Published by :- Hritik Soni
Updated on: Tuesday, 21 Jan 2025
केरल: एक प्रमुख घटना में, केरल कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के बाबा रामदेव और उनके सह-संस्थापक आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है। यह कार्रवाई दिव्य फार्मेसी द्वारा प्रकाशित गलत विज्ञापनों के संबंध में की गई है, जो इंग्लिश और मलयालम समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए थे।
16 जनवरी 2025 को पलक्कड़ के ज्यूडिशियल फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट कोर्ट II ने यह जमानती वारंट जारी किया। इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 1 फरवरी 2025 निर्धारित की गई है।
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क्या है मामला?

दिव्य फार्मेसी, जो पतंजलि आयुर्वेद की एक सहायक कंपनी है, पर यह आरोप है कि उसने दवाओं और इलाजों से संबंधित भ्रामक विज्ञापनों को प्रकाशित किया है। यह शिकायत ड्रग इंस्पेक्टर की रिपोर्ट पर आधारित है, जो दवाओं और जादुई इलाजों के विज्ञापनों से संबंधित कानून (Drugs and Magic Remedies (Objectionable Advertisements) Act, 1954) के तहत दायर की गई थी।
इस कानून के धारा 3 के तहत, कुछ विशेष बीमारियों के इलाज के लिए दवाओं के विज्ञापन पर प्रतिबंध है। धारा 3 (b) के तहत, उन दवाओं के विज्ञापनों को भी प्रतिबंधित किया गया है जो यौन क्षमता में सुधार का दावा करती हैं। वहीं, धारा 3 (d) के तहत, उन दवाओं के विज्ञापनों पर भी पाबंदी है जो किसी बीमारी, विकार या स्थिति के इलाज, निदान या रोकथाम का दावा करती हैं।
आरोपियों के नाम
इस मामले में दिव्य फार्मेसी पहले आरोपी, आचार्य बालकृष्ण दूसरे आरोपी और बाबा रामदेव तीसरे आरोपी के रूप में शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी
यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दी गई चेतावनी के बाद उठाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह गलत विज्ञापनों और चिकित्सा दावों के खिलाफ कार्रवाई न करने पर अवमानना कार्यवाही शुरू करेगा। यह आदेश उस समय आया जब भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) ने आलोपैथी (modern medicine) के खिलाफ किए गए भ्रामक दावों के खिलाफ याचिका दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी
के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी किया था क्योंकि उन्होंने आलोपैथी को नीचा दिखाते हुए और कुछ बीमारियों के इलाज के बारे में झूठे दावे करते हुए विज्ञापन जारी किए थे। हालांकि, बाद में यह अवमानना मामले सुप्रीम कोर्ट द्वारा बंद कर दिए गए थे, जब रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने सार्वजनिक रूप से माफी मांग ली थी।
केरल में एक और मामला लंबित
इसके अलावा, कोझीकोड जिले में भी इस तरह का एक और मामला लंबित है, जहां पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ गलत विज्ञापनों के मामले में कार्रवाई की जा रही है।
निष्कर्ष
यह मामला यह दर्शाता है कि गलत विज्ञापन और मेडिकल दावों के खिलाफ कार्रवाई लगातार तेज हो रही है, और इसके तहत कई कंपनियों और उनके नेताओं को कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ रहा है। अब देखना यह होगा कि पतंजलि आयुर्वेद और उसके शीर्ष नेताओं के खिलाफ कोर्ट की कार्यवाही कैसे आगे बढ़ती है।
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