बिहार की पहली महिला आईपीएस मंजरी जरुहर: संघर्ष और सफलता की प्रेरणादायक कहानी

Published by :- Hritik Soni
Updated on: Monday, 10 Feb 2025

भारत में यूपीएससी परीक्षा (UPSC) पास करना हर छात्र का सपना होता है, लेकिन यह सफर आसान नहीं होता। खासकर महिलाओं के लिए, जब समाज और पारिवारिक जिम्मेदारियां उनके सपनों के आड़े आती हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है बिहार की पहली महिला आईपीएस अधिकारी मंजरी जरुहर की, जिन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर मुश्किल का डटकर सामना किया।

प्रारंभिक जीवन और शादी की चुनौतियां

Credit as :- Social Media

 

मंजरी जरुहर का जन्म एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ, जहां पहले से ही कई सदस्य आईएएस (IAS) और आईपीएस (IPS) अधिकारी रह चुके थे। वह बचपन से आईएएस अधिकारी बनना चाहती थीं, लेकिन सिर्फ 19 साल की उम्र में उनकी शादी एक IFS अधिकारी से कर दी गई। शादी के बाद उन्हें महसूस हुआ कि उनके पति और ससुराल वाले शिक्षा को लेकर गंभीर नहीं थे, जिससे उनके सपनों को एक बड़ा झटका लगा।

स्वतंत्रता की राह और यूपीएससी की तैयारी

मंजरी ने अपने हालात से हार मानने की बजाय अपने करियर को प्राथमिकता देने का फैसला किया। उन्होंने अपने ससुराल से अलग होकर अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने पटना वीमेंस कॉलेज से इंग्लिश ऑनर्स और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया। इसके बाद उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी।

पहली असफलता और हौसले की जीत

मंजरी ने पहली बार 1974 में यूपीएससी परीक्षा दी, जिसमें वह प्रीलिम्स और मेंस तो पास कर गईं, लेकिन इंटरव्यू क्लियर नहीं कर पाईं। इस असफलता ने उन्हें तोड़ा नहीं, बल्कि और भी मजबूत बना दिया। 1975 में दोबारा परीक्षा दी और इस बार सफलता उनके कदम चूमी। उन्हें भारत की पांचवीं महिला आईपीएस अधिकारी बनने का गौरव प्राप्त हुआ।

यूपीएससी इंटरव्यू का अनोखा सवाल

इंटरव्यू के दौरान मंजरी से एक अनोखा सवाल पूछा गया। चूंकि उन्होंने अपने यूपीएससी फॉर्म में “कुकिंग” को अपनी हॉबी बताया था, इसलिए बोर्ड मेंबर्स ने उनसे मेयोनीज सॉस की रेसिपी पूछी। मंजरी ने बिना झिझक और आत्मविश्वास के साथ स्टेप-बाय-स्टेप मेयोनीज बनाने की विधि बता दी। उस समय यह सॉस बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं थी, लेकिन उनकी कुकिंग नॉलेज से बोर्ड प्रभावित हुआ और उनसे कोई अन्य सवाल नहीं पूछा गया।

आईपीएस बनने के बाद की यात्रा

मंजरी जरुहर को 1976 में आईपीएस अधिकारी के रूप में नियुक्ति मिली। हालांकि, उन्होंने दोबारा यूपीएससी परीक्षा देकर आईएएस बनने की कोशिश की, लेकिन इस बार मेंस परीक्षा भी पास नहीं कर सकीं। फिर भी, उन्होंने अपने आईपीएस करियर को आगे बढ़ाया और अपने कर्तव्यों का उत्कृष्ट रूप से निर्वहन किया।

रिटायरमेंट और ‘मैडम सर’ किताब की पब्लिकेशन

रिटायरमेंट के बाद मंजरी जरुहर ने अपनी आत्मकथा ‘मैडम सर’ लिखी, जिसमें उन्होंने बचपन से लेकर आईपीएस अधिकारी बनने तक के सफर को विस्तार से साझा किया है। यह किताब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देती है और यह संदेश देती है कि संघर्षों से घबराना नहीं चाहिए

मंजरी जरुहर से मिलने वाली प्रेरणा

उनकी यह कहानी हर उस महिला के लिए एक सबक है, जो हालात से समझौता करने के लिए मजबूर महसूस करती हैं। मंजरी जरुहर ने दिखाया कि अगर आप अपने सपनों के लिए लड़ने का साहस रखते हैं, तो पूरी दुनिया आपके रास्ते खोलने पर मजबूर हो जाती है।


FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

1. मंजरी जरुहर कौन हैं?

मंजरी जरुहर बिहार की पहली महिला आईपीएस अधिकारी हैं और भारत की पांचवीं महिला आईपीएस बनने का गौरव उन्हें प्राप्त हुआ।

2. मंजरी जरुहर की शादी कितनी उम्र में हुई थी?

उनकी शादी सिर्फ 19 साल की उम्र में एक IFS अधिकारी से कर दी गई थी।

3. मंजरी जरुहर का यूपीएससी इंटरव्यू में कौन-सा अनोखा सवाल पूछा गया था?

यूपीएससी इंटरव्यू के दौरान उनसे मेयोनीज सॉस बनाने की रेसिपी पूछी गई थी, क्योंकि उन्होंने अपने फॉर्म में कुकिंग को हॉबी बताया था।

4. मंजरी जरुहर की किताब का नाम क्या है?

उनकी किताब का नाम ‘मैडम सर’ है, जिसमें उन्होंने अपनी जिंदगी के संघर्षों को साझा किया है।

5. मंजरी जरुहर ने कितनी बार यूपीएससी परीक्षा दी?

उन्होंने 1974 और 1975 में यूपीएससी परीक्षा दी, जिसमें दूसरी बार सफल होकर आईपीएस बनीं। 1976 में उन्होंने आईएएस के लिए दोबारा प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो सकीं।


निष्कर्ष

मंजरी जरुहर की कहानी सिर्फ एक आईपीएस अधिकारी बनने की नहीं है, बल्कि यह संघर्ष, आत्मनिर्भरता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। उन्होंने अपनी मेहनत, लगन और साहस से यह साबित किया कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी मंजिल पाई जा सकती है। उनकी सफलता हर महिला के लिए प्रेरणा है कि कभी हार मत मानो और अपने सपनों को साकार करने के लिए मेहनत जारी रखो

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