Published by: Roshan Soni
Updated on: Wednesday, 11 Dec 2024
परिचय
हजारीबाग में हाल ही में छात्रों का आंदोलन उग्र हो गया, जिसके कारण पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। यह घटना जेएसएससी सीजीएल परीक्षा के परिणाम को लेकर छात्रों के विरोध के कारण हुई, जिसमें छात्रों ने परीक्षा परिणाम को रद्द करने की मांग की। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया, और इसके बाद छात्रों ने पुलिस पर पथराव भी किया। इस ब्लॉग में हम इस आंदोलन से जुड़ी घटनाओं, छात्रों की मांगों, और प्रशासन की प्रतिक्रिया पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
हजारीबाग में छात्र आंदोलन की शुरुआत
मंगलवार को हजारीबाग में छात्रों ने जेएसएससी सीजीएल परीक्षा परिणाम को रद्द करने की मांग को लेकर एक बड़ा प्रदर्शन किया। छात्र अपने निर्धारित कार्यक्रम के तहत हजारीबाग बंद का ऐलान कर चुके थे और इस प्रदर्शन में उनके उद्देश्यों को लेकर गहरी नाराजगी थी। छात्रों ने प्रदर्शन के दौरान एसडीओ ऑफिस को सूचित किया था और विभिन्न दुकानों को निशाना बनाते हुए शहर की मुख्य सड़कों पर प्रदर्शन किया।
NH-33 जाम और सड़क पर हिंसा
प्रदर्शनकारियों ने शहर के मुख्य मार्ग NH-33 को जाम कर दिया, जिससे सड़क पर घंटों ट्रैफिक जाम की स्थिति बन गई। यह जाम लगभग 4 घंटे तक बना रहा, जिसमें सैकड़ों गाड़ियां फंसी रहीं। इसमें स्कूल बसें भी प्रभावित हुईं, जिससे बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। जाम की स्थिति इतनी विकट हो गई कि नागवा टोल प्लाजा तक जाम की स्थिति बन गई, और बाराती गाड़ियों को भी जाम में फंसना पड़ा।
पुलिस की लाठीचार्ज और छात्रों का पथराव
जब स्थिति बिगड़ने लगी और प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ गई, तब प्रशासन ने लाठीचार्ज कर छात्रों को तितर-बितर करने की कोशिश की। पुलिस की कार्रवाई के दौरान छात्र उग्र हो गए और उन्होंने पुलिस पर पथराव किया। इस पथराव में एक दर्जन से अधिक गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गईं, जिनमें पुलिस की गाड़ी और पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी शामिल थे। इसके बाद, पुलिस ने आंसू गैस का भी इस्तेमाल किया ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। इस पूरी घटना में पुलिस और छात्रों के बीच गंभीर टकराव हुआ, जिससे स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई।
विधायक प्रदीप प्रसाद का बयान और छात्रों की मांग
घटना के बाद, रांची से विधायक प्रदीप प्रसाद ने घटनास्थल का दौरा किया और छात्रों को समझाने की कोशिश की। उन्होंने छात्रों से शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने की अपील की, लेकिन छात्रों की मांग थी कि परीक्षा परिणाम रद्द किया जाए। विधायक प्रदीप प्रसाद ने छात्रों की मांग को जायज बताते हुए कहा कि उनके साथ अन्याय हुआ है और परीक्षा परिणाम को रद्द किया जाना चाहिए। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के उग्र प्रदर्शन को गलत ठहराया और आगे विधानसभा सत्र के दौरान इस मामले को उठाने का वादा किया।
छात्रों की समस्याएं और परीक्षा में अनियमितता
छात्रों का कहना है कि इस परीक्षा में घोर अनियमितताएं हुई हैं। उनका आरोप है कि परीक्षा प्रश्न पत्र लीक हो गया था और सीटों को बेचा गया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि 21 तारीख को हुई परीक्षा में केवल 82 उम्मीदवारों ने सफलता हासिल की, जबकि 22 तारीख को हुई परीक्षा में 2178 उम्मीदवार पास हुए। इससे यह स्पष्ट होता है कि परीक्षा में गंभीर अनियमितताएं थीं और छात्रों का आरोप है कि उन्हें न्याय नहीं मिला।
पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
हजारीबाग पुलिस ने छात्रों की भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया। पुलिस ने यह भी कहा कि छात्रों ने पथराव कर स्थिति को और बिगाड़ा था, जिससे बल प्रयोग करना पड़ा। हजारीबाग के एसडीओ, अशोक कुमार ने बताया कि बहुत समझाने के बावजूद जब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई तो हल्का बल प्रयोग किया गया। पुलिस के मुताबिक, इस आंदोलन का नेतृत्व उदय कुमार मेहता और महेंद्र यादव ने किया था, जो इस विरोध प्रदर्शन के प्रमुख नेता थे।
अगले कदम और प्रशासन की कार्रवाई
एसडीओ ने यह भी कहा कि छात्रों की ओर से किए गए पथराव और हिंसा के मामले में विधिक कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने साफ किया कि इस मामले में कानून के दायरे में रहते हुए पूरी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, यह भी कहा गया कि ऐसे आंदोलनों में हिंसा का कोई स्थान नहीं है और प्रशासन इसे किसी भी कीमत पर सहन नहीं करेगा।
निष्कर्ष: छात्र आंदोलन और आगामी कार्यवाही
हजारीबाग में हुए इस छात्र आंदोलन ने प्रशासन के लिए एक चुनौती पेश की है। हालांकि, छात्रों की मांगों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा और पथराव ने मामले को जटिल बना दिया है। यह भी जरूरी है कि प्रशासन और छात्र दोनों मिलकर शांतिपूर्वक समाधान की दिशा में कदम बढ़ाएं। आने वाले दिनों में इस मामले में विधिक कार्यवाही और विधानसभा सत्र के दौरान छात्रों के मुद्दे को उठाने की संभावना है।
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