Published by: Roshan Soni
Updated on: Monday, 06 jan 2025
Bihar Politics: Political story of agreement and rejection at the behest of Lalu-Nitish, Misa Bharti said ‘Everyone will know when the time comes’, राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। राजद के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव ने हाल ही में यह बयान दिया था कि उनका दरवाजा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए हमेशा खुला है, और यदि वह सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ साथ आना चाहें, तो पार्टी उनका स्वागत करेगी। हालांकि, इस प्रस्ताव को नीतीश कुमार ने नकारा कर दिया था, और मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि वह अब किसी के साथ नहीं जाएंगे।
लेकिन यह सियासी उलझन यहीं खत्म नहीं होती। राजद सांसद मीसा भारती ने जब इस मुद्दे पर मीडिया से प्रतिक्रिया दी, तो उन्होंने कहा कि लालू यादव और नीतीश कुमार दोनों ही बड़े नेता हैं, जो इशारों में बात करते हैं। मीसा ने यह भी कहा कि वक्त आने पर सबको पता चलेगा कि बिहार की राजनीति में क्या होने वाला है। उनके मुताबिक, बिहार में बदलाव की लहर आने वाली है और यह महागठबंधन की सरकार के पुनर्निर्माण के संकेत हैं।
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बीजेपी और नीतीश कुमार: एक सियासी जुहाब

राजद सांसद मीसा भारती ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी चुनावों में नीतीश कुमार के नाम का इस्तेमाल करती है, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का उनका इरादा नहीं है। उनका मानना है कि बीजेपी जानती है कि अगर नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाना पड़ा, तो पार्टी को बिहार में बहुमत नहीं मिलेगा। इस बयान से यह साफ है कि बिहार की सियासत में एक नई पार्टी-परिवर्तन की लहर दिखने की संभावना है।
लालू यादव की बैठक: क्या है इसका सियासी संदेश?

अब, जब बिहार की सियासी गर्मी बढ़ी हुई है, तो लालू यादव ने 18 जनवरी को पटना में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। इस बैठक को लेकर पार्टी में चर्चाएं तेज हो गई हैं। पार्टी महासचिव अब्दुलबारी सिद्दिकी ने एक पत्र जारी करते हुए बताया कि यह बैठक राजद प्रमुख के निर्देश पर बुलाई गई है, जिसमें सभी बड़े नेताओं का उपस्थित होना जरूरी है। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य पार्टी की रणनीतियों पर चर्चा करना होगा, लेकिन सियासी जानकारों का मानना है कि यह बैठक बिहार में सत्ता परिवर्तन की दिशा तय करने वाली साबित हो सकती है।
बिहार के वर्तमान सियासी समीकरण
बिहार में फिलहाल विधानसभा चुनावों के सियासी समीकरणों की बात करें, तो यहां के 243 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है। बहुमत के लिए 122 सीटों की आवश्यकता है। सत्तारूढ़ गठबंधन में बीजेपी के पास 78 सीटें हैं, जबकि नीतीश कुमार की जदयू (JDU) के पास 45 सीटें हैं। इसके अलावा, जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम’ के पास चार विधायक हैं और एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन सरकार को प्राप्त है।
बिहार के सियासी समीकरणों को देखते हुए, जब पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने दावा किया कि मकर संक्रांति के बाद बिहार में “खेला” होगा और महागठबंधन की सरकार बनेगी, तो यह बयान नए राजनीतिक समीकरणों को लेकर एक संकेत माना जा रहा है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि पप्पू यादव किस गठबंधन का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन उनका यह बयान यह संकेत करता है कि बिहार में जल्द ही कुछ बड़ा होने वाला है।
बिहार में महागठबंधन का भविष्य

राजद के नेताओं की बयानों और बिहार के सियासी हालात को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि महागठबंधन के भविष्य को लेकर सस्पेंस बना हुआ है। एक तरफ जहां नीतीश कुमार अपनी स्थिति मजबूत रखने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं लालू यादव और मीसा भारती महागठबंधन को फिर से एकजुट करने के संकेत दे रहे हैं। क्या बिहार में महागठबंधन की सरकार बनेगी? क्या नीतीश कुमार फिर से लालू यादव के साथ मिलकर सत्ता में वापस आएंगे? इन सवालों के जवाब आने वाले वक्त में ही मिलेंगे।
निष्कर्ष
बिहार की सियासत इन दिनों कई मोड़ों पर खड़ी है। लालू यादव और नीतीश कुमार के बीच इशारों में संवाद और महागठबंधन की भविष्यवाणियां, यह सब कुछ दर्शाता है कि बिहार में सत्ता परिवर्तन की गूंज तेज हो चुकी है। मीसा भारती का यह बयान कि “वक्त आने पर सबको पता चलेगा”, यही इस बात का इशारा है कि आने वाले समय में बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव हो सकता है। 18 जनवरी को होने वाली राजद की बैठक के बाद सियासी तस्वीर और स्पष्ट हो सकती है।
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