अनुराधा पौडवाल: भक्ति गीतों की साधिका और, एक सफर की कहानी
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- अनुराधा पौडवाल का जन्म 27 अक्टूबर, 1954 को कर्नाटक के कारवार में हुआ था
- उन्हें ‘भजन क्वीन’ और ‘मेलोडी क्वीन’ जैसे खिताब मिले हैं
- उन्होंने कई भाषाओं में 9,000 से ज़्यादा गाने और 1,500 से ज़्यादा भजन रिकॉर्ड किए हैं
- अनुराधा पौडवाल ने संगीत की कोई ट्रेनिंग नहीं ली थी. उन्होंने लता मंगेशकर और आशा भोसले जैसे दिग्गज सिंगर्स के गानों पर रियास करके सीख लिया था
- अनुराधा पौडवाल ने साल 1969 में अरुण पौडवाल से शादी की थी. अरुण पौडवाल एसडी बर्मन के असिस्टेंट और एक म्यूज़िक कंपोज़र थे
- अनुराधा पौडवाल ने फ़िल्मों में कई सुपरहिट गाने दिए हैं. उनका पहला सुपरहिट गाना ‘तू मेरा दिलबर है’ था
- अनुराधा पौडवाल ने 16 मार्च, 2024 को भारतीय जनता पार्टी में शामिल होकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की
मशहूर गायिका अनुराधा पौडवाल के पारिवारिक जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें
- अनुराधा पौडवाल का जन्म 27 अक्टूबर, 1952 को कर्नाटक के करवार में एक मराठी भाषी परिवार में हुआ था. उनका असली नाम अलका नाडकर्णी था.
- अनुराधा की शादी संगीतकार अरुण पौडवाल से हुई थी. अरुण, एसडी बर्मन के असिस्टेंट थे और खुद भी एक म्यूज़िक कंपोज़र थे
- अनुराधा और अरुण के दो बच्चे थे – आदित्य और कविता. कविता भी पेशे से गायिका हैं
- अरुण पौडवाल की अचानक मौत के बाद, अनुराधा अकेली पड़ गईं और उन्हें बच्चों की देखभाल करनी पड़ी
- इसी दौरान उनकी मुलाकात म्यूज़िक कंपनी ‘टी-सीरीज़’ के मालिक गुलशन कुमार से हुई. गुलशन ने अनुराधा को कई गाने दिए और वह सफलता की सीढ़ियां चढ़ने लगीं
- 12 सितंबर, 2020 को अनुराधा के बेटे आदित्य की किडनी फ़ेल होने से उनका निधन हो गया
आइए जानते हैं अनुराधा पौडवाल के इस प्रेरणादायक जीवन के हर पहलू को।
- अनुराधा पौडवाल भारतीय संगीत की एक मशहूर गायिका हैं
- जिन्होंने बॉलीवुड में रोमांटिक और भक्ति गीतों से अपनी अमिट छाप छोड़ी।
- अनुराधा का जीवन संघर्ष, समर्पण, और संगीत के प्रति अनोखी निष्ठा से भरा हुआ है।
- उनकी आवाज़ की मिठास और भक्ति गीतों में संजीदगी ने उन्हें एक अलग पहचान दी है।
- 90 के दशक में उन्हें लता मंगेशकर और आशा भोंसले जैसी गायिकाओं के समकक्ष देखा जाने लगा था,
- परंतु भक्ति गीतों की ओर मुड़ने के कारण उनका करियर ढलान की ओर चला गया।
शुरुआती जीवन और करियर की शुरुआतअनुराधा का जन्म मुंबई के एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ। बचपन से ही संगीत और फिल्मों की ओर झुकाव था। उनका बॉलीवुड में सफर 1973 में फिल्म ‘अभिमान’ से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने जया बच्चन के लिए एक श्लोक गीत गाया। इसी के साथ अनुराधा ने हिंदी सिनेमा में कदम रखा। इसके बाद, 1976 में फिल्म ‘कालीचरण’ में गाना गाया और सोलो गाने की शुरुआत ‘आप बीती’ फिल्म से की। इस फिल्म का संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने दिया था।
- अनुराधा पौडवाल ने अपने करियर की शुरुआत साल 1973 में आई फ़िल्म ‘अभिमान’ से की थी
- उन्होंने फ़िल्म ‘आप बीती’ से एकल गाने गाए थे
- अनुराधा पौडवाल ने फ़िल्मों के अलावा भजन और कई एलबम भी दिए हैं
- उन्होंने कई फ़िल्मों के लिए हिट गाने दिए हैं, जैसे कि ‘सड़क’, ‘आशिकी’, ‘लाल दुपट्टा मलमल का’, ‘बहार आने तक’, ‘आई मिलन की रात’, ‘दिल है कि मानता नहीं’
- अनुराधा पौडवाल को ‘भजन क्वीन’ और ‘मेलोडी क्वीन’ जैसे खिताब मिले हैं
- उन्होंने कई भाषाओं में गाने गाए हैं, जैसे कि गुजराती, हिन्दी, कन्नड़, मराठी, संस्कृत, बंगाली, तमिल, तेलुगु, ओडिया, असमिया, पंजाबी, भोजपुरी, नेपाली और मैथिली
- अनुराधा पौडवाल ने डी. वाई पाटिल विश्वविद्यालय से डी. लिट की मानद उपाधि हासिल की है
- अनुराधा पौडवाल ने 2024 के भारतीय आम चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी जॉइन की थी
लोकप्रियता का शिखर और ‘आशिकी’ का जादू
