Published by: Roshan Soni
Updated on: Wednesday, 23 Oct 2024
दिवाली 2024: रोशनी का त्योहार और इसकी समृद्ध परंपराएँ
दिवाली की तारीख 31 अक्टूबर, बुधवार को मनाई जाएगी।
2024 में दिवाली का पूरा कैलेंडर
दिवाली का उत्सव पाँच दिनों तक चलता है, जिनमें से प्रत्येक दिन का अपना अलग महत्व है:
तारीख दिन त्यौहार का नाम
29 | अक्टूबर मंगलवार धनतेरस |
31 | अक्टूबर गुरुवार छोटी दिवाली |
31 | अक्टूबर गुरुवार बड़ी दिवाली |
2 | नवंबर शनिवार गोवर्धन पूजा |
3 | नवंबर रविवार भाई दूज |
दिवाली 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त
- लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – शाम 6:52 बजे से रात 8:41 बजे तक
- प्रदोष काल – शाम 6:10 बजे से रात 8:52 बजे तक
- वृषभ काल- शाम 6:52 बजे से रात 8:41 बजे तक
- अमावस्या तिथि आरंभ – 31 अक्टूबर सुबह 6:22 बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त – 1 नवंबर सुबह 8:46 बजे
दिवाली के 5 दिनों का कार्यक्रम
धनतेरस (29 अक्टूबर 2024).
Dhanteras 2024 Shopping Time: दीपावली का त्योहार धनतेरस से प्रारंभ होता है. हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाई जाती है. इस दिन धन प्राप्ति के लिए कुबेर देवता, धनवंतरि भगवान की पूजा का विधान है.
साथ ही धनतेरस का दिन खरीदारी के लिए बेहद शुभफलदायी होता है. अगर इस धनतेरस आप भी सोना, वाहन, संपत्ति, घर, खरीदने का सोच रहे हैं तो आपके लिए कौन मुहूर्त शुभ होगा यहां देखें.
धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहते हैं. इस बार त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 31 मिनट से हो रही है। इस तिथि की समाप्ति 30 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट पर होगी. इस वजह से धनतेरस की पूजा 29 अक्टूबर 2024 को होगी
धनतेरस पर खरीदारी के 3 शुभ मुहूर्त
धनतरेस पर घर-मकान, बर्तन, सोने-चांदी के आभूषण,इलेक्ट्रॉनिक आदि सामानों को खरीदा जाता है. अगर आप धनतेरस के दिन खरीदारी करने वाले हैं तो –
29 अक्टूबर, मंगलवार को सुबह 10.31 मिनट से 30 अक्टूबर 6.32 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा.
खरीदारी मुहूर्त – शाम 06.31 – रात 08.13
तीसरा खरीदारी मुहूर्त – शाम 05.38 – शाम 06.55
वहीं धनतेरस पर खरीदारी की परंपरा होने से पूरे दिन खरीदी की जा सकती है, लेकिन विद्वानों के मुताबिक, धनतेरस पर शाम के समय लक्ष्मी और कुबेर की पूजा व यम दीपदान के साथ ही खरीदी के लिए भी श्रेष्ठ समय रहेगा.
धनतेरस पर इन वस्तुओं को खरीदें
धनतेरस के दिन आपको सोना, चांदी, कांसा, फूल, पीतल या तांबा से बनी वस्तुओं को ही खरीदें. यह आपके लिए उन्नतिदायक होगी. धातु के बर्तन जरुर खरीदें, क्योंकि इस दिन समुद्र मंथन में भगवान धन्वंतरि कलश में अमृत लेकर निकले थे, इसलिए इस दिन धातु के बर्तन खरीदते हैं.
छोटी दिवाली (31 अक्टूबर 2024)
इस दिन को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। लोग भगवान कृष्ण की राक्षस नरकासुर पर विजय का जश्न मनाते हैं।
बड़ी दिवाली (31 अक्टूबर 2024)
दिवाली का मुख्य दिन देवी लक्ष्मी की पूजा का होता है। लोग घरों को दीयों और रंगीन रोशनी से सजाते हैं।
गोवर्धन पूजा (2 नवंबर 2024)
इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है।
भाई दूज (3 नवंबर 2024)
भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों के लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं।
दिवाली का धार्मिक महत्व
दिवाली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह भगवान राम के रावण पर विजय और अयोध्या लौटने की याद में मनाया जाता है। इसके अलावा, यह देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का भी अवसर है।
अमावस्या का महत्व
दिवाली के दिन अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। यह दिन अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।
दिवाली के त्योहार की विशेषताएँ
दीप जलाना: दीयों की रोशनी अंधकार को दूर करने और समृद्धि लाने का प्रतीक है।
रंगोली: घर के दरवाजे पर रंगोली बनाकर मेहमानों का स्वागत किया जाता है।
पटाखे: आतिशबाजी से उत्सव का माहौल बनता है, हालांकि अब पर्यावरण के प्रति जागरूकता के कारण ग्रीन क्रैकर्स का उपयोग बढ़ रहा है।
उपहार और मिठाई: परिवार और मित्रों के बीच उपहारों और मिठाइयों का आदान-प्रदान किया जाता है।
