एचएमपीवी (HMPV) का प्रकोप: मुंबई में पहला मामला सामने आया, भारत में कुल मामलों की संख्या 8 तक पहुंची

Published by :- Roshan Soni
Updated on: Thrusday , 09 Jan 2025


परिचय:

भारत में मानव मेटाप्नयूमोवायरस (HMPV) के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। इस वायरस ने कई राज्यों को अपनी चपेट में लिया है, और अब मुंबई में इसका पहला मामला दर्ज किया गया है। यह वायरस विशेष रूप से बच्चों के लिए खतरे का कारण बन सकता है, जिससे सांस से संबंधित समस्याएं उत्पन्न होती हैं। आइए जानते हैं एचएमपीवी के बारे में विस्तार से और यह वायरस कैसे फैलता है।

एचएमपीवी (HMPV) का प्रकोप: मुंबई में पहला मामला सामने आया, Credit as NDTV.in

एचएमपीवी क्या है?

HMPV (Human Metapneumovirus) एक श्वसन वायरस है जो मानवों में सांस से जुड़ी समस्याएं उत्पन्न करता है। यह वायरस 2001 में पहली बार खोजा गया था और यह वैश्विक स्तर पर प्रचलित है। यह खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों के लिए अधिक खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है।


मुंबई में एचएमपीवी का पहला मामला:

मुंबई में 6 महीने की बच्ची में एचएमपीवी का पहला मामला सामने आया है। बच्ची को जनवरी 1 को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहाँ उसे गंभीर खांसी, सीने में जकड़न, और ऑक्सीजन स्तर का 84% तक गिरना जैसी समस्याएं थीं। पांच दिन की इलाज के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। इसके अलावा महाराष्ट्र में नागपुर में भी एचएमपीवी के दो मामले पहले ही सामने आ चुके हैं।


एचएमपीवी के लक्षण:

एचएमपीवी के प्रमुख लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • खांसी और गला सूखना
  • सांस की तकलीफ और सीने में जकड़न
  • ऑक्सीजन स्तर में गिरावट
  • बुखार
  • थकान और कमजोरी

यह वायरस श्वसन की बूंदों, संक्रमित सतहों से संपर्क या संक्रमित व्यक्ति से नजदीकी संपर्क के माध्यम से फैल सकता है।


एचएमपीवी का इलाज:

एचएमपीवी के लिए कोई विशेष एंटीवायरल दवा नहीं है, लेकिन संक्रमित व्यक्तियों के इलाज में सहायक उपचार दिया जाता है। जिनमें:

  • सांस की तकलीफ के लिए ऑक्सीजन सपोर्ट
  • खांसी और बुखार को नियंत्रित करने के लिए दवाइयाँ
  • और गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है।

भारत में एचएमपीवी के मामले:

मुंबई के अलावा, महाराष्ट्र में नागपुर (7 वर्षीय और 13 वर्षीय बच्चों में) और अन्य राज्यों जैसे कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात में भी एचएमपीवी के मामले सामने आ चुके हैं। अब तक भारत में एचएमपीवी के कुल 8 मामले रिपोर्ट किए गए हैं।


एचएमपीवी के प्रसार को रोकने के उपाय:

  • स्वच्छता बनाए रखें: नियमित रूप से हाथ धोने की आदत डालें और भीड़-भाड़ वाले स्थानों से बचें।
  • सांस से संबंधित उपाय: संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें और मास्क का उपयोग करें।
  • स्वास्थ्य संबंधी जानकारी: सरकारी और स्वास्थ्य संगठनों से एचएमपीवी और श्वसन रोगों के बारे में अपडेट प्राप्त करें।
Credit as jagran.com

क्या एचएमपीवी कोविड से संबंधित है?

हालांकि एचएमपीवी कोविड से संबंधित नहीं है, लेकिन दोनों ही वायरस श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं। कोविड के बाद, स्वास्थ्य संगठन एचएमपीवी जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों के लिए अधिक सतर्कता बरतने की सलाह दे रहे हैं।


राज्य सरकारों का प्रतिक्रिया:

भारत के कई राज्य, जैसे उत्तराखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटका, और गुजरात, एचएमपीवी के प्रसार पर नियंत्रण पाने के लिए सक्रिय हो गए हैं। कुछ राज्यों ने अलग-अलग अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड्स भी स्थापित कर दिए हैं, जबकि मिजोरम ने इसके प्रसार पर निगरानी रखने के लिए एक समिति गठित की है।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ):

Q1: एचएमपीवी का संक्रमण कैसे फैलता है?

उत्तर: एचएमपीवी वायरस श्वसन बूंदों, संक्रमित सतहों, और संक्रमित व्यक्ति के साथ संपर्क के द्वारा फैलता है।

Q2: एचएमपीवी के लक्षण क्या होते हैं?

उत्तर: एचएमपीवी के लक्षणों में खांसी, गला सूखना, सांस की तकलीफ, सीने में जकड़न, और ऑक्सीजन स्तर में गिरावट शामिल हैं।

Q3: क्या एचएमपीवी का इलाज उपलब्ध है?

उत्तर: एचएमपीवी का कोई विशिष्ट एंटीवायरल इलाज नहीं है, लेकिन सहायक उपचार जैसे ऑक्सीजन सपोर्ट और खांसी की दवाइयाँ दी जा सकती हैं।

Q4: एचएमपीवी और कोविड में क्या अंतर है?

उत्तर: एचएमपीवी और कोविड दोनों श्वसन संबंधी बीमारियां हैं, लेकिन एचएमपीवी एक अलग वायरस है जो मुख्य रूप से बच्चों और बुजुर्गों को प्रभावित करता है।


निष्कर्ष:

एचएमपीवी वायरस का प्रकोप भारत में धीरे-धीरे फैल रहा है, और विशेष रूप से बच्चों को इस वायरस से अधिक खतरा हो सकता है। इसलिए, सभी को इसके प्रसार को रोकने के लिए सतर्क रहना चाहिए और सभी सुरक्षा उपायों का पालन करना चाहिए। अगर आपको हमारा कंटेंट पसंद आया हो, तो कृपया हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें और एचएमपीवी जैसी बीमारियों से बचाव के उपायों पर ध्यान दें।

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