Published by: Roshan Soni
Updated on: Thursday, 12 Dec 2024
हजारीबाग के मटवारी गांधी मैदान में डिजनीलैंड के टेंट में आग लगने की घटना ने इलाके में हड़कंप मचा दिया। बुधवार शाम करीब 5:30 बजे हुए इस हादसे में डिजनीलैंड के एक बड़े हिस्से को नुकसान पहुंचा है। हालांकि, इस घटना में मजदूर बाल-बाल बच गए, जो डिजनीलैंड में टेंट के अंदर सोने के लिए रहते थे।
आग लगने के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन इस हादसे ने डिजनीलैंड संचालक और प्रशासन को झकझोर कर रख दिया है। आइए, इस घटना की पूरी जानकारी, इसके प्रभाव, और इससे जुड़े सुरक्षा उपायों पर चर्चा करें।
घटना का विवरण: आग लगने की पूरी कहानी
मटवारी गांधी मैदान में बने डिजनीलैंड के टेंट में अचानक आग लगने की खबर आसपास के लोगों ने दी। आग की लपटें इतनी तेज थीं कि देखते ही देखते टेंट के एक बड़े हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया।
- आग बुझाने की कार्रवाई:
- सूचना मिलते ही फायर बिग्रेड की टीम मौके पर पहुंची।
- पहली गाड़ी से आग पर काबू पाने की कोशिश की गई, लेकिन आग की तीव्रता को देखते हुए दो और गाड़ियों को बुलाया गया।
- लगभग डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया।
- मजदूरों का बचाव:
जिस हिस्से में आग लगी थी, वहीं पर डिजनीलैंड के मजदूर रात में सोते थे। हादसे के समय मजदूर टेंट के बाहर काम कर रहे थे, जिससे एक बड़ी अनहोनी टल गई।
डिजनीलैंड में आग लगने के संभावित कारण
इस घटना के पीछे आग लगने के सही कारणों का अभी पता नहीं चला है। हालांकि, शुरुआती जानकारी के अनुसार, शॉर्ट सर्किट, गैस सिलेंडर लीक, या खुले में जलती आग संभावित कारण हो सकते हैं।
आगजनी के आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
- लाखों रुपये का नुकसान:
आग की चपेट में आने से डिजनीलैंड के टेंट, उपकरण और अन्य सामग्रियां पूरी तरह जल गईं। संचालक को इस हादसे में लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। - मजदूरों की सुरक्षा:
डिजनीलैंड के मजदूर बाल-बाल बच गए, लेकिन यह हादसा उनकी सुरक्षा के इंतजामों पर सवाल खड़ा करता है। - स्थानीय लोगों पर प्रभाव:
- गांधी मैदान में लगे डिजनीलैंड से जुड़े कार्यक्रम और मनोरंजन अब रुक सकते हैं।
- हादसे के कारण आसपास के इलाकों में लोग दहशत में हैं।
- नगर निगम के नियमों का उल्लंघन:
डिजनीलैंड को नवंबर महीने में ही मैदान खाली करना था, लेकिन डेढ़ महीने से इसका संचालन अवैध रूप से जारी था। यह घटना नगर निगम और संचालकों की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाती है।
डिजनीलैंड संचालक और नगर निगम का बयान
डिजनीलैंड के संचालक आशीष कुमार ने नगर निगम से मैदान को लीज पर लिया था। इसके लिए संचालक ने 45 लाख रुपये का भुगतान किया था। हालांकि, तय समय सीमा के बाद भी मैदान खाली नहीं किया गया था।
नगर निगम ने इस पर कोई कड़ा कदम नहीं उठाया, जिससे यह हादसा हुआ। अगर तय समय पर डिजनीलैंड को हटाया गया होता, तो शायद यह घटना टाली जा सकती थी।
आगजनी से बचाव के उपाय: भविष्य में ऐसे हादसे रोकने के लिए सुझाव
- सुरक्षा उपायों को मजबूत करें:
डिजनीलैंड जैसे बड़े आयोजनों में अग्नि सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम जरूरी हैं।- फायर एक्सटिंग्विशर और आपातकालीन निकासी का इंतजाम।
- आग से बचाव के लिए प्रशिक्षित स्टाफ की तैनाती।
- शॉर्ट सर्किट से बचाव:
टेंट और अन्य स्थानों पर इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्शन नियमित रूप से होना चाहिए। - नगर निगम की निगरानी:
- तय समय सीमा के बाद आयोजनों को हटाने पर सख्ती बरतनी चाहिए।
- नगर निगम को सुरक्षा मानकों की जांच करनी चाहिए।
- मजदूरों की सुरक्षा:
- मजदूरों के रहने और सोने के लिए अलग सुरक्षित स्थान की व्यवस्था।
- फायर ड्रिल और अन्य आपातकालीन प्रशिक्षण का आयोजन।
आसपास के निवासियों की सुरक्षा:
इस तरह की घटनाओं से आसपास के निवासियों की सुरक्षा के लिए नगर निगम और पुलिस प्रशासन को जागरूक रहना चाहिए।