Published by :- Roshan Soni
Updated on: Wednesday, 08 Jan 2025
डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयानों ने पूरे सोशल मीडिया और न्यूज़ प्लेटफॉर्म्स पर हलचल मचा दी है। उन्होंने जिस तरह से अमेरिका के विस्तारवाद को लेकर बातें कही हैं, उससे दुनिया भर में बहस छिड़ गई है।
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ट्रंप का विस्तारवादी बयान

डोनाल्ड ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से यह दावा किया कि वह पनामा कैनाल, कनाडा, और ग्रीनलैंड को अमेरिका का हिस्सा बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह सैन्य शक्ति का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। ट्रंप के अनुसार, अमेरिका का विस्तार ज़रूरी है और इसे किसी भी कीमत पर पूरा किया जाएगा।
ट्रंप के बयानों का वैश्विक प्रभाव
ट्रंप के इन बयानों के बाद दुनियाभर में चिंता बढ़ गई है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने साफ तौर पर ट्रंप के बयानों की निंदा करते हुए कहा, “नॉट ए चांस इन हेल,” यानी कनाडा कभी भी अमेरिका का हिस्सा नहीं बनेगा।
ग्रीनलैंड की सरकार ने भी ट्रंप के इस बयान को खारिज करते हुए कहा कि ग्रीनलैंड एक स्वतंत्र और स्वायत्त क्षेत्र है, जो अमेरिका के किसी भी विस्तारवादी प्रयास का विरोध करेगा।
यूरोपीय यूनियन और नाटो के प्रमुखों ने भी ट्रंप के बयानों पर चिंता व्यक्त की है। नाटो प्रमुख जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि “ऐसे बयानों से वैश्विक शांति और सहयोग को खतरा हो सकता है।”
विस्तारवाद का ऐतिहासिक संदर्भ

ट्रंप के बयानों को 1942 के न्यू वर्ल्ड ऑर्डर मैप से जोड़ा जा रहा है, जिसमें दिखाया गया था कि भविष्य में दुनिया कुछ ही बड़े देशों में बंट जाएगी। इस मैप में अमेरिका, रूस, चीन जैसे देश विशाल साम्राज्यों के रूप में दर्शाए गए थे।
क्या यह सिर्फ बयानबाज़ी है या सच में खतरा?
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की ये बातें केवल राजनीतिक बयानबाज़ी हो सकती हैं, लेकिन उनकी विचारधारा में एक स्पष्ट विस्तारवादी नीति झलक रही है। यह न केवल अमेरिका, बल्कि अन्य महाशक्तियों जैसे चीन और रूस के लिए भी खतरनाक संकेत हो सकता है।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप के यह बयान न केवल अमेरिका, बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय हैं। अगर यह विचारधारा आगे बढ़ी, तो इससे अंतर्राष्ट्रीय स्थिरता को खतरा हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक संगठनों को इस पर ध्यान देना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार का सैन्य संघर्ष न हो।
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