Published by: Roshan Soni
Updated on: Tuesday, 05 Nov 2024
छठ पूजा का महापर्व भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जिसमें सूर्य देवता की आराधना और उपासना की जाती है। इस वर्ष 2024 में छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर से हो रही है, और इस महापर्व का पहला दिन “नहाए खाए” के रूप में मनाया जाता है। नहाए खाए का दिन व्रतियों के लिए बेहद पवित्र और विशेष होता है, क्योंकि इस दिन से चार दिवसीय व्रत की शुरुआत होती है। इस लेख में हम जानेंगे कि नहाए खाए के दिन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और कौन सी गलतियाँ करने से बचना चाहिए।

Contents
छठ पूजा 2024: नहाए खाए का महत्व
छठ महापर्व की शुरुआत नहाए खाए से होती है। इस दिन व्रती विशेष रूप से शुद्धता और पवित्रता का पालन करते हैं। नहाए खाए के दिन तैयार होने वाला भोजन सात्विक होता है, जिसमें भात, चने की दाल और लौकी की सब्जी प्रमुख होती है। इस भोजन को बिना लहसुन और प्याज के तैयार किया जाता है, ताकि यह पूरी तरह से सात्विक प्रसाद बन सके। व्रती इस भोजन को ग्रहण कर अपने व्रत की शुरुआत करते हैं, जो अगले तीन दिनों तक चलता है।
नहाए खाए के दिन क्या करें
- साफ-सफाई का विशेष ध्यान
नहाए खाए के दिन शुद्धता बनाए रखना बेहद आवश्यक होता है। जिस स्थान पर पूजा होने वाली है और प्रसाद बनाया जाएगा, उसकी अच्छी तरह से सफाई कर लेनी चाहिए। इसके अलावा, जिन बर्तनों में प्रसाद तैयार हो रहा है, उनकी भी शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए। - सात्विक भोजन का निर्माण
नहाए खाए के दिन चावल, चने की दाल और लौकी की सब्जी का प्रसाद बनाया जाता है। इस भोजन में लहसुन, प्याज, और अन्य तामसिक चीजों का बिल्कुल भी प्रयोग नहीं करना चाहिए। प्रसाद को सादगी और पवित्रता के साथ तैयार करना चाहिए ताकि यह पूरी तरह से सात्विक रहे। - सेंधा नमक का प्रयोग
नहाए खाए के दिन प्रसाद में साधारण नमक की जगह सेंधा नमक का प्रयोग करना चाहिए। यह माना जाता है कि सेंधा नमक का सेवन स्वास्थ्य और शुद्धता दोनों दृष्टिकोण से बेहतर होता है। प्रसाद को तैयार करते समय हाथों की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए और हाथ धोने के बाद ही प्रसाद को छूना चाहिए।
नहाए खाए के दिन क्या न करें

- तामसिक चीजों से परहेज
नहाए खाए के दिन किसी भी प्रकार की तामसिक चीजों जैसे लहसुन, प्याज और मांसाहारी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए। इस दिन पूरी तरह से सात्विक भोजन बनाने पर जोर दिया जाता है, ताकि व्रती पवित्रता के साथ व्रत की शुरुआत कर सकें। - प्रसाद को दूषित करने से बचें
प्रसाद को बनाने के दौरान, इस बात का विशेष ध्यान रखें कि किसी भी प्रकार की अशुद्ध चीजें या बाहरी वस्तुएं उसमें शामिल न हों। यदि प्रसाद दूषित हो जाता है, तो उसका पुनः निर्माण करना उचित माना जाता है। - व्रत के दौरान ध्यान और एकाग्रता बनाए रखें
नहाए खाए के दिन व्रतियों को मानसिक और शारीरिक रूप से शुद्ध रहने का प्रयास करना चाहिए। नकारात्मक विचारों से बचें और मन को शांत और एकाग्र बनाए रखें। इस दिन का उद्देश्य आत्मा को पवित्र रखना और व्रत की शुरुआत को शुद्धता से करना है।
छठ पूजा का संकल्प और व्रत की शक्ति
नहाए खाए के दिन, व्रती छठ पूजा का संकल्प लेते हैं और अपने व्रत की शुरुआत करते हैं। यह व्रत बिना जल ग्रहण किए 36 घंटे तक चलता है, जिसमें व्रती का दृढ़ संकल्प और मानसिक शक्ति की परीक्षा होती है। यह महापर्व न केवल श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि व्रतियों के लिए एक आध्यात्मिक यात्रा भी है। इस महापर्व में परिवार के सभी सदस्य मिलकर सहयोग करते हैं और चार दिनों तक पवित्रता और एकजुटता का अनुभव करते हैं।
Conclusion
छठ पूजा का महापर्व हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इस पावन अवसर पर व्रती शुद्धता और पवित्रता का पालन करते हैं। नहाए खाए के दिन की खासियत यह है कि इस दिन से व्रत की शुरुआत होती है और व्रती को सात्विकता का ध्यान रखना होता है। इस लेख में बताई गई बातें आपको नहाए खाए के दिन का महत्व समझने में मदद करेंगी और साथ ही इस दिन की खास परंपराओं का पालन करना आसान बनाएंगी।
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