Amar Prem Ki Prem Kahani Movie Review: अगर फिल्मों में फालतू फिल्म ऑफ द ईयर का अवॉर्ड होता, तो सनी सिंह और आदित्य सील की फिल्म ‘अमर प्रेम की प्रेम कहानी’ आसानी से इसे जीत जाती। जी हां, आपने बिलकुल सही सुना। हालांकि ये फिल्म थिएटर्स में रिलीज नहीं हुई, बल्कि सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म जियो सिनेमा पर स्ट्रीम हुई है, लेकिन अगर फिल्म देखने के लिए डेढ़ घंटे का वक्त निकालना पड़ा, तो उसके लिए दर्शकों को कुछ इनाम मिलना चाहिए।
फिल्म अपनी उबाऊ और घिसी-पिटी कहानी के साथ निराश करती है। इसे डायरेक्ट किया है हार्दिक गज्जर ने, और इसका विषय काफी अच्छा था—एलजीबीटीक्यू समुदाय के संघर्ष जैसे गंभीर मुद्दे पर आधारित। लेकिन, पर्दे पर ये मुद्दा कहीं खो जाता है। ऐसा लगता है कि गंभीर विषय में जबरदस्ती कॉमेडी घुसाने की कोशिश की गई है, जिससे फिल्म का असली सार खत्म हो जाता है।
तो चलिए, अब जानते हैं कि फिल्म की कहानी कैसी है
अमर प्रेमहानी : कहानी में कोई लॉजिक नहीं
फिल्म को देखते हुए कई बार कोशिश की कि कुछ तो लॉजिकल कनेक्शन मिले, लेकिन हर बार नाकाम रहे, ठीक वैसे ही जैसे कहानी को गंभीरता के साथ पेश करने में डायरेक्टर हार्दिक गज्जर सफल नहीं हो पाए। फिल्म का नरेशन काफी कमजोर और उलझा हुआ लगता है, जिससे दर्शकों को कहीं न कहीं कनेक्ट करना मुश्किल हो जाता है।
फिल्म में सनी सिंह ने अमर का किरदार निभाया है, जो एक पंजाबी परिवार से आता है। अमर बचपन से ही लड़कों की तरफ आकर्षित होता है, लेकिन अपने परिवार और समाज के डर से वह अपनी इच्छाओं को छुपाने की कोशिश करता है। अमर के लिए यह सफर बेहद कठिन है, क्योंकि वह जानता है कि समाज और परिवार के सामने अपनी असल पहचान कबूल करना उसके लिए एक बड़ी चुनौती होगी। लेकिन उसका संघर्ष, उसकी कोशिशें, और उसके डर को फिल्म में जिस तरीके से प्रस्तुत किया गया है, वह कहीं न कहीं अधूरा और कमजोर लगता है।
अमर अपनी शादी से बचने और अपनी जिंदगी खुलकर जीने की चाहत में लंदन जाने का सपना देखता है। उसकी जिंदगी में एक लड़की भी है, जो उसके प्यार में दीवानी है, लेकिन अमर उसे कोई तवज्जो नहीं देता, क्योंकि वह लड़कियों से खुद को दूर रखता है। यह सब एक हद तक समझ में आता है—अमर का संघर्ष और उसका डर साफ दिखाई देता है।
लेकिन इसके बाद, फिल्म में जो घटनाएँ होती हैं, वे दर्शकों के सिर के ऊपर से गुजर जाती हैं। कहानी की दिशा पूरी तरह से उलझ जाती है और आप महसूस करते हैं कि डायरेक्टर ने इन भावनात्मक और गंभीर पहलुओं को ठीक से दर्शाया नहीं। जो भी घटनाएँ घटती हैं, वे न तो समझ में आती हैं और न ही उनका कोई ठोस लॉजिक होता है।
कहानी का फ्लो कहीं गड़बड़ हो जाता है, जिससे दर्शकों के लिए पूरी फिल्म को समझना और उससे कनेक्ट करना मुश्किल हो जाता है।
अमर प्रेमहानी : 15 दिन में हो जाता है ‘अमर-प्रेम’
फिल्म के दौरान कई बार ऐसा लगता है कि ये फिल्म एक मजाक से कम नहीं है। लंदन जाते हुए अमर की मुलाकात होती है एक और लड़के से जिसका नाम है प्रेम। प्रेम जिसका किरदार आदित्य सील ने निभाया है। प्रेम एक बंगाली परिवार से आता है, वो भी लड़कों के लिए फील करता है। दोनों की पहली मुलाकात दिल्ली एयरपोर्ट पर होती है और दोनों एक ही फ्लाइट में लंदन जाते हैं। दोनों की मुलाकात कब दोस्ती और 15 दिन में ही प्यार में बदल जाती है कि दोनों एक दूसरे के लिए जीने-मरने की कसमें भी खा लेते हैं।
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