Published by: Roshan Soni
Updated on: Saturday, 28 Dec 2024
रांची में गुरुनानक सत्संग सभा ने श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के अवसर पर चार दिनों से चल रहे कार्यक्रमों की कड़ी में शुक्रवार को प्रभात फेरी का आयोजन किया। यह आयोजन सिख समुदाय की आस्था और उनकी समर्पित साधना का परिचायक था।
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प्रभात फेरी का आयोजन और प्रमुख आकर्षण

सुबह 5:45 बजे गुरुद्वारा साहिब दर्शन दिऊड़ी गेट से प्रभात फेरी की शुरुआत हुई। यह फेरी विभिन्न गलियों और चौकों से गुजरते हुए वापस दर्शन स्थान पहुंची। इस आयोजन का समापन सुबह 8:15 बजे अरदास के साथ हुआ।
फेरी के दौरान शबद-कीर्तन का महत्व
प्रभात फेरी में स्त्री सत्संग सभा ने सिख धर्म की प्रमुख शबद वाणियों का गायन किया। इनमें शामिल थे:
- “जनम जनम के दुःख निवारे सूका मन साधारे”
- “दीन दइआल भरोसे तेरे सभु परवारू चड़ाइआ बेड़े”
- “श्रवण बाणी सहजि जाणी हरि नामु जपि वडभागै”
इन शबद वाणियों ने साध संगत को अध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया और गुरु साहिब के प्रति आस्था को और गहरा किया।
प्रकाश पर्व के विशेष आयोजन

गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग सभा द्वारा 1 जनवरी को कृष्णा नगर कॉलोनी स्थित गुरुद्वारा साहिब में विशेष दीवान सजाया जाएगा।
- सुबह कीर्तन से शुरुआत: सुबह 7:15 बजे महिपाल सिंह के कीर्तन के साथ कार्यक्रम शुरू होगा।
- विशेष कथा वाचन: सिख पंथ के प्रसिद्ध कथा वाचक ज्ञानी माण सिंह और हरमंदिर साहिब, अमृतसर के मुख्य ग्रंथी द्वारा कथा वाचन किया जाएगा।
आयोजन में शामिल प्रमुख लोग
प्रभात फेरी का नेतृत्व सरदार छोटू सिंह ने निशान साहब उठाकर किया। इसके साथ ही आयोजन में गुरुद्वारा प्रबंधन के सचिव अर्जुन देव मिढ़ा और अन्य प्रमुख सदस्य उपस्थित थे, जिनमें द्वारका दास मुंजाल, अशोक गेरा, हरगोबिंद सिंह, मोहन काठपाल, सुरेश मिढ़ा, अनूप गिरधर, विनोद सुखीजा, जीवन मिढ़ा, महेंद्र अरोड़ा, बसंत काठपाल, मोहित झंडई, और राकेश गिरधर शामिल थे।
सिख समुदाय और शहरवासियों के लिए महत्व
इस प्रकार के आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि यह समाज में एकता, सहयोग और शांति का संदेश भी फैलाते हैं। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व का यह उत्सव रांची के सिख समुदाय और पूरे शहरवासियों के लिए प्रेरणादायक साबित हुआ।
निष्कर्ष
रांची में आयोजित इस कार्यक्रम ने यह स्पष्ट किया कि गुरु साहिब के जीवन और शिक्षाओं का प्रभाव आज भी लोगों के जीवन में गहरा है। इस प्रकार के आयोजन समाज को धर्म, संस्कार और सेवा भाव के महत्व को समझाने में सहायक होते हैं।
रांची में सिख समुदाय के ऐसे आयोजनों की झलकियों ने पूरे शहर को अध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध किया।