चांडिल के जंगलों में बाघ का आतंक: जानिए क्या हुआ जब बाघ ने बैल को बनाया शिकार

Published by: Roshan Soni
Updated on: Friday, 03 jan 2025

परिचय

सरायकेला-खरसावां जिले के चौका थाना क्षेत्र के तुलग्राम और उसके आसपास के जंगलों में बाघ की आहट से ग्रामीणों के बीच खौफ का माहौल है। बाघ ने हाल ही में एक बैल को मार डाला और एक बछिया को अपने साथ ले गया। यह घटना पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। वन विभाग अलर्ट पर है और आसपास के इलाकों में ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं। इस लेख में हम इस घटना से जुड़े हर पहलू को विस्तार से समझेंगे।


बाघ के हमले की घटना

                    चांडिल के जंगलों में बाघ का आतंक: जानिए क्या हुआ जब बाघ ने बैल को बनाया शिकार

31 दिसंबर को तुलग्राम के जंगलों में यह भयावह घटना घटी। ग्रामीण मवेशियों को चराने जंगल गए थे। अचानक भगदड़ मच गई और 13 वर्षीय सुमित महतो ने पेड़ पर चढ़कर यह खौफनाक मंजर देखा। बाघ ने पहले बैल पर हमला किया, उसे गर्दन और पैर में काटकर मार डाला। इसके बाद वह एक बछिया को दबोचकर घने जंगल में चला गया।

सुमित ने घटना की सूचना गांव वालों को दी। वन विभाग ने जांच में पाया कि निशान और शिकार के तरीके से यह हमला बाघ द्वारा ही किया गया है।


ग्रामीणों में डर का माहौल

घटना के बाद से ग्रामीण मवेशियों को जंगल में नहीं ले जा रहे हैं। लोग समूह में रहने को मजबूर हैं और घर से बाहर निकलने से बच रहे हैं। तुलग्राम और आसपास के पांच हजार से अधिक ग्रामीण भयभीत हैं। 13 वर्षीय सुमित, जिसने घटना को अपनी आंखों से देखा, अभी भी सदमे में है और उसकी तबीयत खराब है।


वन विभाग की कार्रवाई

वन विभाग ने घटनास्थल पर ट्रैप कैमरे लगाए हैं। उनका मानना है कि बाघ शिकार को खाने के लिए वापस आएगा। दलमा के डीएफओ सबा आलम अंसारी ने वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट्स को बुलाकर बाघ पर नजर रखने और उसकी लोकेशन का पता लगाने का निर्देश दिया है।


ग्रामीणों के लिए निर्देश और सुरक्षा उपाय

  1. जंगल में न जाएं: वन विभाग ने ग्रामीणों को जंगल जाने से रोक दिया है।
  2. सावधानी बरतें: मवेशियों को जंगल में चराने से बचें।
  3. समूह में रहें: किसी भी अनहोनी से बचने के लिए ग्रामीणों को समूह में रहने की सलाह दी गई है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बाघ झारखंड के जंगलों की ओर मूवमेंट कर रहे हैं क्योंकि टाइगर रिजर्व में उनकी संख्या बढ़ रही है। दलमा जंगल को बाघों के लिए सुरक्षित स्थान माना जाता है।


तुलग्राम का इतिहास और वन्यजीवन

40 साल पहले भी तुलग्राम में बाघ द्वारा मवेशियों पर हमला हुआ था। यह इलाका कभी बाघ, तेंदुआ और शेर जैसे जंगली जानवरों के लिए प्रसिद्ध था। हालांकि, जंगलों के कटने के कारण यह जानवर बंगाल और ओडिशा की ओर चले गए।


ग्रामीणों की राय

ग्रामीणों का कहना है कि बाघ की मौजूदगी ने उनकी रातों की नींद छीन ली है। जंगल के आसपास रहने वाले लोग अपने जानवरों और खुद की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।


क्या यह तेंदुआ हो सकता है?

कुछ ग्रामीणों का मानना है कि यह बाघ के बजाय तेंदुआ हो सकता है। छह महीने पहले कदमा के जंगल में भी तेंदुआ देखा गया था। हालांकि, वन विभाग ने इसे सिरे से खारिज किया है।


निष्कर्ष

चांडिल के तुलग्राम और उसके आसपास के जंगलों में बाघ की मौजूदगी ने ग्रामीणों को दहशत में डाल दिया है। वन विभाग और वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट्स इस स्थिति को संभालने में जुटे हैं। जंगल में बाघ की वापसी से यह स्पष्ट है कि वन क्षेत्र का घनत्व बढ़ रहा है, जो पर्यावरण के लिए एक सकारात्मक संकेत है। हालांकि, स्थानीय लोगों के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है।


FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

1. क्या बाघ अभी भी तुलग्राम के आसपास है?
हां, वन विभाग ने बाघ पर नजर रखने के लिए ट्रैप कैमरे लगाए हैं।

2. क्या यह घटना पहली बार हुई है?
नहीं, 40 साल पहले भी इसी क्षेत्र में बाघ द्वारा मवेशियों पर हमला हुआ था।

3. क्या वन विभाग ने बाघ को पकड़ने की योजना बनाई है?
हां, विशेषज्ञों की मदद से बाघ की लोकेशन का पता लगाकर उचित कार्रवाई की जाएगी।

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