Published by: Roshan Soni
Updated on: Monday, 06 jan 2025
BPSC Protest के तहत प्रशांत किशोर ने आमरण अनशन शुरू करते हुए राहुल गांधी और तेजस्वी यादव से अपील की कि वे बिहार के बच्चों के भविष्य के लिए इस आंदोलन में शामिल हों। जानें इस सत्याग्रह के प्रमुख उद्देश्य और राजनीतिक संदेश।
बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर ने BPSC परीक्षा में हुई अनियमितताओं और राज्य की प्रशासनिक विफलताओं के खिलाफ गांधी मैदान स्थित गांधी मूर्ति के नीचे आमरण अनशन शुरू कर दिया है। उनके इस सत्याग्रह ने न केवल युवाओं का ध्यान खींचा है, बल्कि प्रमुख राजनीतिक दलों को भी अपनी भूमिका पर विचार करने को मजबूर किया है।
राहुल और तेजस्वी से अपील: साथ आने का आग्रह

प्रशांत किशोर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव से अपील करते हुए कहा, “यह लड़ाई केवल BPSC की नहीं है, यह बिहार की खराब व्यवस्था को सुधारने की लड़ाई है। मैं उन्हें आमंत्रित करता हूं कि वे बच्चों के भविष्य के लिए हमारे आंदोलन में शामिल हों। मैं उनके पीछे बैठकर इस आंदोलन का समर्थन करने के लिए तैयार हूं।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन किसी एक व्यक्ति का नहीं है, बल्कि यह बिहार की व्यवस्था में सुधार के लिए एक सामूहिक प्रयास है। प्रशांत किशोर ने युवाओं को इस आंदोलन का नेतृत्व संभालने की बात कही और उनके साथ खड़े रहने का आश्वासन दिया।
आंदोलन का मुख्य उद्देश्य
- BPSC में हुई गड़बड़ियों के खिलाफ आवाज उठाना।
- बिहार की प्रशासनिक विफलताओं और भ्रष्टाचार को उजागर करना।
- राज्य की व्यवस्था में सुधार लाने के लिए युवा नेतृत्व को प्रोत्साहन देना।
प्रशांत किशोर ने कहा, “यह केवल परीक्षा में हुई धांधली की बात नहीं है, बल्कि यह बिहार के भविष्य के लिए संघर्ष है।” उन्होंने बताया कि सत्याग्रह अब 51 सदस्यीय युवा सत्याग्रह समिति के नेतृत्व में आगे बढ़ेगा।
प्रशासन को चुनौती: ‘गिरफ्तारी भी सत्याग्रह को नहीं रोक सकती’
प्रशांत किशोर ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा, “अगर मेरी गिरफ्तारी होती है, तो भी यह सत्याग्रह जारी रहेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि यह आंदोलन अब सिर्फ व्यक्तिगत प्रयास नहीं है, बल्कि यह बिहार के हर नागरिक का आंदोलन बन चुका है।
युवाओं के साथ खड़ा है जन सुराज

उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे इस संघर्ष में साथ आएं और इसे सफल बनाएं। उन्होंने कहा, “हम सिर्फ गांधी मैदान में बैठकर आंदोलन नहीं कर रहे हैं, बल्कि सत्याग्रह के मार्ग पर चलकर बिहार के भविष्य को सुधारने की दिशा में काम कर रहे हैं।”
‘रजाई और कंबल में बैठने से बिहार नहीं सुधरेगा’
प्रशांत किशोर ने अपनी बातों में गहरी चिंता व्यक्त की और कहा, “रजाई और कंबल में बैठने से बिहार नहीं सुधरेगा। हमें सड़कों पर उतरना होगा और अपनी आवाज को बुलंद करना होगा।”
राजनीतिक दलों को भी बुलावा
प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि यह आंदोलन किसी पार्टी विशेष के लिए नहीं है। उन्होंने तमाम राजनीतिक दलों से अपील की कि वे इस सत्याग्रह का समर्थन करें और बिहार को बेहतर बनाने के प्रयास में शामिल हों।
आंदोलन की सफलता का रास्ता
प्रशांत किशोर का कहना है कि बिहार की जनता अगर एकजुट हो जाए, तो किसी भी प्रकार की ताकत उन्हें रोक नहीं सकती। उन्होंने कहा, “हमारा संघर्ष बिहार को नई दिशा देने का है, और यह तभी संभव है जब हर वर्ग, हर समुदाय इस मुहिम का हिस्सा बने।”
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