Economic Growth 2025: भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी, वाहन बिक्री और इस्पात खपत दे रहे मजबूत संकेत

Published by :- Hritik Kumar
Updated on: Thursday, 20 Feb 2025

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के फरवरी 2025 बुलेटिन के अनुसार, देश में आर्थिक गतिविधियों में तेजी के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं। वाहन बिक्री, हवाई यातायात, इस्पात खपत और जीएसटी ई-वे बिल जैसे आंकड़े भारत की आर्थिक मजबूती और विकास को दर्शा रहे हैं। चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक वृद्धि की संभावना और मजबूत हुई है।


आर्थिक विकास को गति देने वाले मुख्य कारक

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  1. ग्रामीण और शहरी मांग में सुधार
  • कृषि क्षेत्र के शानदार प्रदर्शन से ग्रामीण मांग में बढ़ोतरी हो रही है।
  • आयकर में राहत और मुद्रास्फीति में गिरावट के कारण शहरी क्षेत्रों में खर्च योग्य आय में वृद्धि हो रही है, जिससे उपभोक्ता मांग को बल मिल रहा है।
  1. बजट 2025-26 के सकारात्मक प्रभाव
  • नए बजट में पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) को बढ़ावा दिया गया है, जो बुनियादी ढांचे के विकास और रोजगार सृजन में सहायक होगा।
  • एमएसएमई (MSME) सेक्टर को समर्थन और निर्यात में वृद्धि के लिए विशेष उपाय किए गए हैं।
  1. मौद्रिक नीति और ब्याज दरों में संभावित कटौती
  • रेपो रेट में संभावित कटौती से घरेलू मांग को गति मिलेगी।
  • उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होने से आर्थिक गतिविधियां और मजबूत होंगी।

वैश्विक अर्थव्यवस्था का भारतीय बाजार पर प्रभाव

  • अमेरिकी अर्थव्यवस्था और डॉलर की मजबूती: अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती और डॉलर के सुदृढ़ होने से उभरती अर्थव्यवस्थाओं से पूंजी निकासी का दबाव बन सकता है।
  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI): डॉलर की मजबूती और विदेशी निवेशकों की बिकवाली से भारतीय मुद्रा पर दबाव बना हुआ है।
  • महंगाई दर और वैश्विक व्यापार नीतियां: वैश्विक महंगाई दर में धीमी गिरावट और व्यापार नीतियों के कारण भारतीय बाजार पर भी असर पड़ सकता है।

RBI के आर्थिक गतिविधि सूचकांक (EAI) के संकेत

भारतीय रिजर्व बैंक ने इकोनॉमिक एक्टिविटी इंडेक्स (EAI) को डायनामिक फैक्टर मॉडल के जरिए 27 उच्च आवृत्ति संकेतकों से विकसित किया है।

  • वाहन बिक्री, हवाई यातायात और इस्पात खपत: ये तीनों प्रमुख संकेतक आर्थिक गतिविधियों में तेजी का स्पष्ट संकेत दे रहे हैं।
  • चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही: इन संकेतकों के आधार पर आर्थिक वृद्धि की गति आगे भी जारी रहने की संभावना है।

बजट 2025-26 के प्रभाव और आर्थिक सुधार

  • ग्रामीण और शहरी मांग में बढ़ोतरी: बजट में उठाए गए कदमों से ग्रामीण और शहरी मांग में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है।
  • घरेलू मांग को बल: रेपो दर में संभावित कटौती से घरेलू मांग को बढ़ावा मिलेगा।
  • आर्थिक मजबूती के संकेत: वाहन बिक्री, इस्पात खपत, और जीएसटी कलेक्शन जैसे आंकड़े आर्थिक गतिविधियों में मजबूती का संकेत दे रहे हैं।

संभावित चुनौतियां

  • वैश्विक बाजार की अस्थिरता: वैश्विक अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव का असर भारतीय बाजार पर पड़ सकता है।
  • डॉलर की मजबूती: डॉलर की मजबूती से भारतीय मुद्रा पर दबाव बने रहने की संभावना है।
  • विदेशी निवेश में गिरावट: विदेशी निवेशकों की बिकवाली के कारण भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता देखी जा सकती है।

FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी के क्या कारण हैं?
ग्रामीण और शहरी मांग में सुधार, बजट 2025-26 के सकारात्मक प्रभाव, और रेपो रेट में संभावित कटौती जैसे कारक आर्थिक विकास को गति दे रहे हैं।

2. वाहन बिक्री और इस्पात खपत में वृद्धि का क्या मतलब है?
वाहन बिक्री और इस्पात खपत में वृद्धि का मतलब है कि आर्थिक गतिविधियां बढ़ रही हैं, जिससे मांग और आपूर्ति में संतुलन बन रहा है।

3. वैश्विक बाजार का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
अमेरिकी डॉलर की मजबूती, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और वैश्विक व्यापार नीतियों का असर भारतीय मुद्रा विनिमय दर और बाजार की स्थिरता पर पड़ सकता है।

4. आर्थिक गतिविधि सूचकांक (EAI) क्या है?
RBI का इकोनॉमिक एक्टिविटी इंडेक्स (EAI) 27 उच्च आवृत्ति संकेतकों के आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था की गतिविधियों को मापता है।

5. आर्थिक सुधार की गति कितनी तेज होगी?
आरबीआई के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक सुधार की गति तेज होने की संभावना है, जो आगे भी जारी रह सकती है।

निष्कर्ष

आरबीआई के फरवरी 2025 बुलेटिन के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार की गति बढ़ रही है। वाहन बिक्री, इस्पात खपत और हवाई यातायात जैसे महत्वपूर्ण आंकड़े आर्थिक मजबूती के संकेत दे रहे हैं। बजट 2025-26 में उठाए गए कदमों और रेपो रेट में संभावित कटौती से घरेलू मांग में और तेजी आने की उम्मीद है। हालांकि, वैश्विक बाजार की अस्थिरता और डॉलर की मजबूती से कुछ चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं।

अधिक जानकारी और अपडेट के लिए आरबीआई की आधिकारिक वेबसाइट और समाचार चैनलों पर नजर बनाए रखें।

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