Published by :- Roshan Kumar
Updated on: Thursday, 20 Feb 2025
दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपनी कैबिनेट के साथ यमुना वसुदेव घाट पर पूजा और आरती करने के बाद सचिवालय में अपनी पहली कैबिनेट बैठक की। हालांकि, अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों की तुलना में दिल्ली के मुख्यमंत्री के पास कुछ महत्वपूर्ण शक्तियाँ नहीं होती हैं। आइए जानते हैं कि वे कौन-कौन सी शक्तियाँ हैं और दिल्ली सरकार के पास वे क्यों नहीं होतीं।

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दिल्ली के मुख्यमंत्री के पास कौन-कौन सी शक्तियाँ नहीं होतीं?
दिल्ली भारत की राजधानी होने के कारण पूर्ण राज्य नहीं है। इसका प्रशासन संविधान के अनुच्छेद 239AA के तहत चलता है, जिससे दिल्ली को एक विधान सभा तो मिलती है, लेकिन कुछ शक्तियाँ केंद्र सरकार के पास रहती हैं।
1. पुलिस पर नियंत्रण नहीं
- दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन आती है।
- कानून-व्यवस्था और अपराध नियंत्रण पर दिल्ली सरकार का कोई अधिकार नहीं है।
- मुख्यमंत्री पुलिस को सीधे आदेश नहीं दे सकते।
2. भूमि (Land) पर नियंत्रण नहीं
- दिल्ली में जमीन से जुड़े सभी मामलों का प्रबंधन केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय करता है।
- दिल्ली सरकार रियल एस्टेट या सरकारी जमीन पर सीधे निर्णय नहीं ले सकती।
3. कानून-व्यवस्था पर अधिकार नहीं
- दिल्ली में कानून-व्यवस्था बनाए रखना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।
- दिल्ली सरकार किसी भी प्रकार के सुरक्षा बलों को तैनात करने या हटाने का फैसला नहीं कर सकती।
4. म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (MCD) पर पूरा नियंत्रण नहीं
- दिल्ली नगर निगम (MCD) केंद्र सरकार के तहत आता है।
- दिल्ली सरकार का सीमित प्रभाव होता है नगर सेवाओं जैसे सफाई, सड़क मरम्मत आदि पर।
5. हर काम में उपराज्यपाल (LG) की मंजूरी जरूरी
- दिल्ली सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों और नीतियों को लागू करने से पहले LG की मंजूरी जरूरी होती है।
- LG के पास कुछ मामलों में वीटो पावर भी होती है और वे निर्णय केंद्र सरकार को भेज सकते हैं।
दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने की मांग
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री लगातार यह मांग करते रहे हैं कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए ताकि मुख्यमंत्री के पास वास्तविक शक्तियाँ हों।
अरविंद केजरीवाल की मांग
- केजरीवाल ने बार-बार कहा कि जब दिल्ली सरकार जनता से टैक्स लेती है और चुनाव लड़ती है, तो पुलिस और जमीन जैसे अहम क्षेत्रों पर उसका नियंत्रण क्यों नहीं होना चाहिए।
- इस मुद्दे को लेकर वे सुप्रीम कोर्ट तक गए और कई बार उपराज्यपाल (LG) के साथ टकराव हुआ।
शीला दीक्षित की मांग
- शीला दीक्षित (1998–2013) ने भी कई बार केंद्र सरकार से यह मांग की कि दिल्ली सरकार को अधिक प्रशासनिक अधिकार दिए जाएँ।
- उन्होंने पुलिस और भूमि नियंत्रण पर विशेष रूप से अधिकार की वकालत की।
मदन लाल खुराना का समर्थन
- दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना (1993–1996) ने भी पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की।
- उन्होंने कहा था कि दिल्ली सरकार के पास कानून-व्यवस्था और जमीन पर अधिकार न होना लोकतंत्र के खिलाफ है।
पूर्ण राज्य का दर्जा क्यों नहीं?
- दिल्ली भारत की राष्ट्रीय राजधानी है, इसलिए केंद्र सरकार इसकी सुरक्षा और प्रशासन पर सीधा नियंत्रण चाहती है।
- कानून-व्यवस्था, पुलिस, और भूमि नियंत्रण केंद्र सरकार के पास रहने से मुख्यमंत्री कई बार फैसले लेने में असमर्थ होते हैं।
- राष्ट्रीय राजधानी होने के कारण केंद्र सरकार चाहती है कि दिल्ली के महत्वपूर्ण मामलों पर उसका सीधा नियंत्रण रहे।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. दिल्ली के मुख्यमंत्री को पूर्ण शक्तियाँ क्यों नहीं मिलतीं? दिल्ली एक केंद्रशासित प्रदेश और भारत की राजधानी होने के कारण यहाँ की सुरक्षा और भूमि पर केंद्र सरकार का सीधा नियंत्रण रहता है।
2. क्या दिल्ली को पूर्ण राज्य बनाने की संभावना है? भविष्य में अगर संसद में कानून बनता है तो दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल सकता है, लेकिन फिलहाल यह संभव नहीं दिखता।
3. दिल्ली सरकार पुलिस को आदेश क्यों नहीं दे सकती? दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन आती है, इसलिए मुख्यमंत्री का इस पर कोई अधिकार नहीं होता।
4. क्या अन्य केंद्रशासित प्रदेशों की स्थिति भी दिल्ली जैसी है? नहीं, अन्य केंद्रशासित प्रदेशों की प्रशासनिक संरचना अलग होती है। दिल्ली को विशेष दर्जा प्राप्त है लेकिन इसकी कुछ शक्तियाँ सीमित हैं।
5. क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री उपराज्यपाल (LG) के फैसलों को चुनौती दे सकते हैं? हाँ, दिल्ली सरकार कोर्ट में जाकर उपराज्यपाल के फैसलों को चुनौती दे सकती है, जैसा कि अरविंद केजरीवाल ने कई बार किया।
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