Published by: Roshan Soni
Updated on: Wednesday, 18 Dec 2024
नाना पाटेकर ने अपनी दिवंगत पिता से अपने भावनात्मक संबंध, उन्हें आर्थिक मदद न दे पाने का अफसोस और पिता-बेटे के रिश्ते पर आधारित फिल्म “वनवास” में अपनी भूमिका पर खास बातचीत की।
नई दिल्ली: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता नाना पाटेकर ने अपनी आगामी फिल्म वनवास के रिलीज से पहले दैनिक भास्कर से एक विशेष बातचीत की। इस फिल्म के निर्देशक अनिल शर्मा हैं, जिन्होंने पहले गदर 2 जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्म बनाई थी। वनवास पिता-बेटे के रिश्ते पर आधारित एक गहरी फिल्म है, जिसमें नाना पाटेकर और अनिल शर्मा के बेटे उत्कर्ष शर्मा मुख्य भूमिका में हैं। यह फिल्म 20 दिसंबर को रिलीज होने वाली है और यह परिवारिक रिश्तों और समाज में हो रहे बदलावों पर गंभीर चर्चा करती है।
नाना पाटेकर का अपने पिता के प्रति अफसोस
नाना पाटेकर ने अपनी बातचीत में बताया कि उनके लिए यह बहुत दर्दनाक था कि वे अपने पिता की आर्थिक मदद नहीं कर पाए। हालांकि उन्होंने अपने करियर में सफलता हासिल की थी, लेकिन इससे पहले ही उनके पिता का निधन हो गया। उन्होंने बताया कि उनके पिता का निधन एक म्युनिसिपल हॉस्पिटल में हुआ था, और उस समय उन्हें दवाई के पैसे भी नहीं थे। उन्होंने अपने दोस्तों का धन्यवाद किया, जिन्होंने उस समय उनकी मदद की थी।
“मुझे हमेशा यह लगा कि मेरे पिता मुझे अपने दो भाइयों से कम प्यार करते थे, लेकिन यह सिर्फ मेरा भ्रम था। उनके निधन से कुछ साल पहले हम अच्छे दोस्त बन गए थे, और मुझे इस बात का गहरा अफसोस है कि मैंने उन्हें कुछ नहीं दिया,” नाना ने भावुक होकर कहा।
वनवास में पिता-बेटे के रिश्ते का महत्व
वनवास फिल्म में नाना पाटेकर के किरदार की विशेषता यह है कि यह फिल्म बच्चों और माता-पिता के रिश्ते को एक नए नजरिए से दिखाती है। पाटेकर ने बताया कि आजकल बच्चों के पास अपने माता-पिता के साथ समय बिताने का समय नहीं है, और वह खुद नहीं जानते कि आखिरी बार उन्होंने अपने पिता को कब छुआ था। उन्होंने इसे “पारस पत्थर” की तरह बताया, जो बच्चों को बेहतर इंसान बना सकता है यदि वे अपने माता-पिता से प्यार और ध्यान दिखाएं।
समाज और पारिवारिक मूल्यों पर वनवास की छाप
पाटेकर के अनुसार, वनवास सिर्फ एक फिल्म नहीं है, बल्कि यह समाज में पारिवारिक रिश्तों की कमजोरी और बदलते समय पर एक गंभीर टिप्पणी है। यह फिल्म यह दिखाती है कि आजकल के तेज़-तर्रार समाज में परिवारों के बीच संवाद की कमी हो गई है। पाटेकर ने यह भी बताया कि मां-बाप के काम को हमें समझना चाहिए और उनके योगदान को महत्व देना चाहिए।
“खाना बनाना पुण्य का काम है, और हमें इसे अधिक महत्व देना चाहिए। हमारी मां सदियों से ऐसा करती आई हैं, लेकिन हम उन्हें कभी आभारी नहीं होते,” उन्होंने कहा।
वनवास की शूटिंग के दौरान के अनुभव
शूटिंग के दौरान नाना पाटेकर ने बताया कि उन्होंने बनारस और शिमला जैसे स्थलों पर फिल्म की शूटिंग की। फिल्म की पूरी टीम के साथ उनके संबंध बहुत अच्छे थे, और उन्होंने लगभग 200 क्रू मेंबर्स के लिए खाना भी बनाया। “खाना खिलाना पुण्य का कार्य है। हमारी माताएं इसे सदियों से करती आई हैं, और हमें इसका आभार दिखाना चाहिए,” पाटेकर ने मजाकिया अंदाज में कहा।
बॉलीवुड में बदलाव पर नाना पाटेकर की राय
नाना पाटेकर ने बॉलीवुड के बदलते परिदृश्य पर भी चर्चा की और कहा कि आजकल के कमर्शियल सिनेमा में हिंसा बढ़ गई है। उन्होंने चिंता जताई कि इस प्रकार की फिल्मों से समाज पर गलत प्रभाव पड़ सकता है। “सिनेमा सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं होना चाहिए, बल्कि यह समाज को सकारात्मक संदेश देने का भी माध्यम होना चाहिए,” पाटेकर ने कहा।
वनवास – एक नई उम्मीद
नाना पाटेकर ने फिल्म वनवास की सफलता के बारे में भी अपनी उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि फिल्म दर्शकों को जरूर पसंद आएगी और वे इसे बार-बार देखेंगे। उन्होंने उत्कर्ष शर्मा के अभिनय को भी सराहा और कहा कि इस फिल्म के बाद वह इंडस्ट्री में एक नया स्टार बनेंगे। “फिल्म देखने के बाद आप मुझे और अनिल शर्मा से सवाल करेंगे कि उन्होंने यह फिल्म कैसे बनाई,” पाटेकर ने हंसी के साथ कहा।
जैसे ही नाना पाटेकर अपनी फिल्म वनवास के रिलीज के लिए तैयार हैं, दर्शक उनकी नई भूमिका को लेकर उत्साहित हैं। यह फिल्म न सिर्फ मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह हमें परिवार और रिश्तों के महत्व को फिर से समझाने का एक अवसर देती है। 20 दिसंबर को रिलीज होने वाली यह फिल्म एक गहरी सोच और संदेश के साथ दर्शकों के दिलों को छूने के लिए तैयार है।
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