दिवाली 2024: वैदिक शास्त्र के अनुसार लक्ष्मी पूजा का महत्व और मुहूर्त
दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन लक्ष्मी माता का पूजन विशेष रूप से शुभ माना जाता है। वैदिक शास्त्रों में लक्ष्मी पूजा के लिए कुछ नियम और मुहूर्त निर्धारित किए गए हैं। आइए जानें कि इस साल दिवाली पर लक्ष्मी पूजा कैसे करें।
अमावस्या तिथि का महत्व
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का समय अमावस्या तिथि पर होता है। इस बार, कार्तिक महीने की अमावस्या 31 अक्टूबर को दोपहर 3:12 बजे शुरू होगी और 1 नवंबर की शाम 6:16 बजे समाप्त होगी। वैदिक शास्त्र के अनुसार, इस दिन प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद) और निशीथ काल (रात के मध्य) में पूजा करना अत्यंत फलदायी है।
लक्ष्मी पूजा के लिए सही विधि
- स्थान तैयार करें: पूजा के लिए एक साफ स्थान चुनें। वहां लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियां स्थापित करें।
- दीप जलाएं: पूजा स्थल पर दीपक और मोमबत्तियां रखें। दीप जलाना शुभ माना जाता है।संकल्प लें: लक्ष्मी पूजा करने से पहले संकल्प लें कि आप माता लक्ष्मी से धन और समृद्धि की प्रार्थना कर रहे हैं।
- पूजा सामग्री: फूल, मिठाई, फल, और अन्य सामग्री तैयार रखें।
- मंत्र जाप: लक्ष्मी माता के मंत्रों का जाप करें।
गणेश-लक्ष्मी पूजा करने की विधि
गणेश-लक्ष्मी पूजा का महत्व दिवाली के समय विशेष रूप से बढ़ जाता है। यहां दी गई विधि से आप इस पूजा को विधिपूर्वक कर सकते हैं:
सामग्री की तैयारी
1. पूजा स्थान: एक साफ और पवित्र स्थान चुनें।
2. पूजा सामग्री:
- गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियां या चित्र
- फूल (कमल, गुलाब आदि)
- दीपक और तेल या घी
- चावल
- मिठाई (लड्डू, बर्फी आदि)
- फल (केला, सेब, नारंगी आदि)
- रोली, चंदन, और अक्षत (चावल)
- एक थाली या पूजा प्लेट
पूजा की विधि
1. स्थान को साफ करें : पूजा स्थल को साफ और पवित्र करें।
2. मूर्तियों की स्थापना : गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियों को एक थाली में रखें।
3. दीप जलाएं : दीपक को तेल या घी से भरकर जलाएं और थाली के पास रखें।
4. संकल्प लें : हाथ जोड़कर संकल्प लें कि आप माता लक्ष्मी से समृद्धि और सुख की कामना कर रहे हैं।
5. अभिषेक : मूर्तियों पर गंगाजल या शुद्ध जल से अभिषेक करें।
6. फूल अर्पित करें : गणेश और लक्ष्मी की मूर्तियों को फूल अर्पित करें।
7. चावल और मिठाई चढ़ाएं : चावल, मिठाई, और फल अर्पित करें।
8. मंत्र जाप :
गणेश मंत्र:
ओम गं गणपतये नमः |
लक्ष्मी मंत्र:
ओम श्रीं महालक्ष्म्यै नमः |
ये मंत्र 11 या 108 बार जपें।
9. आरती : अंत में गणेश और लक्ष्मी की आरती करें।
10. प्रसाद बांटें: पूजा के बाद प्रसाद सभी परिवार के सदस्यों में बांटें।
पूजा के बाद
पूजा के बाद अपने घर में खुशहाली और समृद्धि की कामना करें।
इस प्रकार, आप गणेश-लक्ष्मी पूजा को सरलता से कर सकते हैं। यह पूजा आपको सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देगी।
यहां “ओम जय लक्ष्मी माता” आरती के बोल दिए गए हैं:
ओम जय लक्ष्मी माता आरती
ओम जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता।
आप के संग सदा,
रहे सुख-समृद्धि माता।
ओम जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता।
श्री गणेशाय नमः,
श्री लक्ष्मी नारायणाय नमः।
श्री साईंनाथाय नमः,
आप की कृपा से,
हर भक्त सुखी हो माता।
ओम जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता।
जो भी भक्त तेरा,
मन से नाम लेता है।
हर दुख से वो छुटता है,
हर सुख वो पाता है।
ओम जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता।
धन धान्य से भर दे,
माँ ये सबका घर।
हर बुराई दूर करे,
हर दुख का हो अंत।
ओम जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता।
इस आरती का पाठ करते समय श्रद्धा और भक्ति से भगवान लक्ष्मी माता की कृपा प्राप्त करें।
निष्कर्ष
दिवाली सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह जीवन, समृद्धि और अच्छाई की विजय का उत्सव है। यह अवसर हमें एकजुट होकर खुशियाँ बांटने, एक-दूसरे के साथ समय बिताने और अपनी समृद्ध परंपराओं का सम्मान करने का मौका देता है।
इस दिवाली, अपने घरों को रोशनी से भरें और अंधकार के हर कोने में खुशी और समृद्धि का प्रकाश फैलाएँ।
आपको दिवाली की शुभकामनाएँ! 🎉✨