लेखक :- Sourav Kumar
कैटेगरी :- ताजा खबर| किराना हिल्स में न्यूक्लियर रेडिएशन की चर्चा से मचा बवाल
Publish Date :- Thursday, 15 May 2025
पाकिस्तान के किराना हिल्स में न्यूक्लियर रेडिएशन की खबरों ने एक बार फिर उसके परमाणु हथियारों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस पूरे मामले में जहां सोशल मीडिया पर बहस जोरों पर है, वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस खबर को लेकर हलचल देखी जा रही है।
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किराना हिल्स क्यों है अहम?
किराना हिल्स, पाकिस्तान के न्यूक्लियर प्रोग्राम का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। कहा जाता है कि यहां पर पाकिस्तान ने अपने शुरुआती न्यूक्लियर परीक्षण और विकास के कई गोपनीय कार्य किए थे। इस इलाके की संवेदनशीलता को देखते हुए जब यहां न्यूक्लियर रेडिएशन लीक होने की अफवाहें फैलीं, तो दुनिया भर की नजरें पाकिस्तान पर टिक गईं।
क्या किराना हिल्स में वाकई रेडिएशन हुआ?
हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ऐसी चर्चा है कि भारत द्वारा पाकिस्तान के किसी एयरबेस पर कार्रवाई के दौरान किराना हिल्स में रेडिएशन लीक हुआ। हालांकि पाकिस्तान, भारत और अमेरिका—तीनों देशों ने इस तरह की किसी घटना से इनकार किया है।
परंतु शक की सुई तब घूमी जब अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी के Beechcraft B350 AMS विमान को पाकिस्तान की वायुसीमा में देखा गया। यह विमान न्यूक्लियर रेडिएशन मापन में सक्षम है और विशेष रूप से Aerial Measuring System का हिस्सा माना जाता है।
Beechcraft B350 AMS विमान और उसकी भूमिका
यह अत्याधुनिक विमान गामा रे सेंसर्स, रियल-टाइम डेटा ट्रांसमिशन और जियोग्राफिक मैपिंग टूल्स से लैस होता है। यह कम ऊंचाई और धीमी गति से उड़ान भरने में सक्षम है जिससे यह जमीन पर रेडिएशन की मौजूदगी और असर का आकलन कर सकता है।
दो थ्योरीज़ सामने आई हैं:
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यह विमान अमेरिका ने भेजा था ताकि किसी संभावित लीक की जांच हो सके।
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यह विमान 2010 में पाकिस्तान की सेना को ट्रांसफर किया गया था और अब उसे खुद पाकिस्तान ने इस्तेमाल किया है।
बोरोन कंपाउंड का आयात और शक की पुष्टि
एक और बड़ा संकेत तब मिला जब सोशल मीडिया पर दावा हुआ कि मिस्र से बोरोन से जुड़े कंपाउंड पाकिस्तान लाए गए। बोरोन न्यूट्रॉन्स को अवशोषित करने की क्षमता रखता है और न्यूक्लियर रिएक्टर कंट्रोल में इसकी अहम भूमिका होती है।
चेर्नोबिल (1986) और फुकुशिमा (2011) जैसी न्यूक्लियर आपदाओं में भी बोरोन का इस्तेमाल रेडिएशन को रोकने के लिए किया गया था। यह संकेत देता है कि पाकिस्तान में कुछ न कुछ न्यूक्लियर आपात स्थिति हो सकती है, जिसकी सच्चाई को दबाया जा रहा है।
न्यूक्लियर हथियारों की सुरक्षा पर फिर उठे सवाल
पाकिस्तान की न्यूक्लियर नीति को लेकर पहले से ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता रही है। लगातार राजनीतिक अस्थिरता, आतंकवादियों को समर्थन और सैन्य शासन की परंपरा ने इसे एक “गैर-जिम्मेदार न्यूक्लियर स्टेट” की छवि दी है।
भारत के खिलाफ जब भी पाकिस्तान पर दबाव बढ़ता है, वह परमाणु युद्ध की धमकी देता है। लेकिन अब भारत ने भी साफ कर दिया है कि न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग नहीं चलेगी।
FAQs:
Q1: क्या किराना हिल्स में वाकई न्यूक्लियर रेडिएशन हुआ है?
उत्तर: इस पर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। पाकिस्तान, अमेरिका और भारत—तीनों देशों ने ऐसी किसी घटना से इनकार किया है, लेकिन संदिग्ध गतिविधियां संदेह को गहरा करती हैं।
Q2: Beechcraft B350 AMS विमान क्यों चर्चा में है?
उत्तर: यह विमान रेडिएशन डिटेक्शन के लिए प्रयोग किया जाता है और इसे पाकिस्तान की वायुसीमा में उड़ते देखा गया, जिससे रेडिएशन लीक की आशंका और तेज हो गई।
Q3: बोरोन का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?
उत्तर: बोरोन न्यूट्रॉन्स को अवशोषित करता है और न्यूक्लियर फिशन को धीमा कर रेडिएशन को नियंत्रित करने में मदद करता है।
Q4: क्या पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियार सुरक्षित हैं?
उत्तर: लंबे समय से यह चिंता का विषय रहा है कि पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियार आतंकियों के हाथ लग सकते हैं। इसके इतिहास और वर्तमान हालात को देखते हुए इस पर यकीन करना मुश्किल है कि ये पूरी तरह सुरक्षित हैं।
निष्कर्ष:
किराना हिल्स में न्यूक्लियर रेडिएशन की खबरें और संदिग्ध गतिविधियां बताती हैं कि पाकिस्तान की न्यूक्लियर नीति और सुरक्षा एक बार फिर संदेह के घेरे में है। जब तक पारदर्शी जांच और विश्वसनीय जानकारी सामने नहीं आती, तब तक यह मामला सवालों के घेरे में रहेगा।
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