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झारखंड चुनाव 2024: हिमंता बिस्वा सरमा ने सत्यानंद झा बाटुल को मनाने की की कोशिश, क्या वापस लेंगे निर्दलीय नामांकन?
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झारखंड चुनाव 2024: हिमंता बिस्वा सरमा ने सत्यानंद झा बाटुल को मनाने की की कोशिश, क्या वापस लेंगे निर्दलीय नामांकन?

Published by: Roshan Soni
Updated on: Friday, 01 Nov 2024

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के नजदीक आते ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने नाराज नेताओं को मनाने में जुटी है। इसी कड़ी में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने पूर्व मंत्री सत्यानंद झा बाटुल से मुलाकात की, जो पार्टी से टिकट नहीं मिलने के कारण नाराज थे। क्या ये कोशिशें सफल होंगी? आइए जानते हैं।

                                             झारखंड चुनाव 2024:

नाराजगी का कारण: टिकट बंटवारा

झारखंड विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के कारण कई नेता नाराज हैं। सत्यानंद झा बाटुल ने नाला विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इससे नाराज होकर उन्होंने निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया। बीजेपी की इस परेशानी को समझते हुए हिमंता बिस्वा सरमा ने उनके आवास पर जाकर उन्हें मनाने का प्रयास किया।

घंटों चली बातचीत

हिमंता बिस्वा सरमा और सत्यानंद झा बाटुल के बीच बंद कमरे में घंटों बातचीत हुई। इस दौरान सरमा ने बताया कि उन्होंने बाटुल से आग्रह किया है कि वे अपनी नाराजगी को खत्म करें और पार्टी के साथ फिर से जुड़ें। उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड में बीजेपी की जीत बेहद जरूरी है, इसलिए उन्हें चुनावी मैदान में पार्टी के साथ रहने की आवश्यकता है।

सम्मानित पद का आश्वासन

बातचीत के दौरान, हिमंता बिस्वा सरमा ने बाटुल को आश्वासन दिया कि अगर झारखंड में बीजेपी की सरकार बनती है या केंद्र में, तो उन्हें एक सम्मानित पद दिया जाएगा। सरमा ने कहा, “बाटुल झा बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता हैं, और हमें उनकी मदद की जरूरत है। हम उनके राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित करने का प्रयास करेंगे।”

सत्यानंद बाटुल का जवाब

                                                  झारखंड चुनाव 2024:

जब मीडिया ने सत्यानंद झा बाटुल से हिमंता बिस्वा सरमा की मुलाकात के बारे में सवाल किया, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कोई निर्णय नहीं लिया। बाटुल ने कहा, “हम इस पर अपने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक के बाद फैसला लेंगे।” यह संकेत देता है कि वह अपनी नाराजगी पर विचार कर सकते हैं, लेकिन अभी कुछ तय नहीं है।

निष्कर्ष

बीजेपी की कोशिशें यह दर्शाती हैं कि पार्टी इस बार झारखंड विधानसभा चुनाव में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए गंभीर है। हिमंता बिस्वा सरमा की कोशिशें और सत्यानंद झा बाटुल की स्थिति, दोनों ही इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अब देखने वाली बात होगी कि क्या बाटुल अपने निर्दलीय नामांकन को वापस लेने का फैसला करते हैं या नहीं। राजनीतिक समीकरण बदलने की संभावना है, जो आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।


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