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तकिया मजार का 367वां उर्स: अकीदत, उत्साह और सांस्कृतिक मेल का प्रतीक
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तकिया मजार का 367वां उर्स: अकीदत, उत्साह और सांस्कृतिक मेल का प्रतीक

Published by: Roshan Soni
Updated on: Sunday , 17 Nov 2024

हजारीबाग में स्थित तकिया मजार (हजरत दाता मदारशाह) का 367वां उर्स 16 नवंबर से पूरे जोश और अकीदत के साथ शुरू हुआ। यह उर्स न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसे सांस्कृतिक मेल और सामाजिक एकजुटता का प्रतीक भी माना जाता है। तीन दिनों तक चलने वाला यह उर्स श्रद्धालुओं के बीच उत्साह और भक्ति का माहौल बनाता है।

तकिया मजार: ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व

तकिया मजार का 367वां उर्स: अकीदत, उत्साह और सांस्कृतिक मेल का प्रतीक
                               तकिया मजार का 367वां उर्स:

तकिया मजार, हजरत दाता मदारशाह का मजार, हजारीबाग का एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक स्थल है। हर साल यहां उर्स के मौके पर हजारों श्रद्धालु देशभर से आते हैं। यह मजार सांप्रदायिक सौहार्द्र और प्रेम का प्रतीक है, जहां विभिन्न समुदायों के लोग अकीदत के साथ चादरपोशी करते हैं।

उर्स 2024 की खासियतें

इस साल का 367वां उर्स बेहद खास है, क्योंकि इसे बड़े स्तर पर मनाने की तैयारी की गई है। तकिया मजार परिसर को भव्य रूप से सजाया गया है, और यहां मेले जैसा माहौल देखने को मिल रहा है।

पहला दिन: मिलाद और कुरानखानी

उर्स के पहले दिन की शुरुआत मिलाद और कुरानखानी से हुई। श्रद्धालुओं ने मजार पर चादरपोशी की और हजरत दाता मदारशाह से अपनी मन्नतें मांगी। नगर निगम के सफाई कर्मचारियों ने भी अपनी श्रद्धा अर्पित करते हुए चादर चढ़ाई।

सुरक्षा और सुविधाएं

तकिया मजार का 367वां उर्स: अकीदत, उत्साह और सांस्कृतिक मेल का प्रतीक
                       तकिया मजार का 367वां उर्स:

उर्स के दौरान सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पूरे परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए चिकित्सा सेवाएं भी बहाल की गई हैं।

रक्तदान शिविर

उर्स के तीसरे दिन, 18 नवंबर को सुबह 10 बजे एक रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाएगा। यह शिविर न केवल सामाजिक सेवा का उदाहरण है, बल्कि धार्मिक आयोजनों में मानवीय योगदान को भी दर्शाता है।

कव्वाली का मुकाबला

17 और 18 नवंबर की रात को कव्वाली का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जो इस उर्स का मुख्य आकर्षण है। इस मुकाबले में देश के प्रसिद्ध कव्वाल, खान भारती (कानपुर) और महताब भारती (नागपुर) भाग लेंगे। दोनों कव्वाल अपनी सूफी रचनाओं और दिल को छू लेने वाली गायकी से समां बांधेंगे।

मेला और सांस्कृतिक उत्सव

तकिया मजार के उर्स पर लगे मेले में खिलौनों, मिठाइयों, और अन्य वस्त्रों की दुकानें सजी हुई हैं। यह मेला न केवल बच्चों के लिए बल्कि सभी उम्र के लोगों के लिए मनोरंजन और खरीदारी का केंद्र है।

कमेटी का योगदान

तकिया मजार उर्स कमेटी ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कमेटी में सदर परवेज आलम, सचिव मकसूद खान, कोषाध्यक्ष गालिब अहमद और अन्य सदस्य शामिल हैं। इनकी देखरेख में सभी व्यवस्थाएं की गई हैं।

तकिया मजार उर्स का सामाजिक संदेश

तकिया मजार का उर्स न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह सांप्रदायिक सौहार्द्र, सामाजिक एकजुटता, और मानवता के प्रति प्रेम का संदेश भी देता है। यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी मन्नतें मांगते हैं और एकता के इस संदेश को अपने साथ लेकर जाते हैं।

निष्कर्ष

तकिया मजार का 367वां उर्स आध्यात्मिकता, सांस्कृतिक समृद्धि और सामाजिक एकता का संगम है। यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक भक्ति का अवसर है, बल्कि इसे हजारीबाग की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव भी कहा जा सकता है।

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