Published by : Roshan Soni
Updated on : Friday, 25 Oct 2024
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छठ पूजा 2024: सही तारीखें और जानकारी
छठ पूजा, जिसे छठ महापर्व के नाम से भी जाना जाता है, हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व विशेष रूप से सूर्य देव और छठी मैया की पूजा के लिए समर्पित है, और इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है। इस वर्ष, 2024 में छठ पूजा के आयोजन की सही तारीखें जानकर आप इस महापर्व को बेहतर तरीके से मनाने की योजना बना सकते हैं।

छठ पूजा सिर्फ़ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक भावना भी है:
- छठ पूजा, संस्कृति और संस्कार का पुनर्जागरण है. यह पर्व, देश-विदेश के सनातनी लोगों को एक साथ जोड़ता है.
- छठ पूजा, प्रकृति के करीब ले जाती है और प्रकृति के ज़रिए संस्कारों को संजोए रखने की सीख देती है.
- छठ पूजा, भेदभाव को त्यागने के लिए प्रेरित करती है.
- छठ पूजा, बिहार के लोगों को बिहार से बाहर का होने नहीं देती. छठ पूजा के समय, बिहार के लोग अपने गांव-घर आने की कोशिश करते हैं.
- छठ पूजा, हमारे परिवार के लिए बहुत खास होती है.
- छठ पूजा, हमारे मनोवांछित कार्य को सफल बनाने के लिए की जाती है.

छठ पूजा में सूर्य देव की पूजा क्यों की जाती है
- छठ पूजा, सूर्य देव और उनकी पत्नी उषा को समर्पित है. इस दिन सूर्य देव की पूजा करके, पृथ्वी पर जीवन की प्रचुरता के लिए आभार प्रकट किया जाता है.
- सूर्य को जीवन का आधार माना जाता है. रोज़ाना सूर्य को जल देने से सेहत भी ठीक रहती है.
- सूर्य को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है. कुंडली में बैठे सूर्य देव लोगों को मान-सम्मान और धन-वैभव देते हैं.
- मान्यता है कि शाम के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और ज़िंदगी की समस्याएं दूर होती हैं.
- महाभारत काल से जुड़ी मान्यता के मुताबिक, दानवीर कर्ण का जन्म सूर्य देव के वरदान से हुआ था. कर्ण सूर्य देव के परम भक्त थे और प्रतिदिन घंटों कमर तक पानी में खड़े रहकर सूर्य पूजा करते थे.
- छठ पूजा में छठी मैया की भी पूजा की जाती है. छठी मैया, ब्रह्मा जी की मानस पुत्री और सूर्य देव की बहन हैं. छठी मैया बच्चों की सुरक्षा, आरोग्य, और सफलता का आशीर्वाद देती हैं.
छठ पूजा को बड़ा पर्व माना जाता है क्योंकि इसके कई कारण हैं

