी सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को सतर्क रखना होगा ताकि पाकिस्तान और बांग्लादेश की नजदीकियों से उत्पन्न खतरों का सामना किया जा सके।
निष्कर्ष
पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ती नजदीकियां दक्षिण एशिया के लिए एक नए युग की शुरुआत कर रही हैं। यह भारत के लिए एक चुनौती है, जिसे कूटनीतिक, रणनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से संभालने की आवश्यकता है। भारत को सतर्क रहते हुए अपनी नीतियों में बदलाव करना होगा ताकि क्षेत्रीय संतुलन भारत के पक्ष में बना रहे।
FAQs: पाकिस्तान-बांग्लादेश की बढ़ती दोस्ती और भारत पर प्रभाव
प्रश्न 1: बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकियों का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पाकिस्तान के साथ आर्थिक और रक्षा संबंध मजबूत करने की पहल की है। इसके अलावा, 1971 के मुद्दों को सुलझाने पर बातचीत ने इन नजदीकियों को और बढ़ावा दिया है।
प्रश्न 2: पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच रक्षा सहयोग भारत के लिए क्यों चिंताजनक है?
उत्तर: अगर बांग्लादेश पाकिस्तान से रक्षा उपकरण खरीदता है और दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग बढ़ता है, तो यह भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय संतुलन के लिए चुनौती बन सकता है।
प्रश्न 3: बांग्लादेश में हसीना सरकार के जाने से भारत-बांग्लादेश संबंधों पर क्या असर पड़ा?
उत्तर: हसीना सरकार के जाने के बाद, भारत और बांग्लादेश के रिश्ते कमजोर हो रहे हैं। बांग्लादेश अब पाकिस्तान और चीन जैसे देशों की ओर झुकाव दिखा रहा है।
प्रश्न 4: बांग्लादेश में आईएसआई चीफ के दौरे का क्या उद्देश्य था?
उत्तर: आईएसआई चीफ के दौरे का उद्देश्य बांग्लादेश के सैन्य और राजनीतिक अधिकारियों के साथ संबंध मजबूत करना और खुफिया सहयोग बढ़ाना हो सकता है।
प्रश्न 5: भारत के खिलाफ बांग्लादेश और पाकिस्तान की नजदीकियां कैसे खतरा पैदा कर सकती हैं?
उत्तर: दोनों देशों की नजदीकियां भारत के खिलाफ खुफिया गतिविधियों और सीमा पर अशांति को बढ़ावा दे सकती हैं। यह भारत के नॉर्थ-ईस्ट क्षेत्र की सुरक्षा के लिए विशेष रूप से चिंताजनक है।
प्रश्न 6: बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच व्यापार कैसे प्रभावित हो रहा है?
उत्तर: 2023-24 में दोनों देशों के बीच व्यापार 71.8 करोड़ डॉलर तक पहुंचा। वीजा प्रक्रिया में सरलता और निवेश बढ़ाने की योजनाएं व्यापारिक संबंधों को और मजबूत कर रही हैं।
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