By Roshan Soni
Edited By : Roshan Soni
Updated : Saturday , 31 May 2025
Contents
🔹 भूमिका: भारत की वैश्विक कूटनीति की नई जीत
हाल ही में कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने दक्षिण अमेरिकी देश कोलंबिया की यात्रा की। यह यात्रा भारत के लिए सिर्फ एक औपचारिक विदेश दौरा नहीं, बल्कि एक कूटनीतिक मोर्चे पर बड़ी जीत साबित हुई। भारत की सख्त आतंकवाद विरोधी नीति का सम्मान करते हुए कोलंबिया ने पाकिस्तान के समर्थन में दिया गया अपना बयान वापस ले लिया।

🔹 कैसे शुरू हुआ विवाद: पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति, भारत के प्रति चुप्पी
ऑपरेशन ‘सिंदूर’, जो कि भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा आतंकवाद के खिलाफ किया गया था, उसके बाद पाकिस्तान में कुछ मौतें हुईं। इस पर कोलंबियाई सरकार ने पाकिस्तान के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की, लेकिन भारत में हुए आतंकवादी हमलों जैसे कि पहलगाम की घटना पर चुप्पी साधी। यही बात भारत के लिए अस्वीकार्य थी।
शशि थरूर ने इस असंतुलन पर कड़ी नाराजगी जताई और स्पष्ट किया कि आतंकवाद के शिकार और आतंक फैलाने वाले एक जैसे नहीं हो सकते।
🔹 शशि थरूर की सख्त प्रतिक्रिया
बोगोटा में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में थरूर ने कहा:
“हमें कोलंबिया सरकार के उस बयान से निराशा हुई जिसमें पाकिस्तान के प्रति संवेदना तो जताई गई, लेकिन भारत में आतंकवाद के शिकार लोगों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं दिखाई गई। हम यहां यह स्पष्ट करने आए हैं कि आतंकवाद और आत्मरक्षा में फर्क होता है।”
🔹 कोलंबिया ने मानी गलती, वापस लिया बयान
कोलंबिया की उप विदेश मंत्री रोजा योलांडा विल्लाविसेन्सियो से जब भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की, तब भारत की चिंता को गंभीरता से लिया गया। थरूर ने बातचीत के बाद कहा:
“उप मंत्री ने हमें आश्वासन दिया कि 8 मई को दिया गया बयान अब वापस ले लिया गया है और कोलंबिया अब भारत की स्थिति को पूरी तरह समझता और समर्थन करता है।”
यह भारत की ओर से कूटनीतिक दबाव का बेहतरीन उदाहरण है।
🔹 भारत की आतंकवाद पर ‘Zero Tolerance’ नीति
भारत ने हमेशा से आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है, और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह स्पष्ट किया है कि जो देश आतंकवाद को समर्थन देते हैं, उन्हें वैश्विक स्तर पर अलग-थलग किया जाना चाहिए।
शशि थरूर जैसे अनुभवी राजनेता जब ऐसे विषयों पर खुलकर बोलते हैं, तो उनकी बातें केवल भारत की ही नहीं बल्कि दुनिया भर की लोकतांत्रिक आवाज़ बन जाती हैं।
🔹 भारत का बढ़ता हुआ वैश्विक प्रभाव
इस घटना से स्पष्ट है कि भारत अब न सिर्फ दक्षिण एशिया, बल्कि लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों में भी अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। यह यात्रा पनामा, गुयाना, कोलंबिया, ब्राज़ील और अमेरिका जैसे देशों तक जाएगी, जहां भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति को मजबूती से पेश किया जाएगा।
🔹 शशि थरूर की पोस्ट ने बढ़ाया प्रभाव
थरूर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“मैंने 8 मई के बयान पर नाराजगी जताई और उन्हें भारत की संवेदनशीलता समझाई। उन्होंने माना कि बयान वापस ले लिया गया है और अब हमारी स्थिति का पूरा समर्थन है।”
इस पोस्ट के बाद अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी इस मुद्दे को व्यापक कवरेज मिला।
🔹 कोलंबिया की प्रतिक्रिया: सीख और समझ
कोलंबिया सरकार ने यह स्वीकार किया कि भारत की नाराजगी जायज है और आगे से वे इस प्रकार के संवेदनशील मुद्दों पर ज्यादा सोच-विचार कर प्रतिक्रिया देंगे।
इससे यह भी साफ होता है कि भारत अब केवल आर्थिक या सैन्य शक्ति ही नहीं, बल्कि सॉफ्ट पावर और नैतिक बल से भी विदेश नीति चला रहा है।
🔹 वैश्विक मंचों पर भारत का पक्ष मजबूत
यह घटना भारत की विदेश नीति की दिशा में एक मील का पत्थर है। शशि थरूर जैसे अनुभवी नेता जब विश्व स्तर पर भारत का पक्ष रखते हैं, तो इसका असर तुरंत देखने को मिलता है। यह दर्शाता है कि अब भारत किसी भी मुद्दे पर चुप नहीं बैठता, बल्कि सकारात्मक, तर्कसंगत और आक्रामक कूटनीति से अपनी बात मनवाता है।
✅ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
❓ शशि थरूर कोलंबिया क्यों गए थे?
वे एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख के रूप में दक्षिण अमेरिका यात्रा पर गए हैं ताकि भारत की आतंकवाद नीति को वैश्विक मंचों पर मजबूत किया जा सके।
❓ कोलंबिया ने पाकिस्तान के समर्थन में क्या कहा था?
कोलंबिया ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में हुई मौतों पर संवेदना व्यक्त की थी, जबकि भारत में हुए आतंकी हमलों पर चुप रहा था।
❓ कोलंबिया ने अपना बयान क्यों वापस लिया?
शशि थरूर की कूटनीतिक समझ और स्पष्ट नाराजगी के बाद कोलंबिया ने माना कि वह बयान एकपक्षीय था, और इसे तुरंत वापस लिया गया।
❓ क्या यह भारत की कूटनीतिक जीत है?
जी हां, यह भारत की वैश्विक स्तर पर सख्त आतंकवाद विरोधी नीति की स्वीकार्यता का प्रतीक है।
❓ क्या यह घटना भारत के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाएगी?
बिलकुल, यह घटना भारत को एक जिम्मेदार और मजबूत राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करती है जो अपने हितों के लिए खड़ा होता है।
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निष्कर्ष
शशि थरूर की कूटनीति ने यह साबित कर दिया है कि शब्दों की ताकत बंदूक से ज्यादा असरदार हो सकती है। कोलंबिया जैसे देश जब भारत की नाराजगी को गंभीरता से लेते हैं और अपने बयान को वापस लेते हैं, तो यह भारत की विदेश नीति की परिपक्वता और प्रभावशीलता का परिचायक है।
भारत अब केवल एक “विकासशील देश” नहीं, बल्कि वैश्विक कूटनीति का एक मजबूत स्तंभ बन चुका है — और इसकी मिसाल हमें बार-बार दिखाई दे रही है।
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