- छठ पूजा, सूर्य देव की पूजा का पर्व है और सूर्य को हिंदू धर्म में कृषि का देवता माना जाता है. बिहार और पूर्वांचल क्षेत्र प्राचीन काल से कृषि प्रधान क्षेत्र रहा है.
- पौराणिक मान्यता है कि छठ पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और संतान को लंबी उम्र मिलती है.
- छठ पूजा के ज़रिए, सूर्य की पराबैंगनी किरणों के हानिकारक प्रभाव से बचाव किया जाता है.
- छठ पूजा में, भगवान के लिए उपवास रखा जाता है, न कि पति या बच्चों के लिए.
- छठ पूजा में, ईश्वर की दृष्टि में सभी समान हैं, प्रकृति हमें पोषण देती है और सम्मान योग्य है, इस संदेश को दिया जाता है.
- छठ पूजा में, गंगा में स्नान करके सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की जाती है.
- छठ पूजा में, दूध का अर्ध्य देने की परंपरा है.
अगर जानना है 2024 की छठ पूजा की सारी जानकारी तो यहां क्लिक करें छठ पूजा, दीपावली के छठे दिन से शुरू होकर चार दिनों तक चलती है. इस पर्व के पहले दिन घर की साफ़-सफ़ाई की जाती है.
छठ पूजा, सूर्य, प्रकृति, जल, वायु, और छठी मैया को समर्पित है. छठ पूजा के कई कारण हैं, जिनमें से कुछ ये रहे:
- माना जाता है कि छठ पूजा की शुरुआत माता सीता ने की थी. पौराणिक मान्यता है कि ऋषि मुद्गल की बताई विधि के मुताबिक, माता सीता ने छठ पूजा की थी.
- एक कहानी के मुताबिक, देवताओं और असुरों के बीच युद्ध में देवताओं को हार का सामना करना पड़ा था. उस समय देव माता अदिति ने छठी मैया से तपस्या की थी और उन्हें तेजस्वी पुत्र का वरदान मिला था.
- छठ पूजा, सुख-समृद्धि, और ऐश्वर्य वृद्धि का पर्व है.
- छठ पूजा के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने का महत्व है. कई ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि रोज़ाना सूर्य को अर्घ्य देने से आरोग्यता का आशीर्वाद मिलता है. छठ पूजा, बिहार और पूर्वांचल क्षेत्र में खास तौर पर मनाई जाती है. इन क्षेत्रों में प्राचीन काल से कृषि काफ़ी ज़्यादा होती रही है और यहां के लोग सूर्य देव की पूजा विशेष रूप से करते हैं
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छठ पूजा, कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक मनाई जाती है. यह लोक आस्था का महापर्व है. छठ पूजा की विधि
- छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. इस दिन व्रती स्नान करके सात्विक भोजन करते हैं.
- इसके अगले दिन खरना होता है. इस दिन गुड़ और चावल की खीर बनाई जाती है.
- तीसरे दिन शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.
- चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.
- छठ पूजा में महिलाएं और पुरुष 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं.
- इस पूजा में भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा की जाती है.
- छठ पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है.
- पूजा में लहसून और प्याज़ का सेवन वर्जित होता है.
- छठ पूजा में जिन घरों में पूजा होती है, वहां भक्तिगीत गाए जाते हैं.
- छठ पूजा में प्रसाद के रूप में मौसमी और स्थानीय रूप से उत्पादित फल चढ़ाए जाते हैं.
- छठ पूजा में प्रसाद बांटे जाते हैं.
छठ पूजा की तिथियाँ
- नहाय-खाय: 5 नवंबर 2024 (मंगलवार)
- इस दिन व्रती महिलाएं पवित्र स्नान कर के सूर्य देव की पूजा करती हैं।
- खरना: 6 नवंबर 2024 (बुधवार)
- इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और पूजा करती हैं।
- डूबते सूर्य को अर्घ्य: 7 नवंबर 2024 (गुरुवार)
- संध्या समय में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
- उगते सूर्य को अर्घ्य: 8 नवंबर 2024 (शुक्रवार)
- प्रातः उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा का समापन होगा।

छठ पूजा से जुड़े कुछ नियम ये रहे:
- छठ पूजा के दिन साफ़-सफ़ाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
- छठ पूजा में व्रत रखने वाले को निर्जला व्रत रखना होता है.
- छठ पूजा के दिन लहसुन और प्याज़ का सेवन नहीं करना चाहिए.
- छठ पूजा के दिन तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए.
- छठ पूजा के दिन घर के दरवाज़ों से जुड़े वास्तु की साफ़-सफ़ाई करनी चाहिए.
- छठ पूजा के दिन व्रती महिलाओं को सूती साड़ी पहननी चाहिए.
- छठ पूजा के दिन व्रती महिलाओं को चटाई बिछाकर जमीन पर सोना चाहिए.
- छठ पूजा के दिन पूजा के लिए बांस से बने सूप और टोकरी का इस्तेमाल करना चाहिए.
- छठ पूजा के दिन पूजा में इस्तेमाल होने वाली हर चीज़ अखंडित होनी चाहिए.
- छठ पूजा के दिन पूजा में इस्तेमाल होने वाले फल और फूलों को किसी पक्षी ने जूठा नहीं किया होना चाहिए.
- छठ पूजा के दिन पूजा में इस्तेमाल होने वाले अनाज को अच्छी तरह से साफ़ करना चाहिए.
- छठ पूजा के दिन पूजा में इस्तेमाल होने वाले प्रसाद को चूल्हे पर बनाना चाहिए.
- छठ पूजा के दिन पूजा में इस्तेमाल होने वाले प्रसाद को हमेशा हाथ-मुंह धोने के बाद ही हाथ लगाना चाहिए.
सूर्य देव को अर्घ्य देने के मंत्र
सूर्य देव को अर्घ्य देते समय ये मंत्र बोले जा सकते हैं:
- ॐ सूर्याय नमः
- ॐ मित्राय नमः
- ॐ रवये नमः
- ॐ भानवे नमः
- ॐ खगाय नमः
- ॐ पूष्णे नमः
- ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
- ॐ मारीचाय नमः
- ॐ आदित्याय नमः
- ॐ सावित्रे नमः
- ॐ अर्काय नमः
- ॐ भास्कराय नमः
- ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नमः
- ॐ घृणि सूर्याय नमः
- ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर
ननिष्कर्ष
छठ पूजा न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह संतान की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस महापर्व को समर्पित भाव से मनाएं और अपने परिवार के साथ मिलकर इस परंपरा का पालन करें। सभी को छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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