Published by: Roshan Soni
Updated on: Wednesday, 06 Nov 2024
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परिचय

बिहार की महान लोक गायिका शारदा सिन्हा के निधन से संगीत प्रेमियों में शोक की लहर है। पद्म विभूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा का दिल्ली एम्स में 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके गाए छठ गीत और लोक संगीत ने उन्हें बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे देश में लोकप्रिय बना दिया था। उनकी सुरीली आवाज आज भी छठ महापर्व के साथ गूंजती है, लेकिन इस बार उनके जाने की खबर ने इस त्योहार में मायूसी घोल दी है।
शारदा सिन्हा का जीवन परिचय
शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के समस्तीपुर जिले में हुआ था। उनके गीतों में भारतीय संस्कृति, विशेषकर बिहार की लोक परंपराओं की छवि साफ दिखाई देती है। छठ पूजा और अन्य लोक गीतों के माध्यम से उन्होंने अपनी आवाज को बिहार के हर घर तक पहुँचाया। उनके गीतों की खासियत थी कि उन्होंने पारंपरिक लोक धुनों को सरल और मधुर तरीके से प्रस्तुत किया, जिससे वे हर उम्र के लोगों के बीच लोकप्रिय हो गईं।
संगीत के प्रति समर्पण और सम्मान

शारदा सिन्हा का जीवन संगीत के प्रति समर्पण का जीवंत उदाहरण है। उन्हें उनके अद्वितीय योगदान के लिए पद्म श्री और पद्म विभूषण जैसे उच्चतम राष्ट्रीय सम्मान मिले। उनके द्वारा गाए गए छठ गीत जैसे “कांच ही बांस के बहंगिया”, “पीया से नेहिया लागी” आज भी बिहार के त्योहारों में अनिवार्य माने जाते हैं। उनके गीतों ने बिहार की लोक संस्कृति को पूरे देश में पहचान दिलाई।
दिल्ली एम्स में ली आखिरी सांस
शारदा सिन्हा की तबीयत पिछले कुछ समय से ठीक नहीं थी, जिसके चलते उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। उनके स्वास्थ्य में सुधार की उम्मीद थी, लेकिन अचानक सोमवार को उनकी हालत गंभीर हो गई और उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट करना पड़ा। मंगलवार की शाम, उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए। इस खबर ने उनके चाहने वालों को झकझोर कर रख दिया।
प्रशंसकों में शोक की लहर
शारदा सिन्हा के निधन की खबर ने उनके प्रशंसकों को दुखी कर दिया। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। छठ पर्व के दौरान उनकी मृत्यु ने इस त्योहार में एक खास तरह की उदासी ला दी है। उनकी मधुर आवाज और गीतों के माध्यम से वे हमेशा हमारे बीच जीवित रहेंगी।
उनके पति का भी हाल में हुआ था निधन
शारदा सिन्हा के परिवार पर दुख का साया तब से है जब उनके पति का ब्रेन हैमरेज के कारण निधन हो गया था। इस साल उन्होंने अपनी शादी की 54वीं वर्षगांठ मनाई थी। यह वक्त उनके परिवार के लिए बेहद कठिन है, जब वे दोनों ही इस दुनिया को अलविदा कह गए हैं।

शारदा सिन्हा की विरासत
शारदा सिन्हा की विरासत उनके गीतों में जीवित रहेगी। उन्होंने न केवल बिहार बल्कि पूरे भारत के लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई है। उनके द्वारा गाए गए छठ गीत सदियों तक हमारे त्योहारों का हिस्सा बने रहेंगे। उनका जाना संगीत की दुनिया के लिए अपूरणीय क्षति है, लेकिन उनके गीत हमारे जीवन का हिस्सा बने रहेंगे।
निष्कर्ष
शारदा सिन्हा का निधन भारतीय संगीत और खासकर बिहार की लोक संस्कृति के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके गाए हुए छठ गीत और लोकगीत हमेशा हमारी यादों में बसेंगे और हमें उनकी अनुपस्थिति में भी उनके संगीत से जोड़कर रखेंगे। उनके गानों की धुनों में हमें हमेशा बिहार की मिट्टी और संस्कृति की खुशबू महसूस होती रहेगी।
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