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Published by: Roshan Soni
Updated on: Saturday, 28 Dec 2024
Introduction: लातेहार जिले में एक और क़त्ल ने राज्य के सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। उलगड़ा गांव में चल रहे 14 करोड़ की लागत से बने पुल के निर्माण कार्य में लगे एक मुंशी की निर्मम हत्या कर दी गई। घटना को लेकर उग्रवादियों ने जिम्मेदारी ली है, जिससे यह मामला और भी संगीन हो गया है। यह घटना न केवल सुरक्षा बलों के लिए चुनौती है, बल्कि राज्य में उग्रवाद की पुनरावृत्ति को भी दिखाती है।
हत्याकांड की पूरी कहानी
लातेहार जिले के सदर प्रखंड के उलगड़ा गांव में गुरुवार की रात करीब नौ बजे एक दर्दनाक घटना घटी। झारखंड संघर्ष जन मुक्ति मोर्चा (JSJMM) के उग्रवादियों ने पुल निर्माण देख रहे मुंशी बालगोविंद साव (55 वर्ष) की हत्या कर दी। बालगोविंद साव के सिर और दोनों पैरों को कुल्हाड़ी से काटा गया, जो एक बेहद क्रूर और खौ़फनाक तरीका था। यह हत्या एक ठेकेदार की तरफ से दबाव डाले जाने के कारण की गई, इस आरोप को उग्रवादियों ने पर्चा छोड़कर स्पष्ट किया।
बालगोविंद साव की पहचान और उनके कर्तव्यों का विवरण
बालगोविंद साव, जो कि भाजपा के बूथ अध्यक्ष और भुसूर पंचायत के वार्ड 9 के सदस्य भी थे, अपने पेशेवर जीवन में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा रहे थे। उन्हें पुल निर्माण कार्य की निगरानी और पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी दी गई थी। यह 14 करोड़ की लागत से बनने वाली पुल परियोजना एक महत्वपूर्ण विकास कार्य थी। उग्रवादियों ने इस परियोजना को अपना निशाना बनाया और बालगोविंद की निर्मम हत्या की, ताकि ठेकेदार पर दबाव डाला जा सके।
उग्रवादियों द्वारा जिम्मेदारी लेना
घटना के बाद, झारखंड संघर्ष जन मुक्ति मोर्चा के प्रदीप गंझू ने एक हस्तलिखित पर्चा छोड़ा, जिसमें उन्होंने इस हत्याकांड की जिम्मेदारी ली। पर्चे में लिखा गया है कि ठेकेदार ने उग्रवादियों द्वारा लगाए गए दबाव को नकारा और इस कारण यह हत्या की गई। इस पर्चे से यह साफ हो गया कि उग्रवादियों का मकसद ठेकेदार को डराना और परियोजना पर नियंत्रण हासिल करना था।
घटना का मंजर
घटना के वक्त, साइट पर मौजूद मजदूरों ने बताया कि रात के समय कुछ हथियारों से लैस उग्रवादी वहां पहुंचे। उन्होंने मजदूरों को धमकाया और एक मजदूर का मोबाइल फोन लूट लिया। जैसे ही बालगोविंद साव बाहर निकले और उग्रवादियों से जूझने का प्रयास किया, उन्हें पकड़ लिया गया और करीब 150 फीट दूर ले जाकर उनकी हत्या कर दी गई। बालगोविंद के शव को उनके हाथों से बांध कर और सिर व पैरों को काटकर जंगली इलाके में छोड़ दिया गया था।
मृतक के परिजनों की प्रतिक्रिया
जब बालगोविंद के परिजनों को इस घटना की जानकारी मिली, तो वे मौके पर पहुंचे और शव को देखा। उनके परिजनों का दिल दहला देने वाला बयान था, जिसमें उन्होंने इस जघन्य कृत्य की कड़ी निंदा की। उन्होंने प्रशासन से न्याय की उम्मीद जताई और उग्रवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
पुलिस की कार्रवाई
लातेहार थाना प्रभारी प्रमोद कुमार सिन्हा ने घटना की गंभीरता को समझते हुए रात को ही घटनास्थल पर पहुंचे और मामले की जांच शुरू की। पुलिस इस हत्या के पीछे के कारणों और उग्रवादियों के मंसूबों का पता लगाने में जुटी है। थाना प्रभारी ने कहा कि मामले में पूरी छानबीन की जाएगी और दोषियों को कड़ी सजा दिलाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
निष्कर्ष
लातेहार जिले में हुई बालगोविंद साव की हत्या राज्य में उग्रवाद की पुनरावृत्ति को दर्शाती है। यह घटना न केवल झारखंड के राजनीतिक और सुरक्षा माहौल को चुनौती देती है, बल्कि पुल निर्माण कार्यों की सुरक्षा पर भी सवाल उठाती है। स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा बलों के लिए यह एक चेतावनी है कि उग्रवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि ऐसे जघन्य अपराधों की पुनरावृत्ति न हो।
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