अनुराधा पौडवाल के करियर का शिखर आया 90 के दशक में, जब उन्होंने एक के बाद एक सुपरहिट गाने दिए। फिल्म ‘आशिकी’ के गाने ‘धीरे धीरे से मेरी जिंदगी में आना’ और ‘सांझ की ये घटा’ ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई। इसके अलावा ‘दिल है कि मानता नहीं,’ ‘बेटा,’ और ‘हम तेरे बिन’ जैसी फिल्मों में उनके गाए गीत आज भी लोगों के दिलों में बसे हैं। इन हिट फिल्मों के लिए उन्हें तीन फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिले, और उन्हें ‘अगली लता मंगेशकर’ के रूप में देखा जाने लगा।
भक्ति गीतों की ओर रुझान और बदलाव
जब अनुराधा पौडवाल अपने करियर के ऊंचाइयों पर थीं, तब उन्होंने फैसला किया कि वह फिल्मों से हटकर केवल भक्ति गीत ही गाएंगी। अनुराधा के इस निर्णय से संगीत जगत में हलचल मच गई। हालांकि, उनके इस फैसले से अलका याग्निक और कविता कृष्णमूर्ति जैसी गायिकाओं को बॉलीवुड में अधिक अवसर मिलने लगे। अनुराधा ने एक इंटरव्यू में बताया कि फिल्मों का बदलता रूप और गीतों में मिठास की कमी ने उन्हें भक्ति गीतों की ओर मोड़ दिया। टी-सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार के साथ उनका रिश्ता गहरा हुआ, और उन्होंने लंबे समय तक टी-सीरीज के लिए भक्ति गीत गाए।
पारिवारिक जीवन और चुनौतियाँ
अनुराधा ने संगीतकार अरुण पौडवाल से शादी की, जो खुद एक संगीतकार थे। अरुण पौडवाल की असमय मृत्यु ने अनुराधा को गहरा आघात पहुंचाया, लेकिन गुलशन कुमार का समर्थन उनके साथ रहा। अनुराधा के दो बच्चे हैं – बेटी कविता पौडवाल और बेटा आदित्य पौडवाल। कविता भी एक गायिका हैं और भक्ति गीतों में सक्रिय हैं। वर्ष 2020 में आदित्य के निधन ने अनुराधा को फिर से एक कठिन दौर से गुजरने पर मजबूर कर दिया।
अनुराधा ने कभी शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण नहीं लिया
- अनुराधा पौडवाल को लता मंगेशकर की बहुत बड़ी फ़ैन माना जाता है
- अनुराधा पौडवाल को फ़िल्म आशिकी, दिल है कि मानता नहीं, और बेटा के लिए तीन फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड मिले है
- अनुराधा पौडवाल ने बॉलीवुड छोड़ने के बाद भक्ति गीत गाना शुरू किया
- अनुराधा पौडवाल की बेटी कविता पौडवाल भी एक जानी-मानी गायिका हैं
- अनुराधा पौडवाल के बेटे आदित्य पौडवाल का 2020 में निधन हो गया था
विविध भाषाओं में गाए गाने
अनुराधा ने हिंदी के अलावा पंजाबी, बंगाली, मराठी, तमिल, तेलुगु, उड़िया, और नेपाली भाषाओं में भी गाने गाए हैं। यह उनकी बहुमुखी प्रतिभा और संगीत के प्रति निष्ठा का प्रमाण है कि उन्होंने इतनी विविध भाषाओं में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा।
सम्मान और पुरस्कार
- साल 2017 में उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया था. यह देश के सर्वोच्च पुरस्कारों में से एक है
- साल 2013 में उन्हें भारत सरकार ने मोहम्मद रफ़ी पुरस्कार से सम्मानित किया था
- साल 2010 में मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें लता मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया था
- साल 1989 में उन्हें मराठी फ़िल्म ‘कलात सकलत’ में उनके गीत ‘हे एक रेशमी’ के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था
- उन्हें दो बार ओडिशा राज्य फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. साल 1987 में उन्हें ‘टुंडा बैदा’ के लिए और साल 1997 में उन्हें ‘खंडई अखी रे लुहा’ के लिए यह पुरस्कार मिला था
- उन्हें विदुषी और अष्टान गायनी की उपाधि से भी सम्मानित किया गया है
निष्कर्ष
अनुराधा पौडवाल का जीवन संघर्ष, मेहनत और निष्ठा का प्रतीक है। फिल्मों से भक्ति गीतों की ओर उनका झुकाव और भारतीय संगीत को समर्पण हर संगीत प्रेमी के लिए प्रेरणास्रोत है। अनुराधा पौडवाल ने न सिर्फ बॉलीवुड में बल्कि भारतीय संगीत की दुनिया में भी अपनी आवाज़ की छाप छोड़ी है। उनका जीवन उन सभी के लिए एक मिसाल है जो अपनी अलग राह चुनने का साहस रखते हैं।
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