Published by :- Hritik Kumar
Updated on: Thursday, 06 Feb 2025
प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़, सुनैना देवी की मौत 29 जनवरी को प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ मचने से कैमूर जिले के कोरी गांव की रहने वाली सुनैना देवी की मौत हो गई। हादसे के आठ दिन बाद मृतका का शव उनके गांव पहुंचा। परिजनों ने आरोप लगाया कि यूपी पुलिस और प्रशासन ने मौत के आंकड़ों को छुपाने के लिए शव को बिना पोस्टमार्टम कराए ही उनके गांव भेज दिया।
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शव की तलाश में भटकते रहे परिजन

गांव के ही 16 महिलाओं के साथ कुंभ स्नान के लिए गईं सुनैना देवी हादसे के बाद लापता हो गई थीं। परिजनों ने प्रयागराज के सभी अस्पतालों में उनकी तलाश की, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली। सात दिनों की मशक्कत के बाद 4 फरवरी को मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, इलाहाबाद के मर्चरी हाउस में उनका शव मिला।
पोस्टमार्टम न कराने पर पुलिस पर आरोप
परिजनों ने जब शव का पोस्टमार्टम कराने की मांग की तो प्रशासन और पुलिस ने कोई सहयोग नहीं किया। पुलिस ने जबरन शव को एंबुलेंस में रखकर एक पुलिसकर्मी के साथ गांव भेज दिया।
स्थानीय प्रशासन से गुहार के बाद हुआ पोस्टमार्टम
भभुआ पहुंचने के बाद परिजनों ने स्थानीय थाना और एसपी से गुहार लगाई, जिसके बाद सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया गया। परिजनों ने यूपी प्रशासन पर अमानवीय व्यवहार और भगदड़ में मौत के आंकड़ों को छुपाने का आरोप लगाया।
परिजनों के साथ दुर्व्यवहार का आरोप
मृतका के बेटों विष्णु पटेल और नीतीश पटेल उर्फ मंत्री ने बताया कि शव की पहचान के बाद जब उन्होंने पोस्टमार्टम की मांग की तो पुलिस ने धमकी दी और जबरन हस्ताक्षर करवाकर शव सौंप दिया।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
1. महाकुंभ भगदड़ में कितने लोगों की मौत हुई?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भगदड़ में मरने वालों की संख्या कम बताई जा रही है, लेकिन परिजनों का आरोप है कि असली आंकड़े छुपाए जा रहे हैं।
2. सुनैना देवी की मौत कब और कैसे हुई?
29 जनवरी को प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ के दौरान उनकी मौत हो गई।
3. यूपी पुलिस पर क्या आरोप लगे हैं?
परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने पोस्टमार्टम नहीं कराया और जबरन शव गांव भेज दिया।
4. क्या मृतकों के परिजनों को मुआवजा मिलेगा?
अगर सरकार आधिकारिक तौर पर भगदड़ में मौत की पुष्टि करती है, तो मुआवजा दिया जा सकता है।
5. भगदड़ के बाद प्रशासन ने क्या कदम उठाए?
परिजनों का कहना है कि प्रशासन ने लाशों को छुपाने की कोशिश की और सही जानकारी नहीं दी।
यह घटना प्रशासन की लापरवाही और पीड़ित परिवार की पीड़ा को दर्शाती है। सरकार को इस मामले की निष्पक्ष जांच करानी चाहिए और पीड़ितों को न्याय दिलाना चाहिए।
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