गृहमंत्री अमित शाह का पुतला फूंका: आंबेडकर पर टिप्पणी के खिलाफ भाकपा का प्रतिरोध

Published by: Roshan Soni
Updated on: Tuesday, 31 Dec 2024

प्रस्तावना

                गृहमंत्री अमित शाह का पुतला फूंका: आंबेडकर पर टिप्पणी के खिलाफ भाकपा का प्रतिरोध

भारतीय समाज में बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे न केवल हमारे संविधान के निर्माता हैं, बल्कि उन्होंने समाज में समानता, स्वतंत्रता और न्याय की स्थापना के लिए निरंतर संघर्ष किया। हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह द्वारा डॉ. आंबेडकर के नाम पर की गई टिप्पणी ने पूरे देश में आक्रोश फैलाया है। इस संदर्भ में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के कार्यकर्ताओं ने एक प्रतिरोध मार्च आयोजित किया, जिससे उन्होंने अपनी आवाज उठाई

घटना का विवरण 

गृहमंत्री की टिप्पणी संविधान निर्माता डॉ. आंबेडकर का अपमान है, और इससे पूरे देश के संविधान पर संकट उत्पन्न हुआ है।

दलसिंहसराय में भाकपा कार्यकर्ताओं ने कम्युनिस्ट पार्टी के स्थानीय कमेटी की ओर से गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ प्रतिरोध मार्च निकाला। यह मार्च सरदारगंज चौक पर समाप्त हुआ, जहां कार्यकर्ताओं ने गृहमंत्री का पुतला जलाकर अपना विरोध प्रकट किया। सभा की अध्यक्षता रामसेवक राय ने की। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि गृहमंत्री की टिप्पणी ने देश के लोगों को आक्रोशित कर दिया है, जबकि सरकार इस गंभीर मुद्दे पर मौन बनी हुई है।

वक्ताओं की बातें

सभा में उपस्थित अंचल मंत्री नीलम देवी, विधानचंद्र, रामनरेश दास और अन्य नेताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि:

  1. संविधान का अपमान: गृहमंत्री की टिप्पणी संविधान निर्माता डॉ. आंबेडकर का अपमान है, और इससे पूरे देश के संविधान पर संकट उत्पन्न हुआ है।
  2. जनता के अधिकारों का हनन: नेताओं ने कहा कि भाजपा सरकार संविधान को समाप्त करने की योजना बना रही है, जिससे जनता के अधिकारों पर खतरा मंडरा रहा है।
  3. सामाजिक न्याय का उल्लंघन: इस प्रकार की टिप्पणियों से समाज में असमानता और संघर्ष को बढ़ावा मिलता है, जो कि डॉ. आंबेडकर के दृष्टिकोण के विपरीत है।

समाज पर प्रभाव

                             आंबेडकर के नाम पर की गई टिप्पणी ने पूरे देश में आक्रोश फैलाया है।

यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारे देश में संवैधानिक मूल्यों का सम्मान किया जा रहा है। डॉ. आंबेडकर ने जो संघर्ष किया, उसकी सराहना होनी चाहिए, न कि उस पर टिप्पणी करने का साहस। यह समय है कि समाज के सभी वर्ग एकजुट होकर अपने अधिकारों की रक्षा करें और संविधान की गरिमा को बनाए रखें।

निष्कर्ष

गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ भाकपा का यह प्रतिरोध एक आवश्यक कदम है, जो यह दर्शाता है कि समाज अब अपने अधिकारों के लिए खड़ा होने लगा है। हमें चाहिए कि हम ऐसे हर प्रयास का समर्थन करें जो हमारी संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करता हो। डॉ. आंबेडकर की विरासत को आगे बढ़ाने का यही सही समय है।

आपके विचार

क्या आपको लगता है कि इस तरह की टिप्पणियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए? आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं? कृपया अपने विचार हमें टिप्पणियों में साझा करें।

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