गुरु रविदास जयंती 2025: पढ़िए उनके अनमोल दोहे और जानिए उनका गूढ़ अर्थ

Published by :- Hritik Soni
Updated on: Wednesday, 12 Feb 2025

गुरु रविदास जयंती 2025: उनके विचार आज भी प्रासंगिक क्यों हैं?

 गुरु रविदास जयंती 2025: पढ़िए उनके अनमोल दोहे और जानिए उनका गूढ़ अर्थ
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नई दिल्ली, 12 फरवरी 2025 – संत शिरोमणि गुरु रविदास जी की जयंती माघ पूर्णिमा के दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है। इस वर्ष गुरु रविदास जयंती 12 फरवरी 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी।

गुरु रविदास जी एक महान संत, समाज सुधारक और कवि थे। उन्होंने अपने दोहों के माध्यम से समाज में फैली कुरीतियों, जातिवाद, भेदभाव और अन्याय का विरोध किया। उनके विचार न केवल उनके समय में बल्कि आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं। आइए, इस शुभ अवसर पर उनके कुछ प्रेरणादायक दोहे और उनके अर्थ को समझते हैं।


गुरु रविदास जी के अनमोल दोहे और उनका अर्थ

1. जात-पात से ऊपर उठने का संदेश

📜 रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच,
📜 नर कूं नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच।

📖 अर्थ: संत रविदास जी कहते हैं कि कोई व्यक्ति जन्म से नीच नहीं होता, बल्कि उसके कर्म ही उसे नीच बनाते हैं। समाज में भेदभाव और ऊँच-नीच की भावना अनुचित है। हर इंसान अपने कर्मों से महान बनता है, न कि अपनी जाति से।


2. जात-पात का भ्रम समाप्त करना

📜 जनम जात मत पूछिए, का जात अरू पात।
📜 रैदास पूत सब प्रभु के, कोए नहिं जात कुजात॥

📖 अर्थ: गुरु रविदास जी कहते हैं कि हमें किसी व्यक्ति की जाति नहीं पूछनी चाहिए। सभी इंसान एक ही परमात्मा की संतान हैं। कोई भी जाति जन्म से ऊँची या नीची नहीं होती, बल्कि यह समाज का बनाया हुआ भ्रम है।


3. गुलामी और पराधीनता सबसे बड़ा पाप

📜 पराधीनता पाप है, जान लेहु रे मीत।
📜 रैदास दास पराधीन सौं, कौन करैहै प्रीत॥

📖 अर्थ: गुरु रविदास जी कहते हैं कि गुलामी सबसे बड़ा पाप है। जो व्यक्ति पराधीन होता है, उससे कोई प्रेम नहीं करता, बल्कि सभी उसका शोषण करते हैं। हमें हमेशा स्वतंत्रता के लिए प्रयास करना चाहिए और अपने आत्मसम्मान की रक्षा करनी चाहिए।


4. सच्ची पूजा के लिए गुणों का महत्व

📜 ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन,
📜 पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीन।

📖 अर्थ: गुरु रविदास जी कहते हैं कि पूजा का आधार जन्म या जाति नहीं, बल्कि गुण और कर्म होने चाहिए। अगर कोई व्यक्ति ज्ञानी और सद्गुणी है, भले ही वह किसी भी जाति या वर्ग का हो, वह पूजनीय है। इसके विपरीत, अगर कोई ब्राह्मण (ऊँची जाति का व्यक्ति) ज्ञान और सद्गुणों से रहित है, तो उसकी पूजा करना निरर्थक है।


5. मानवता का सबसे बड़ा धर्म

📜 ऐसा चाहूँ राज मैं, जहाँ मिले सबन को अन्न।
📜 छोट-बड़ा सब सम बसै, रैदास रहे प्रसन्न॥

📖 अर्थ: संत रविदास जी एक ऐसे समाज की कल्पना करते हैं, जहाँ कोई भूखा न रहे, सभी को समान अवसर मिले, और ऊँच-नीच का कोई भेदभाव न हो। उनका यह विचार आज भी सामाजिक समरसता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।


गुरु रविदास जी के विचारों का आधुनिक समाज में महत्व

✅ जातिवाद और भेदभाव को समाप्त करना
✅ कर्म को प्राथमिकता देना, जन्म को नहीं
✅ पराधीनता (गुलामी) को पाप समझना
✅ सभी मनुष्यों को समान समझना
✅ गुणवान व्यक्ति का सम्मान करना, न कि केवल जाति के आधार पर


गुरु रविदास जयंती 2025 से जुड़े FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1: गुरु रविदास जी का जन्म कब हुआ था?
👉 गुरु रविदास जी का जन्म 15वीं शताब्दी में माघ पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसीलिए हर वर्ष माघ पूर्णिमा को उनकी जयंती मनाई जाती है।

Q2: इस साल गुरु रविदास जयंती कब है?
👉 इस वर्ष गुरु रविदास जयंती 12 फरवरी 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी।

Q3: गुरु रविदास जी के विचार किस बारे में थे?
👉 उन्होंने जातिवाद, छुआछूत, भेदभाव और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई और समानता का संदेश दिया।

Q4: गुरु रविदास जी के प्रसिद्ध दोहे कौन-कौन से हैं?
👉 उनके प्रसिद्ध दोहों में “जनम जात मत पूछिए”, “पराधीनता पाप है”, “ऐसा चाहूँ राज मैं” आदि शामिल हैं।

Q5: गुरु रविदास जी ने किस समाज सुधार का संदेश दिया?
👉 उन्होंने मानवता, समानता, और कर्मप्रधान समाज का संदेश दिया, जहाँ जाति के आधार पर किसी का अपमान न किया जाए।


निष्कर्ष

गुरु रविदास जी के विचार और दोहे आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने 15वीं शताब्दी में थे। उन्होंने समाज को जातिवाद, भेदभाव और अज्ञानता से ऊपर उठने की प्रेरणा दी। इस गुरु रविदास जयंती 2025 पर हमें उनके विचारों को आत्मसात करना चाहिए और एक समानता और प्रेम से भरे समाज की स्थापना का संकल्प लेना चाहिए।

🙏 गुरु रविदास जी के अनमोल विचारों को अपनाकर समाज में समरसता फैलाएँ! 🙏

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