Published by: Roshan Soni
Updated on: Saturday , 23 Nov 2024
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परिचय
झारखंड के हजारीबाग जिले के केरेडारी क्षेत्र में हाल ही में एक सड़क दुर्घटना के बाद उत्पन्न तनाव ने प्रशासन और स्थानीय निवासियों के बीच गहरी बहस को जन्म दिया। प्रमोद रजक (35) की दर्दनाक मृत्यु के बाद, उनके परिजनों ने मुआवजे की मांग को लेकर सड़क जाम किया। दो दिनों तक चले इस प्रदर्शन के बाद गुरुवार को समझौते पर सहमति बनी। इसके तहत परिवार को 6 लाख रुपये नकद और प्रत्येक माह 10,000 रुपये भरण-पोषण के लिए प्रदान करने का निर्णय लिया गया।
घटना का पूरा विवरण
19 नवंबर की रात, केरेडारी थाना क्षेत्र के मसुरिया नदी के पास एक दर्दनाक घटना घटी। मां अंबे ट्रांसपोर्ट के हाइवा ट्रक की चपेट में आकर प्रमोद रजक की मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना के बाद मृतक के परिजन और स्थानीय लोग सड़कों पर उतर आए और हजारीबाग-टंडवा मुख्य पथ को पूरी तरह बाधित कर दिया।
इस जाम के कारण इलाके में यातायात पूरी तरह से ठप हो गया। लोगों ने तब तक सड़क खाली करने से इनकार कर दिया जब तक प्रशासन उनकी मुआवजे की मांग को पूरा करने के लिए तैयार नहीं हुआ।
मुआवजे पर बनी सहमति
लगातार बातचीत और प्रशासनिक प्रयासों के बाद, गुरुवार को सभी पक्षों ने एक समझौते पर सहमति जताई। ट्रांसपोर्ट कंपनियों पीएनएम, जेआरएल, और नकास ट्रांसपोर्ट के प्रतिनिधियों ने मुआवजे की राशि का भुगतान किया। समझौते में शामिल प्रमुख बिंदु:
- 6 लाख रुपये नकद मुआवजा: मृतक प्रमोद रजक के परिवार को तत्काल सहायता के लिए यह राशि दी गई।
- हर महीने 10,000 रुपये भरण-पोषण के लिए: परिवार के आश्रितों की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह प्रावधान किया गया।
समझौते की प्रक्रिया में केरेडारी प्रमुख सुनीता देवी, थाना प्रभारी अजीत कुमार, बीडीओ विवेक कुमार, और कई अन्य प्रमुख स्थानीय नेता मौजूद थे।
सड़क जाम समाप्त
मुआवजे की मांग पूरी होने के बाद परिजनों ने सड़क जाम हटाने का फैसला किया। इसके तुरंत बाद पुलिस ने मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए हजारीबाग सदर अस्पताल भेजा।
स्थानीय लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका
इस घटना में स्थानीय निवासियों और नेताओं ने अहम भूमिका निभाई। कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष रविंद्र गुप्ता और अन्य समाजसेवी लगातार प्रदर्शनकारियों के साथ खड़े रहे और समझौते को सफल बनाने में सहयोग किया।
घटना के बाद उठे सवाल
यह घटना केवल एक सड़क दुर्घटना नहीं थी, बल्कि इससे कई महत्वपूर्ण मुद्दे उजागर हुए:
- सड़क सुरक्षा की कमी: इस प्रकार की दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सख्त यातायात नियमों और उनकी सख्त निगरानी की जरूरत है।
- ट्रांसपोर्ट कंपनियों की जवाबदेही: यह घटना ट्रांसपोर्ट कंपनियों की लापरवाही को भी दर्शाती है।
- प्रभावी प्रशासनिक हस्तक्षेप: स्थानीय प्रशासन ने समझौते को सफलतापूर्वक लागू कर एक बड़ा कदम उठाया।
निष्कर्ष
केरेडारी में हुए इस घटना ने न केवल एक परिवार को गहरे दर्द में डाल दिया बल्कि सड़क सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल उठाए। मुआवजे की लड़ाई में स्थानीय लोगों की एकजुटता ने प्रशासन को सक्रिय कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया। इस प्रकार की घटनाएं एक सबक हैं कि ट्रांसपोर्ट कंपनियों और प्रशासन को सड़क दुर्घटनाओं को रोकने और पीड़ित परिवारों को न्याय देने के लिए तत्पर रहना चाहिए।
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