छोटी दिवाली 2024 आज, 30 अक्टूबर को मनाई जा रही है, जिसे नरक चतुर्दशी और रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन 14 दीए जलाने की महत्वपूर्ण परंपरा है, जिसमें से हर दीए को एक विशेष स्थान पर रखा जाता है। यहां जानिए कैसे इस परंपरा को सही तरीके से निभाएं।
छोटी दिवाली पर दीपक जलाने का महत्व
बड़ी दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली छोटी दिवाली का हिंदू संस्कृति में विशेष महत्व है। इस दिन को नरक चतुर्दशी और रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। छोटी दिवाली पर दीपक जलाने की परंपरा सदियों पुरानी है और इसे बुरी आत्माओं को भगाने और घर में समृद्धि और खुशहाली लाने के लिए किया जाता है। आइए, जानते हैं इसके महत्व के बारे में विस्तार से:
देवी लक्ष्मी और यमराज की पूजा
1.देवी लक्ष्मी:
- छोटी दिवाली पर देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो लोग श्रद्धा और भक्ति से दीपक जलाते हैं, उनके घर में स्थायी रूप से निवास करती हैं।
- देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए घर के हर कोने में दीपक जलाना शुभ माना जाता है। इससे घर में धन और समृद्धि का आगमन होता है।
2.यमराज:
- छोटी दिवाली पर यमराज की पूजा भी की जाती है। इस दिन दीपक जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं और परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है।
- यमराज के नाम पर दीपक जलाने से परिवार में स्वास्थ्य और लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है।
बुरी आत्माओं का नाश
छोटी दिवाली पर दीपक जलाने का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य बुरी आत्माओं और नकारात्मक शक्तियों को दूर भगाना है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन दीपक जलाने से घर में मौजूद बुरी शक्तियां नष्ट हो जाती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
समृद्धि और खुशहाली
दीपक जलाने से घर में समृद्धि और खुशहाली आती है। दीपक की रोशनी अंधकार को दूर करती है और घर में सकारात्मकता का वातावरण बनाती है। इसके अलावा, दीपक जलाने से घर के सदस्य मानसिक रूप से शांति और संतोष का अनुभव करते हैं।
पारंपरिक महत्व
छोटी दिवाली पर दीपक जलाने की परंपरा हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। यह हमारे पूर्वजों द्वारा स्थापित की गई एक महत्वपूर्ण परंपरा है जिसे हम आज भी निभाते हैं। इस परंपरा को निभाने से हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ाव महसूस होता है।
दीपक जलाने की विधि
- तेल का प्रकार: सभी दीपक सरसों के तेल से जलाएं।
- यमराज के दीपक की दिशा: यमराज के नाम का दीपक केवल दक्षिण दिशा में ही जलाएं।
इस छोटी दिवाली पर दीपक जलाएं और अपनी संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखें। दीपक की रोशनी आपके जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाए!
कितने दीपक जलाएं और उन्हें कहां रखें
- एक दीपक यमराज के लिए: इस दीपक को दक्षिण दिशा में रखें, क्योंकि यह यमराज के लिए शुभ माना जाता है।
- एक दीपक मां काली के लिए: देवी काली को समर्पित एक दीपक जलाएं।
- एक दीपक भगवान शिव के लिए: भगवान शिव के नाम पर एक दीपक जलाएं।
- मुख्य द्वार: अपने घर के मुख्य द्वार पर एक दीपक रखें।
- घर की पूर्व दिशा: अपने घर की पूर्व दिशा में एक दीपक जलाएं।
- रसोई: मां अन्नपूर्णा के लिए रसोई में एक दीपक जरूर जलाएं।
- छत: अपने घर की छत पर एक दीपक रखें।
- तुलसी माता: तुलसी के पौधे के पास एक दीपक जलाएं।
- बालकनी या सीढ़ियाँ: बालकनी या सीढ़ियों के पास एक दीपक रखें।
- अन्य देवी-देवता: बाकी दीपक अपने घर के इष्ट देव और अन्य देवी-देवताओं के नाम पर जलाएं।
दीपक जलाने की विधि
छोटी दिवाली पर दीपक जलाने की विधि को सही तरीके से निभाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां परंपरा के अनुसार दीपक जलाने की सही विधि बताई जा रही है:
तेल का प्रकार:
- सरसों का तेल: सभी दीपक सरसों के तेल से ही जलाएं। सरसों का तेल शुद्ध और पवित्र माना जाता है, जो सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और बुरी आत्माओं को दूर भगाने में मदद करता है।
यमराज के दीपक की दिशा:
- दक्षिण दिशा: यमराज के नाम का दीपक केवल दक्षिण दिशा में ही जलाएं। दक्षिण दिशा यमराज की दिशा मानी जाती है और इस दिशा में दीपक जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं और परिवार को उनकी कृपा प्राप्त होती है।
इस गाइड का पालन करके आप सुनिश्चित कर सकते हैं कि प्रत्येक दीपक सही स्थान पर रखा गया है और छोटी दिवाली की परंपरा का सही ढंग से पालन किया गया है।
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इस छोटी दिवाली पर त्यौहार की रौनक का आनंद लें और दीयों की रोशनी आपके घर में खुशहाली और समृद्धि लाए!
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