By Roshan Soni
Edited By : Roshan Soni
Updated : Mon , 26 May 2025
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Contents
- 1 🔷 परिचय: इस साल मानसून ने चौंकाया!
- 2 🔷 क्या मानसून जल्दी आने से फायदा होगा?
- 3 🔷 निष्कर्ष (Conclusion)
🔷 परिचय: इस साल मानसून ने चौंकाया!
भारत में 2025 का मानसून समय से आठ दिन पहले केरल में 24 मई को पहुंच गया। सामान्यत: मानसून 1 जून को केरल में दस्तक देता है, लेकिन इस बार यह 2009 के बाद सबसे जल्दी आया है। मौसम विभाग (IMD) की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार मानसून तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है और जल्द ही महाराष्ट्र, कर्नाटक, पूर्वोत्तर और उत्तर भारत तक पहुंच सकता है।
🔷 मानसून क्या होता है? | What is Monsoon in Hindi
“मानसून” शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के ‘मौसिम’ शब्द से हुई है, जिसका अर्थ होता है ‘ऋतु’ या ‘मौसम’। इसे अंग्रेजी में Reversal of Wind कहा जाता है। मानसून वह जलवायु प्रक्रिया है जिसमें हवाओं की दिशा 120° से लेकर 180° तक पलट जाती है और ये हवाएं समुद्र से धरती की ओर चलती हैं, जिससे भारी बारिश होती है।
🔷 भारत में मानसून के दो मुख्य प्रकार
- दक्षिण-पश्चिम मानसून (Southwest Monsoon) – यह जून से सितंबर तक चलता है और देश में 70% से अधिक वर्षा देता है।
- उत्तर-पूर्व मानसून (Northeast Monsoon) – यह अक्टूबर-नवंबर में तमिलनाडु और दक्षिण भारत में बारिश लाता है।
🔷 इस साल मानसून जल्दी क्यों आया?
✅ मौसम विज्ञानियों के अनुसार इसके पीछे ये कारण रहे:
- अल नीनो और ला नीना प्रभाव
- इस बार ला नीना (La Nina) प्रभाव सक्रिय है, जिससे समुद्र का तापमान ठंडा रहा और मानसून को तेजी मिली।
- मैडन-जूलियन ऑसिलेशन (MJO)
- यह वायुमंडलीय हलचल है जो मानसून सिस्टम को और मजबूत बनाती है।
- सोमाली जेट
- पूर्वी अफ्रीका से चलने वाली यह हवा अरब सागर में नमी ला रही है, जिससे मानसून तेज हुआ।
- मस्करेन हाई
- दक्षिण हिंद महासागर में बना यह हाई-प्रेशर ज़ोन मानसून को पश्चिमी तट पर जोरदार बनाता है।
- कन्वेक्शन एक्टिविटी
- वायुमंडल में गर्म हवा और नमी की ऊर्ध्व गति ने मानसून को आगे बढ़ाने में मदद की।
🔷 IMD की मानसून घोषणा कैसे होती है?
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) मानसून के आगमन की पुष्टि के लिए तीन प्रमुख मानकों को देखता है:
मानक | विवरण |
---|---|
1. | केरल के 14 स्टेशनों में से 60% पर लगातार दो दिन तक ≥ 2.5 mm वर्षा |
2. | पश्चिमी हवाएं 15–20 नॉट की गति से चलें |
3. | OLR (Outgoing Longwave Radiation) 200 W/m² से कम हो |
🔷 मानसून की सामान्य और 2025 की वास्तविक एंट्री तिथि
स्थान | सामान्य तिथि | 2025 की तिथि |
---|---|---|
पोर्ट ब्लेयर | 21 मई | 15-16 मई |
तिरुवनंतपुरम | 1 जून | 24 मई |
कोच्चि | 1 जून | 24 मई |
बेंगलुरु | 3 जून | 24 मई |
करवार | 5 जून | 24 मई |
स्रोत: IMD
🔷 भारत में मानसून कैसे फैलता है?
मानसून की हवाएं अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आती हैं:
- अरब सागर शाखा – केरल, महाराष्ट्र, गुजरात होते हुए राजस्थान तक जाती है।
- बंगाल की खाड़ी शाखा – पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, और उत्तराखंड तक जाती है।
🔷 मानसून की ताज़ा स्थिति (मई 2025)
- मानसून केरल से लेकर महाराष्ट्र तक पहुंच गया है।
- गोवा, कर्नाटक, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड में भी मानसून पहुंच गया है।
- महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में भारी बारिश शुरू हो गई है।
- बेंगलुरु, तमिलनाडु, तेलंगाना में तेज हवाओं के साथ बारिश का अनुमान है।
🔷 IMD का अलर्ट: कहां-कहां होगी भारी बारिश?
✅ केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र
- 40-50 किमी/घंटा की तेज हवाएं
- भारी से अति भारी वर्षा
✅ पूर्वोत्तर भारत:
- अरुणाचल प्रदेश, असम, मिजोरम में 27–31 मई के बीच भारी वर्षा
✅ मध्य भारत:
- छत्तीसगढ़, विदर्भ, ओडिशा, झारखंड में आंधी-तूफान
✅ उत्तर भारत:
- उत्तराखंड, हिमाचल में 27–31 मई तक बारिश और ओले गिरने की संभावना
- राजस्थान में धूलभरी आंधी
🔷 मानसून से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)
❓Q1: मानसून इतनी जल्दी क्यों आया?
उत्तर: ला नीना प्रभाव, सोमाली जेट, और समुद्री सतह का तापमान कम होने के कारण इस बार मानसून जल्दी पहुंचा।
❓Q2: मानसून की सामान्य एंट्री डेट क्या होती है?
उत्तर: 1 जून को केरल में, और जुलाई तक पूरे देश में फैलता है।
❓Q3: क्या जल्दी मानसून का मतलब ज्यादा बारिश है?
उत्तर: जरूरी नहीं। बारिश का पैटर्न कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे ट्रफ लाइन, MJO, SST इत्यादि।
❓Q4: मानसून की शुरुआत की घोषणा कैसे होती है?
उत्तर: IMD कुछ विशेष मौसम मापदंडों जैसे बारिश की मात्रा, हवाओं की दिशा और OLR डेटा के आधार पर करता है।
🔷 क्या मानसून जल्दी आने से फायदा होगा?
✅ फायदे:
- किसान समय से खेती की तैयारी कर सकेंगे।
- जलाशयों और भूजल स्तर में वृद्धि।
- गर्मी से राहत।
❌ नुकसान:
- कुछ क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा।
- फसलों को ज्यादा नमी से नुकसान।
🔷 निष्कर्ष (Conclusion)
मानसून केवल बारिश नहीं, बल्कि भारत के लिए एक जीवनरेखा है। इस बार इसका जल्दी आना एक दिलचस्प मौसमीय घटना है जिसका कृषि, जल संसाधन और ऊर्जा पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। हमें इसके बदलाव को समझना और अनुकूलन करना बेहद जरूरी है।
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