Published by: Roshan Soni
Updated on: Wednesday, 18 Dec 2024
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और केंद्र की मोदी सरकार के बीच तनातनी लगातार बढ़ती जा रही है। राज्य के बकाया कोयला रॉयल्टी की राशि को लेकर दोनों सरकारें आमने-सामने हैं। हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए इस मामले को झारखंड के हक और अधिकारों से जोड़ा।
झारखंड के बकाया राशि पर हेमंत सोरेन का ट्वीट
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने झारखंड के 1.36 लाख करोड़ रुपये की बकाया कोयला रॉयल्टी की मांग को बार-बार अनदेखा किया है। उन्होंने कहा, “झारखंडियों के हक में इस बकाया राशि का एक-एक रुपये की विस्तृत जानकारी केंद्र सरकार को कई बार दी जा चुकी है। इसके बावजूद बीजेपी सरकार इसे नकारने में तुली हुई है। यह हमारे अधिकारों पर किया जाने वाला एक कुंठित प्रयास है।”
हेमंत सोरेन ने यह भी दावा किया कि केंद्र सरकार का यह रवैया झारखंड के विकास और उसके लोगों के अधिकारों के खिलाफ है।
झारखंड बीजेपी को भी घेरा
हेमंत सोरेन ने झारखंड बीजेपी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें झारखंडियों के हक के लिए अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “अगर झारखंड बीजेपी इस मुद्दे पर चुप रहती है, तो यह स्पष्ट होगा कि वे झारखंड के साथ हो रहे इस हकमारी में भागीदार हैं।” मुख्यमंत्री का यह बयान सीधे तौर पर राज्य में बीजेपी की भूमिका पर सवाल उठाता है।
संसद सत्र में उठाया गया मुद्दा
यह मामला हाल ही में संसद सत्र के दौरान भी गरमाया। बिहार से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने इस मुद्दे को उठाया और केंद्र सरकार से पूछा कि झारखंड के बकाया पैसे देने में देरी क्यों हो रही है। इसके जवाब में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लिखित बयान में कहा कि झारखंड सरकार का कोयला राजस्व का पैसा केंद्र सरकार के पास लंबित नहीं है।
केंद्र के इस जवाब ने झारखंड सरकार को और आक्रामक बना दिया। राज्य के मंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के प्रवक्ता ने कहा कि अगर केंद्र बकाया राशि देने में आनाकानी करता है, तो राज्य रेलवे की माल ढुलाई पर रॉयल्टी वसूल करेगा।
झारखंड सरकार का बड़ा कदम
झारखंड सरकार ने संकेत दिया है कि वह राज्य की जमीन से रेलवे द्वारा होने वाली माल ढुलाई पर रॉयल्टी लागू करेगी। इसके अलावा, निजी कंपनियों को भी चेतावनी दी गई है कि वे राज्य सरकार का बकाया पैसा पहले जमा करें, अन्यथा उन्हें झारखंड में काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
विश्लेषण: बढ़ते तनाव का असर
झारखंड और केंद्र सरकार के बीच इस विवाद का असर राज्य के विकास पर पड़ सकता है। कोयला रॉयल्टी की बकाया राशि झारखंड के आर्थिक ढांचे के लिए महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार का दावा है कि यह राशि झारखंड के विकास कार्यों और योजनाओं को गति देने में मदद करेगी।
केंद्र और राज्य के बीच इस विवाद ने राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इसे राजनीतिक मुद्दा बनाते हुए केंद्र सरकार पर राज्य के अधिकारों को कुचलने का आरोप लगाया है। वहीं, बीजेपी ने इसे हेमंत सरकार की राजनीति करार दिया है।
निष्कर्ष
झारखंड की बकाया राशि को लेकर हेमंत सोरेन और मोदी सरकार के बीच का यह टकराव राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। जहां हेमंत सोरेन इसे झारखंड के अधिकारों की लड़ाई के रूप में पेश कर रहे हैं, वहीं केंद्र सरकार ने इसे सिरे से नकार दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मामला क्या मोड़ लेता है और इसका झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य और विकास योजनाओं पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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