Published by: Roshan Soni
Updated on: Friday, 25 Oct 2024
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भाई दूज 2024 कब है?
भाई दूज का त्योहार हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। दिवाली के ठीक तीन दिन बाद भाई दूज का पर्व मनाया जाता है इस साल, भाई दूज 3 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी। द्वितीया तिथि 2 नवंबर की रात 8:22 बजे शुरू होगी और 3 नवंबर को रात 10:06 बजे समाप्त होगी।इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए कामना करती हैं. वहीं, भाई अपनी बहनों के पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं और उपहार देते हैं. लेकिन इस साल के लिए उदया तिथि 3 नवंबर को है, इसलिए भाई दूज का पर्व इसी दिन मनाया जाएगा।
भाई दूज से जुड़ी कुछ खास बातें:
- भाई दूज, रक्षाबंधन की तरह ही भाई-बहन का त्योहार है.
- इस दिन बहनें अपने भाईयों का रोली से टीका करती हैं और मौली बांधती हैं.
- भाई दूज के दिन भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करते हैं.
- इस दिन भाई-बहन धर्मराज-यमुनाजी के मंदिर के दर्शन करते हैं.
- इस दिन बहनें अपने भाई को मिठाई खिलाती हैं और नारियल देती हैं.
- भाई दूज के दिन संध्या के समय दीपक जलाकर दीप-दान करना भी बहुत फलदायी होता है.
- भाई दूज के दिन सुबह चंद्रमा के दर्शन करने से भाई-बहन के जीवन में सुख-शांति आती है.भाई दूज का त्योहार साल में दो बार आता है.
पूजा करने की विधि के बारे में ज़रूरी बातेंः
- पूजा करने से पहले आसन बिछाकर बैठना चाहिए.
- सिर को टुपट्टे या रूमाल से ढकना चाहिए.
- पूजा शुरू करने से पहले भगवान गणेश को प्रणाम करना चाहिए.
- पूजा के समय घी का दीपक अपने बाईं तरफ़ और भगवान के दाएं तरफ़ रखना चाहिए.
- पूजा के दौरान अंगन्यास, करन्यास, मुद्रा आदि का इस्तेमाल किया जा सकता है.
- पूजा के अंत में आरती करनी चाहिए.
- पूजा करने के लिए वैदिक और लौकिक दोनों तरह के मंत्र पढ़े जाते हैं.
- पूजा करने के लिए पंचोपचार, दशोपचार, और षोडशोपचार विधि का पालन किया जाता है.
- पूजा करने के लिए कुछ और ज़रूरी बातेंः
- पूजा स्थल का द्वार पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए.
- पूजा करते समय मनोकामना की सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए.
- मां लक्ष्मी को विशेष रूप से कमल का फूल अर्पित किया जाता है.
- शास्त्रों के मुताबिक, जो व्यक्ति दीपक से दीपक जलाता है, वह रोगी होता है.
- पूजा स्थल का द्वार पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए.
भाई दूज की पूजा विधि इस प्रकार है:
सुबह स्नान करके यम देवता की पूजा करें.
घर के मंदिर में घी का दीपक जलाएं.
यमराज और यमुना के साथ भगवान गणेश और भगवान विष्णु की पूजा करें.
पिसे चावल से चौक बनाएं.
बहनें भाई को तिलक लगाएं.
आरती उतारें.
हाथ में कलावा बांधें.
मिठाई खिलाएं.
भाई के हाथ में नारियल दें.
भाई को भोजन कराएं.
भोजन के बाद भाई, बहनों को उपहार दें और चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें.
भाई दूज के दिन, बहनें अपने भाई को अपने पसंदीदा व्यंजन और मिठाई से भरा शानदार भोजन कराती हैं. भाई-बहन के बीच के पवित्र स्नेह को मज़बूत करने के लिए भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है.
भाई दूज की पूजा की कथा
भाई दूज की कथा के मुताबिक, भगवान सूर्य और संज्ञा की दो संतानें थीं, यमराज और यमुना. यमुना को अपने भाई से बहुत लगाव था और वह हमेशा उनसे भोजन के लिए घर आने की गुज़ारिश करती थी. यमराज काम में व्यस्त रहते थे और इस बात को टालते रहे. कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यमुना ने फिर से यमराज को भोजन के लिए बुलाया और उन्हें अपने घर आने के लिए वचनबद्ध करा लिया.
यमराज ने सोचा कि उन्हें कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता, लेकिन बहन की सद्भावना का पालन करना उनका धर्म है. इस तरह यमराज यमुना के घर आ गए. यमुना ने उनका आदर-सत्कार किया और स्वादिष्ट व्यंजन परोसे. यमराज प्रसन्न होकर वरदान मांगने का आदेश दिया. यमुना ने कहा कि आप हर साल इसी दिन मेरे घर आएं और मेरी तरह जो बहन इस दिन भाई का आदर-सत्कार करें और टीका
लगाए, उसे आपका भय न रहे. यमराज ने यमुना को आशीर्वाद दिया और वस्त्राभूषण देकर यमलोक की ओर चले गए. इसी दिन से भाई दूज मनाने की परंपरा शुरू हुई. भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है.
पूजा का शुभ मुहूर्त
भाई दूज का महत्व
भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह पर्व भाई की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन तिलक करवाने वाले भाई को अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता. इसके साथ ही, भाई यदि बहन के घर जाकर भोजन करता है, तो उसकी उम्र और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा भी की जाती है
पौराणिक मान्यता
पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमराज अपनी बहन यमुन के घर इस दिन भोजन के लिए आए थे। यमुन ने अपने भाई का सम्मान किया, जिससे प्रसन्न होकर यमराज ने वरदान दिया कि जो भाई-बहन इस दिन यमुना में स्नान करेंगे और यमराज की पूजा करेंगे, उन्हें मृत्यु के बाद यमलोक नहीं जाना पड़ेगा।
भाई दूज से जुड़ी कुछ पौराणिक मान्यताएं ये हैं:
- एक मान्यता के अनुसार, यमुना ने अपने भाई यमराज की लंबी उम्र के लिए व्रत किया था और उन्हें अन्नकूट का भोजन खिलाया था. यमराज ने यमुना को वरदान दिया था कि इस दिन अगर भाई-बहन दोनों एक साथ यमुना नदी में स्नान करेंगे, तो उन्हें मुक्ति प्राप्त होगी.
- एक और मान्यता के मुताबिक, भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को हराने के बाद अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे. इस दिन सुभद्रा ने भगवान कृष्ण के माथे पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की थी.
- भाई दूज से जुड़ी एक और मान्यता के मुताबिक, यमराज ने अपनी बहन यमुना से वचन लिया था कि जो भाई अपनी बहन का तिरस्कार करेगा या उसे बार-बार अपमानित करेगा, उसे यमपाश में बाँधकर यमपुरी ले जाया जाएगा.
त्योहार के अन्य नाम
भाई दूज को कई नामों से जाना जाता है, जैसे:
- यम द्वितीया
- भैया दूज
- भ्रातृ द्वितीया
- भाई टीका
निष्कर्ष
भाई दूज का त्योहार भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के रिश्ते की अहमियत को दर्शाता है। यह न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि पारिवारिक संबंधों को और गहरा करने का भी एक साधन है। इस वर्ष 3 नवंबर को भाई दूज मनाते समय अपने रिश्तों की अहमियत को समझें और अपने प्रियजनों के साथ इस दिन को खास बनाएं।
इस भाई दूज पर अपने भाई या बहन के प्रति प्रेम और सम्मान व्यक्त करें, ताकि यह त्योहार और भी खास बन सके।
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